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मिशन गगनयान : भारतीय वायुसेना के दो फ्लाइट सर्जन स्पेस मेडिसिन का प्रशिक्षण लेने जाएंगे रूस

इसरो के अधिकारी ने बताया कि अंतरिक्ष में मानव भेजने का भारत का यह मिशन बेहद महत्वाकांक्षी है। इस अभियान के लिए अंतरिक्ष यात्रियों का प्रशिक्षण बेहद महत्वपूर्ण है। कोविड-19 के कारण इस मानव मिशन में थोड़ी देरी होने की आशंका है।

By Neel RajputEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2021 05:38 PM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2021 05:38 PM (IST)
मिशन गगनयान : भारतीय वायुसेना के दो फ्लाइट सर्जन स्पेस मेडिसिन का प्रशिक्षण लेने जाएंगे रूस
एयरोस्पेस में दक्ष डॉक्टर स्पेस मेडिसन के क्षेत्र में रूसी अनुभवों का लाभ लेंगे

नई दिल्ली, प्रेट्र । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार भारत गगनयान अभियान के लिए स्पेस मेडिसिन के क्षेत्र में रूसी अनुभवों का लाभ लेने जल्द ही दो फ्लाइट सर्जन रूस के लिए उड़ान भरेंगे। यह फ्लाइट सर्जन भारतीय वायुसेना के डॉक्टर हैं जो एयरोस्पेस मेडिसन में दक्ष हैं। इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि यह फ्लाइट सर्जन जल्द ही रवाना होंगे और इन्हें रूस में प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद प्रशिक्षण के लिए फ्लाइट सर्जन को फ्रांस भी भेजा जाएगा। इसरो के अधिकारी ने बताया कि अंतरिक्ष में मानव भेजने का भारत का यह मिशन बेहद महत्वाकांक्षी है। इस अभियान के लिए अंतरिक्ष यात्रियों का प्रशिक्षण बेहद महत्वपूर्ण है।

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फ्लाइट सर्जन पर अंतरिक्ष अभियान से पहले, उसके दौरान और उसके बाद भी अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी होती है। इसलिए फ्लाइट सर्जन को एक अंतरिक्ष यात्री को दिया जानेवाला प्रशिक्षण भी दिया जाना बेहद जरूरी होता है। गगनयान एक महत्वाकांक्षी अभियान है। इसके तहत वर्ष 2022 में तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा जाना है। हालांकि इस अभियान में कोविड-19 के कारण थोड़ा विलंब भी हो सकता है। चूंकि इस वैश्विक महामारी के कारण उद्योग जगत से इसरो को मिलने वाली आपूर्ति बाधित हुई थी।ध्यान रहे कि भारतीय वायुसेना के चार टेस्ट पायलटों का चयन अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले भारत के मानव मिशन के लिए किया जा चुका है। इन चारों का प्रशिक्षण पिछले साल फरवरी से मास्को के पास यूरी गैगरीन रीसर्च एंड कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में चल रहा है।

अंतरिक्ष में जाने वाले दुनिया के पहले अंतरिक्ष यात्री यूरी गैगरीन के नाम पर इस सेंटर का नाम पड़ा है। इस सेंटर का नाम मानव मिशन कार्यक्रमों को मदद करने, अंतरिक्ष में खोजी गतिविधियों, स्पेस इंजीनियरिंग और अंतरिक्ष की यात्रा के बाद अंतरिक्ष यात्रियों के पुनर्वास कार्यक्रम के लिए किया जाता है। भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों का प्रशिक्षण वैश्विक महामारी कोविड-19 के चलते रूस में लागू हुए लॉकडाउन से प्रभावित हुआ है। उनके मार्च में भारत वापस लौटने की उम्मीद है। अधिकारी ने बताया कि फ्लाइट सर्जनों को प्रशिक्षण के लिए फ्रांस भी भेजा जाएगा। स्पेस सर्जनों के प्रशिक्षण का फ्रेंच माड्यूल भी अपेक्षाकृत थ्योरिटकल अधिक है। वर्ष 2018 में फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी सीएनईएस के तत्कालीन फ्लाइट सर्जन ब्रिजिट गोगार्ड भी भारत आए थे। उन्होंने यहां चिकित्सकों और इंजीनियरों के प्रशिक्षण का कार्यक्रम शुरू किया था। स्पेस मेडिसिन के क्षेत्र में फ्रांस की बेहतरीन उपलब्धियां हैं। इसकी सहायक संस्था सीएनईएस में मेडेस स्पेस क्लीनिक भी है जहां प्रशिक्षण के लिए स्पेस सर्जन को भेजा जाता है।


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