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महंगे स्पेक्ट्रम से कॉल दरें और बढ़ने के आसार

आाने वाले दिनों में देश में मोबाइल सेवा का महंगा होना तय माना जा रहा है। स्पेक्ट्रम की कमी से जूझ रही दूरसंचार कंपनियों को इसके लिए और ज्यादा जेबें ढीली करनी पड़ सकती हैं। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने अगले वर्ष खुली निविदा के तहत बेचे जाने वाले अधिकांश स्पेक्ट्रम की कीमत को बढ़ाने की

By anand rajEdited By: Published: Thu, 16 Oct 2014 08:57 AM (IST)Updated: Thu, 16 Oct 2014 08:59 AM (IST)
महंगे स्पेक्ट्रम से कॉल दरें और बढ़ने के आसार

नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। आने वाले दिनों में देश में मोबाइल सेवा का महंगा होना तय माना जा रहा है। स्पेक्ट्रम की कमी से जूझ रही दूरसंचार कंपनियों को इसके लिए और ज्यादा जेबें ढीली करनी पड़ सकती हैं। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने अगले वर्ष खुली निविदा के तहत बेचे जाने वाले अधिकांश स्पेक्ट्रम की कीमत को बढ़ाने की बात कही है।

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खास तौर पर 2जी मोबाइल सेवा में इस्तेमाल होने वाले 1800 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के लिए आधार कीमत (रिजर्व प्राइस) को 10 फीसद बढ़ाकर 2,138 करोड़ रुपये प्रति मेगाहर्ट्ज करने की अनुशंसा की है। बुधवार को ट्राई ने स्पेक्ट्रम प्रबंधन पर अपनी बहुप्रतीक्षित सिफारिशें जारी की हैं। इसमें दूरसंचार मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय से आपस में बातचीत करने का आग्रह किया गया है। इससे ही रक्षा मंत्रालय के पास पड़े अतिरिक्त स्पेक्ट्रम को खाली कर उसका वाणिज्यिक उपयोग किया जा सकेगा। दूरसंचार विभाग से (डॉट) अलग से कहा गया है कि वह रक्षा मंत्रालय से बातकर 20 मेगाहर्ट्ज से ज्यादा का स्पेक्ट्रम खाली करवाए। इसी तरह से सरकारी कंपनी बीएसएनएल के पास अतिरिक्त पड़े स्पेक्ट्रम को भी लेकर उसका खुली निविदा के तहत नीलामी करने की सिफारिश की गई है। ट्राई ने एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया, रिलायंस कम्यूनिकेशंस जैसी कंपनियों के वर्ष 2015 के अंत या 2016 के शुरू में खत्म हो रहे लाइसेंस की समस्या का भी समाधान निकालने की कोशिश की है।

नियामक ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि इन कंपनियों की सेवाओं को जारी रखने के लिए इन्हें और ज्यादा स्पेक्ट्रम देने की वकालत की है। इन कंपनियों की सुविधा के लिए ही फरवरी-मार्च, 2015 में एकमुश्त बड़ी मात्रा में स्पेक्ट्रम नीलामी की बात कही गई है।

ट्राई के मुताबिक 900, 1800 और 2100 मेगाहर्ट्ज श्रेणी के स्पेक्ट्रम की नीलामी एक साथ होनी चाहिए ताकि मौजूदा दूरसंचार कंपनियां भी भविष्य की अपनी रणनीति बना सके। इन कंपनियों के बीच 184 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी करने की सिफारिश प्राधिकरण ने की है।

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