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2500 श्रद्धालुओं के साथ काशी दर्शन को चले मनसे विधायक

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। मुंबई में रह रहे पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों पर कहर बरसाने में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना भले ही आगे रहती हो, लेकिन वहां के प्रमुख तीर्थ काशी के प्रति इस पार्टी के लोगों का प्रेम भी कम नहीं है। संभवत: इसीलिए मनसे के एक विधायक राम कदम अपने विधानसभा क्षेत्र के 2500 लोगों को लेकर मंगलवार को काशी यात्रा पर निकल चुके हैं।

By Edited By: Published: Tue, 23 Apr 2013 08:41 PM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2013 09:59 PM (IST)
2500 श्रद्धालुओं के साथ काशी दर्शन को चले मनसे विधायक

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। मुंबई में रह रहे पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों पर कहर बरसाने में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना भले ही आगे रहती हो, लेकिन वहां के प्रमुख तीर्थ काशी के प्रति इस पार्टी के लोगों का प्रेम भी कम नहीं है। संभवत: इसीलिए मनसे के एक विधायक राम कदम अपने विधानसभा क्षेत्र के 2500 लोगों को लेकर मंगलवार को काशी यात्रा पर निकल चुके हैं।

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राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के 12 विधायकों में से एक राम कदम कहते हैं कि हर व्यक्ति की इच्छा रहती है कि वह मरने से पहले एक बार काशी के दर्शन करे । अपने माता-पिता की यह इच्छा हर बेटे को पूरी करनी चाहिए। कदम के अनुसार उनके क्षेत्र के बहुत से बुजुर्ग आर्थिक कारणों से काशी-प्रयाग की यात्रा नहीं कर पा रहे थे, इसलिए उन्होंने स्वयं ऐसे लोगों को यह तीर्थ करवाने का जिम्मा उठाया है। आज दोपहर एक विशेष ट्रेन से वह 2500 का पहला जत्था लेकर काशी के लिए रवाना हो चुके हैं। यह यात्रा यहीं नहीं रुकनेवाली। राम कदम की काशी यात्रा सूची में 31000 लोग अपना नाम दर्ज करवा चुके हैं। भविष्य में और कई जत्थे भेजकर इन सभी को काशी यात्रा करवाई जाएगी। पहले जत्थे में राम कदम खुद जा रहे हैं। इसके बाद उनके स्वयंसेवक इस यात्रा में श्रद्धालुओं के साथ होंगे।

इस बार जा रहे श्रद्धालुओं में 95 फीसदी मराठीभाषी हैं। सुदूर काशी की यात्रा उनके लिए सपने जैसी होती है। इसीलिए आज मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनस से रवाना हुई विशेष ट्रेन को विदा करने के लिए मनसे नेताओं के अलावा श्रद्धालु तीर्थयात्रियों के परिजन भी बड़ी संख्या में मौजूद थे। गौरतलब है कि काशी से महाराष्ट्र का संबंध काफी पुराना रहा है। छत्रपति शिवाजी महाराज का राजतिलककाशी के पंडित गागा भंट्ट ने ही करवाया था। शिवाजी के राजकवि भूषण एवं उनके पुत्र संभाजी महाराज का अंत समय तक साथ देने वाले कवि कलश भी हिंदी प्रदेश से ही थे। छत्रपति शिवाजी महाराज के बाद मराठीभाषियों की दूसरी सबसे बड़ी आदर्श झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का तो जन्मस्थान ही वाराणसी रहा है। तुलसीघाट पर अब उनका भव्य स्मारक भी बनकर तैयार हो चुका है।

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