Missing AN-32: जब एक महीने के सर्च अभियान के बाद भी नहीं मिला विमान
Missing AN-32 यह विमान साल 2016 में बंगाल की खाड़ी से लापता हो गया था। इस विमान का पता लगाने के लिए एक माह तक खोजी अभियान चलाया गया था। इसके बाद भी कोई जानकारी नहीं मिली।
नई दिल्ली, जेएनएन। Missing AN-32, वायुसेना का लापता मालवाहक विमान AN-32 का मलबा मिल गया है। इस विमान ने 3 जून को अरुणाचल प्रदेश में चीन सीमा के पास स्थित मेचुका एयरबेस से दोपहर 1 बजे लापता हो गया था। इसके बाद वायु सेना ने लगातार नौ दिन तक खोजी अभियान चलाया और इसके बाद भी अब-तक इस पर सवार और चालक दल के सदस्यों के बारे में अब भी जानकारी जुटाया जाना बाकी है। बता दें कि यह पहला ऐसा अवसर नहीं है जब AN-32 विमान इस तरह से हादसे का शिकार हुआ हो। इससे पहले यह विमान साल 2016 में बंगाल की खाड़ी से लापता हो गया था। इस विमान का पता लगाने के लिए एक माह तक खोजी अभियान चलाया गया था। इसके बाद भी कोई जानकारी नहीं मिली।
2016 में बंगाल की खाड़ी से लापता हो गया था AN-32 विमान
इससे पहले जुलाई 2016 में, भारतीय वायुसेना का एक AN-32 परिवहन विमान 29 लोगों के साथ बंगाल की खाड़ी से लापता हो गया था। इस विमान ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लिए चेन्नई के एक एयरबेस से उड़ान भरी थी। इस विमान का उड़ान भरने के लगभग एक घंटे बाद रडार से संपर्क टूट गया था। इस विमान के लापता होने के बाद वायुसेना ने अबतक का सबसे लंबा खोजी अभियान चलाया था, जो लगभग एक माह तक चला था। इसके बाद भी विमान के बारे में कुछ पता नहीं चल सका था।
मेचुका में पहले भी दुर्घटनाग्रस्त हो चुका AN-32 एयरक्राफ्ट
जलाई 2016 से पहले यह विमान दो बार दुर्घटनाग्रस्त हो चुका है। पहली बार 25 मार्च 1986 को हिंद महासागर के ऊपर से यह विमान गायब हुआ था। तब यह विमान सोवियत यूनियन से ओमान के रास्ते होते हुए भारत आ रहा था। इसमें तीन क्रू मेंबर और चार यात्री सवार थे। तब इस विमान और उन लोगों के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया था। उसके बाद दूसरी बार 10 जून 2009 को अरुणाचल प्रदेश के मेचुका से उड़ान भरने के बाद ये विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उस समय एएन-32 विमान में कुल 13 लोग सवार थे।
इंदिरा गांधी की सरकार के समय रूस से मंगाया विमान
Antonov An-32 दो इंजन वाला टर्बोप्रोप मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट है। ये एयरक्राफ्ट रूसी विमान एएन-26 का आधुनिक वर्जन है। इस विमान की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह किसी भी मौसम में उड़ान भरने में सझम है। इस एयरक्राफ्ट को इंदिरा गांधी की सरकार के समय रूस और भारत के बीच दोस्ताना संबंध और भारतीय वायुसेना की जरूरतों को देखते हुए मंगाया गया था।
इसका अधिकतम इस्तेमाल कम और मध्यम हवाई दूरी के लिए सैन्य साजो-सामान पहुचांने, आपदा के समय घायलों को अस्पताल लाने-ले जाने और जावनों को एक जगह दूसरी जगह पहुंचाने में किया जाता है। भारत में जब भी युद्ध और प्राकृतिक आपदा जैसी परिस्थितियों हुई है इस विमान ने इंडियन एयरफोर्स का बहुत साथ निभाया है। कारगिल युद्ध के दौरान यह विमान जवानों को दुर्गम स्थानों पर भेजने में अहम साबित हुआ था। दुनिया के 10 देशों में 240 से अधिक एएन विमान संचालित किए जा रहे हैं। भारत में 105 विमान अभी सेवा में हैं।
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