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अब मोबाइल कंट्रोल रूम रखेगा आतंकी समर्थकों पर नजर

रणनीति के तहत मोबाइल कंट्रोल रूम बख्तरबंद गाड़ी में होगा ताकि सभी के साथ पूरा समन्वय बनाया जा सके।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Wed, 22 Feb 2017 02:38 AM (IST)Updated: Wed, 22 Feb 2017 05:57 AM (IST)
अब मोबाइल कंट्रोल रूम रखेगा आतंकी समर्थकों पर नजर
अब मोबाइल कंट्रोल रूम रखेगा आतंकी समर्थकों पर नजर

नवीन नवाज, श्रीनगर। मुठभेड़ के दौरान स्थानीय ग्रामीणों व आतंकी समर्थकों द्वारा पथराव की बढ़ती वारदातों से सुरक्षाबलों के समक्ष तो संकट पैदा हो ही रहा है, दुर्दात आतंकी भी उनकी पकड़ से भाग निकलने में कामयाब हो रहे हैं लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। जहां मुठभेड़ होगी वहां मोबाइल कंट्रोल रूम सारी स्थिति पर नजर रखेगा। सुरक्षा समिति की 15 फरवरी को हुई बैठक में रणनीति को अंतिम रूप दिया गया।

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रणनीति के तहत मोबाइल कंट्रोल रूम बख्तरबंद गाड़ी में होगा ताकि सभी के साथ पूरा समन्वय बनाया जा सके। यह संबंधित क्षेत्र से सुरक्षाबलों के पूरी तरह हटने तक मौजूद रहेगा। जम्मू-कश्मीर में सभी जिला उपायुक्तों को इस बात के लिए पूरी तरह उत्तरदायी बनाया गया है कि वह मुठभेड़ स्थल के आसपास के तीन किलोमीटर के दायरे में निषेधाज्ञा लागू करते हुए किसी भी परिस्थिति में लोगों की भीड़ जमा नहीं होने देंगे।

पुलिस को आतंकियों के ओवरग्राउंड वर्करों, मुखबिरों की निशानदेही करते हुए उन लोगों को चिन्हित कर अलग थलग करना है जो अक्सर मुठभेड़ के समय ग्रामीणों को आतंकियों की मदद के लिए उकसाते हुए सुरक्षाबलों के खिलाफ दीवार बनने को तैयार करते हैं। इस नीति का सबसे अहम बिंदु पत्थरबाजों की निशानदेही कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के अलावा स्थानीय लोगों से संवाद बनाकर कानून व्यवस्था बनाए रखने में उनकी मदद यकीनी बनाना है।

नई रणनीति के अन्य बिंदुओं में तय किया गया है कि किसी भी जगह आतंकियों के खिलाफ तभी अभियान चलाया जाए जब वहां उनकी मौजूदगी की पक्की सूचना हो। इसके अलावा यथासंभव अभियान अंधेरा होते ही शुरू किया जाए और सुबह सूरज निकलने तक समाप्त किया जाए। इससे भी ग्रामीणों को मुठभेड़ स्थल पर जमा होने का मौका नहीं मिलेगा और न आतंकी भाग सकेंगे।

उल्लेखनीय है कि बीते कुछ समय से वादी में जहां भी आतंकी फंसते हैं, वहां लोग जमा होकर उत्तेजक नारेबाजी करते हुए सुरक्षाबलों पर पथराव शुरू कर देते हैं। ऐसे हालात में सुरक्षाबलों को न सिर्फ जानी नुकसान उठाना पड़ता है, बल्कि उन्हें कई बार ग्रामीणों के प्रति बल प्रयोग भी करना पड़ा और कानून व्यवस्था का संकट भी पैदा हुआ।

मुठभेड़ के दौरान होने वाले पथराव के बीच ही गत एक माह के दौरान 16 जगह आतंकी बच निकलने में कामयाब रहे हैं। लश्कर का मोस्ट वांटेड आतंकी दुजाना भी बीते एक सप्ताह में चार बार भागने में कामयाब रहा है।

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