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2जी घोटाला: मित्तल व रुइया को कोर्ट में पेश होने का आदेश

2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामले में भारती एयरटेल के मालिक सुनील भारती मित्तल समेत तीन कंपनियों के प्रमुख अधिकारियों को सीबीआई की विशेष अदालत में बतौर आरोपी पेश होने के लिए सम्मन जारी किया गया है। सीबीआई की विशेष अदालत ने भारती एयरटेल के मालिक सुनील भारती मित्तल, एस्सार ग्रुप के प्रमोटर रवि रुइया

By Edited By: Published: Wed, 20 Mar 2013 10:20 AM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2013 10:23 AM (IST)
2जी घोटाला: मित्तल व रुइया को कोर्ट में पेश होने का आदेश

नई दिल्ली। 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामले में भारती एयरटेल के मालिक सुनील भारती मित्तल समेत तीन कंपनियों के प्रमुख अधिकारियों को सीबीआई की विशेष अदालत में बतौर आरोपी पेश होने के लिए सम्मन जारी किया गया है।

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सीबीआई की विशेष अदालत ने भारती एयरटेल के मालिक सुनील भारती मित्तल, एस्सार ग्रुप के प्रमोटर रवि रुइया और हचिसन मैक्स टेलीकॉम के प्रबंध निदेशक असीम घोष को मंगलवार को सम्मन जारी कर कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। इन तीनों के अलावा कोर्ट ने पूर्व दूरसंचार सचिव श्यामल घोष को भी अदालत में पेश होने को कहा है।

कोर्ट का यह आदेश सीबीआई द्वारा राजग के कार्यकाल के दौरान हुई गड़बड़ियों पर दाखिल की गई चार्जशीट से एकदम उलट है जिसमें केवल श्यामल घोष और तीन दूरसंचार कंपनियों को ही आरोपी बनाया गया है। कोर्ट के इस आदेश के बाद 2जी घोटाले का दायरा और बढ़ गया है।

सीबीआई ने चार्जशीट में कहा है कि राजग कार्यकाल के दौरान तत्कालीन दूरसंचार मंत्री प्रमोद महाजन द्वारा स्पेक्ट्रम आवंटन की प्रक्रिया में सरकार को 846 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था जिसमें पूर्व दूरसंचार सचिव श्यामल घोष मुख्य आरोपी थे। लेकिन कोर्ट ने सीबीआई की इस दलील को नहीं माना। कोर्ट के मुताबिक सीबीआई ने अपनी एफआईआर और चार्जशीट में जो बातें कही हैं, उससे यह साफ जाहिर होता है कि तीन कंपनियों भारती एयरटेल, एस्सार ग्रुप और हचिसन मैक्स टेलीकॉम का नाम भी चार्जशीट में जोड़ा जाना चाहिए। कोर्ट के अनुसार ये लोग कंपनी के ऊंचे पद पर काबिज थे इसलिए कंपनी ने जो गड़बड़ी की उसकी जिम्मेदारी इनकी बनती है।

उधर, भारतीय एयरटेल और एस्सार ग्रुप ने कोर्ट के आदेश पर अपनी सफाई देते हुए कहा है कि घोटाले से उनका कोई लेना-देना नहीं है। एयरटेल ने जहां न्यायपालिका में अपना भरोसा जताते हुए कहा कि जल्द ही उनकी बेगुनाही साबित होगी। जबकि एस्सार ग्रुप का कहना है कि ज्यादातर फैसले हचिसन ने लिए थे, जो कंपनी की बड़ी हिस्सेदार थी। इसलिए उस पर आरोप लगाना गलत है। एस्सार ने कोर्ट के आदेश को चुनौती देने की भी बात कही है।

बहरहाल, अब दूरसंचार कंपनियों के आला अधिकारियों को 11 अप्रैल को कोर्ट में पेश होना पड़ेगा और अदालत ये तय करेगी कि इनके खिलाफ क्या कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाए।

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