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डिटेंशन सेंटर को लेकर है कई भ्रांतियां, जानें- कौन करता है संचालित और किसे रखा जाता है यहां

फॉरेनर्स एक्ट 1946 के तहत केंद्र सरकार किसी भी विदेशी नागरिक की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा सकती है और जरूरत पड़ने पर उसे किसी एक खास स्थान पर रखा जा सकता है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 26 Dec 2019 10:28 PM (IST)Updated: Fri, 27 Dec 2019 07:40 AM (IST)
डिटेंशन सेंटर को लेकर है कई भ्रांतियां, जानें- कौन करता है संचालित और किसे रखा जाता है यहां

नीलू रंजन, नई दिल्ली। पूरे देश में डिटेंशन सेंटर को लेकर चर्चा और आरोप-प्रत्यारोप का बाजार गर्म है। यह राजनीतिक मुद्दा बन गया है और सत्तापक्ष और विपक्ष की ओर से एक दूसरे को झूठा तक कहा जा रहा है। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार पूरे देश में डिटेंशन सेंटर बना रही है। हकीकत यह है कि पासपोर्ट एक्ट और फारेनर्स एक्ट केंद्र सरकार को विदेशी नागरिकों को देश से बाहर निकालने का अधिकार जरूर देता है, लेकिन इसे लागू करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है। राज्य सरकार ही डिटेंशन सेंटर बनाती है और उसी के द्वारा उसे संचालित भी किया जाता है।

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राज्यों में पिछले कई दशकों से चल रहे हैं डिटेंशन सेंटर

दरअसल डिटेंशन सेंटर वैसी जगह होती है जहां पर अवैध विदेशी नागरिकों को रखा जाता है। केंद्र सरकार को संविधान के तहत ऐसी शक्ति दी गई है कि वह अवैध तरीके से भारत में रह रहे किसी भी विदेशी नागरिकों को देश से बाहर निकाल सकती है। विदेशी नागरिकों को वापस भेजने की प्रक्ति्रया के दौरान उन्हें डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है। गृहमंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आधार पर ही देश के अलग-अलग हिस्सों में डिटेंशन सेंटर स्थापित किए गए थे। गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ऐसे डिटेंशन सेंटर पिछले कई दशकों से कई राज्यों में चल रहे हैं और उनका एनआरसी से कोई संबंध नहीं है।

हर साल आते हैं हजारों मामले

फॉरेनर्स एक्ट 1946 के तहत केंद्र सरकार किसी भी विदेशी नागरिक की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा सकती है और जरूरत पड़ने पर उसे किसी एक खास स्थान पर रखा जा सकता है। इसके अलावा पासपोर्ट एक्ट, 1920 के तहत भी केंद्र सरकार किसी भी ऐसे व्यक्ति को जिसके पास वैध पासपोर्ट वीजा या ट्रैवल दस्तावेज नहीं है उसे भारत से निकाल बाहर कर सकता है। पूरे देश में हर साल हजारों ऐसे मामले आते हैं, जिसमें विदेशी नागरिक या तो वीजा शर्तों के उल्लंघन का दोषी पाया जाता है या फिर वीजा की अवधि से अधिक समय तक भारत में रूक जाता है। ऐसे में उसे वापस भेजना सरकार की जिम्मेदारी बनती है और बीच की अवधि में उसे डिटेंशन सेंटर में रखना अनिवार्य हो जाता है।

यही कारण है कि असम को छोड़कर दिल्ली, मुंबई और बंगलुरू जैसे स्थान पर डिटेंशन सेंटर खोले गए हैं, क्योंकि अधिकांश विदेशी नागरिक यहीं से भारत आते हैं। पासपोर्ट व वीजा एक्ट के उल्लंघन करने वाले विदेशी नागरिकों को पकड़ने और उन्हें डिटेंशन सेंटर में रखने की जिम्मेदारी भी राज्य सरकारों की होती है। केंद्र के पास डिटेंशन सेंटर खोलने और उन्हें संचालित करने वाली कोई एजेंसी नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 258 (1) के तहत केंद्र सरकार फारेनर्स एक्ट और पासपोर्ट एक्ट से मिली शक्तियों को राज्य सरकारों को सौंप देता है।


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