अमेरिका यात्रा: 26 जून को होगी मोदी-ट्रंप की मुलाकात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी अमेरिका यात्रा को लेकर किंतु परंतु का दौर खत्म हो गया है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी अमेरिका यात्रा को लेकर किंतु परंतु का दौर खत्म हो गया है। प्रधानमंत्री 25 जून, 2017 को अमेरिका यात्रा पर रवाना होंगे। अगले ही दिन 26 जून को वह अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मुलाकात करेंगे। जब कई वजहों से भारत और अमेरिका के आपसी रिश्तों पर अनिश्चितता की परत पड़ने लगी है तब ऐसे समय में सभी की निगाहें मोदी और ट्रंप के बीच होने वाली मुलाकात पर टिकी हैं। मोदी और ट्रंप के बीच यह पहली मुलाकात होगी। इसके कुछ ही दिनों बाद दोनों की एक और मुलाकात चीन में समूह-20 के शीर्ष नेताओं की बैठक में हो सकती है।
दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के अधिकारी पिछले कई दिनों से मोदी और ट्रंप के बीच इस बहुप्रतीक्षित मुलाकात की जमीन तैयार करने में जुटे हैं। वैसे आधिकारिक तौर पर दोनों देशों की सरकारों की तरफ से मोदी की यात्रा को लेकर चुप्पी बरती जा रही है। इसका एक कारण यह बताया जा रहा है कि दोनों पक्ष मुलाकात को लेकर बहुत ज्यादा उत्सुकता पैदा नहीं करना चाहते। हकीकत यह है कि भारतीय कूटनीतिक पक्ष ट्रंप प्रशासन की भारत के प्रति नीतियों को देखते हुए स्पष्ट तौर पर कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। ट्रंप ने पेरिस समझौते से निकलते समय जिस तरह बहुत ही नकारात्मक लहजे में भारत का जिक्र किया था उससे स्थिति और असहज हुई है। 'दैनिक जागरण' ने 07 जून को यह खबर प्रकाशित की थी कि मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान किसी बड़े समझौते के आसार नहीं है।
ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद से ही भारत व अमेरिका के रिश्तों की प्रगति को देखें तो साफ हो जाता है कि सब कुछ वैसा नहीं चल रहा है जैसा ओबामा प्रशासन के कार्यकाल में चल रहा था। मसलन, ओबामा ने दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद सबसे पहले बतौर राजकीय मेहमान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आमंत्रित किया था। नरेंद्र मोदी को भी प्रधानमंत्री बनने के तुरंत बाद बुलावा भेजा। ओबामा ने गणतंत्र दिवस का मेहमान बनने का न्यौता स्वीकार किया। सत्ता से विदा होने से पहले एक बार फिर उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को अपने अंतिम राजकीय मेहमान के तौर पर बुलाया। मुलाकातों के इतर दोनों देशों के रिश्तों को लगातार द्विपक्षीय बैठकों व विकास से जुड़े दर्जनों फैसलों से आगे बढ़ाया गया। दूसरी तरफ ट्रंप ने सत्ता में आने के तीन महीने के भीतर भारतीय आईटी कंपनियों पर नकेल कसने संबंधी प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा दी। लिहाजा कुछ भारतीय आइटी कंपनियों ने दवाब में भारतीय आइटी पेशेवरों की जगह अमेरिकी लोगों को नौकरी देने की घोषणा की है।
ट्रंप प्रशासन ने कश्मीर मुद्दे को सुलझाने में हस्तक्षेप करने की रुचि दिखाई है। यह अमेरिका की कश्मीर को लेकर पुरानी नीति में एक बड़ा बदलाव है। अब हाल ही में ट्रंप ने भारत पर बेतुका आरोप लगाया कि पेरिस समझौते से उसे अरबों-खबरों डॉलर का फायदा होने वाला है। भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस आरोप को सिरे से खारिज किया है। जाहिर है कि मोदी और ट्रंप के बीच बैठक से दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों का नया एजेंडा तय हो सकता है।