Earthquake in Mizoram: भूकंप के झटकों से हिला पूर्वोत्तर भारत का 'मिजोरम' राज्य, रिक्टर स्केल पर 4.3 मापी गई तीव्रता
एनसीएस डेटा और मिजोरम आपदा प्रबंधन अधिकारियों ने कहा कि भूकंप पूर्वी मिजोरम के चंफाई जिले में 130 किलोमीटर की गहराई में आया। भूकंप प्रभावित किसी भी इलाके में जानमाल के नुकसान या संपत्ति के नुकसान की कोई खबर नहीं है।
आइजोल, एजेंसियां। पूर्वोत्तर भारत का मिजोरम राज्य भूकंप के झटकों से हिल गया। नेशनल सेंटर फार सीस्मोलॉजी (NCS) ने कहा कि भारत-म्यांमार सीमा पर मिजोरम के कुछ हिस्सों में बुधवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.3 मापी गई है।
समाचार एजेंसी आइएएनएस के अनुसार एनसीएस डेटा और मिजोरम आपदा प्रबंधन अधिकारियों ने कहा कि भूकंप पूर्वी मिजोरम के चंफाई जिले में 130 किलोमीटर की गहराई में आया। भूकंप प्रभावित किसी भी इलाके में जानमाल या संपत्ति के नुकसान की कोई सूचना नहीं है।
Earthquake of Magnitude:4.3, Occurred on 20-07-2022, 03:08:15 IST, Lat: 23.57 & Long: 94.49, Depth: 130 Km ,Location: 119km E of Champhai, Mizoram, India for more information download the BhooKamp App https://t.co/zxPs2gcDRI @ndmaindia @Indiametdept pic.twitter.com/7PwkSxjpmc
— National Center for Seismology (@NCS_Earthquake) July 19, 2022
दुनिया का छठा सबसे अधिक भूंकप संभावित क्षेत्र है पूर्वोत्तर भारत
बता दें कि पर्वतीय पूर्वोत्तर राज्यों में विशेष रूप से असम, मिजोरम और मणिपुर में लगातार भूकंप आते रहते हैं। भूकंपविज्ञानी पूर्वोत्तर भारतीय क्षेत्र को दुनिया का छठा सबसे अधिक भूकंप संभावित क्षेत्र मानते हैं।
रिक्टर स्केल पर इस तरह नापा जाता है भूकंप
मालूम हो कि भूकंप के झटकों की तीव्रता को मापने के लिए रिक्टर स्केल का मानक इस्तेमाल किया जाता है जो रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहलाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है जो इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है।
क्यों आते हैं भूकंप
पृथ्वी की बाह्य परत में अचानक हलचल से उत्पन्न ऊर्जा के परिणाम स्वरूप भूकंप आता है। यह ऊर्जा पृथ्वी की सतह पर, भूकंपी तरंगें उत्पन्न करती है, जो भूमि को हिलाकर या विस्थापित कर के प्रकट होती है।
भूकंप के कारण
भूकंप प्राकृतिक घटना या मानवजनित कारणों से हो सकता है। अक्सर भूकंप भूगर्भीय दोषों के कारण आते हैं। भारी मात्रा में गैस प्रवास, पृथ्वी के भीतर मुख्यत: गहरी मीथेन, ज्वालामुखी, भूस्खलन, और नाभिकीय परिक्षण ऐसे मुख्य दोष हैं।