Move to Jagran APP

लाखों किसानों की होने वाली है बल्ले- बल्ले, जायद फसलों से होगी जबरदस्त कमाई

केंद्र की राजग सरकार ने जायद सीजन की फसलों पर फोकस किया है। इसके लिए सीजन की फसलों के बीजों की आपूर्ति हर राज्य की जरूरत के हिसाब से की जाएगी।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 18 Jan 2020 07:50 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jan 2020 05:21 PM (IST)
लाखों किसानों की होने वाली है बल्ले- बल्ले, जायद फसलों से होगी जबरदस्त कमाई
लाखों किसानों की होने वाली है बल्ले- बल्ले, जायद फसलों से होगी जबरदस्त कमाई

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। कितने लोगों को पता है कि जायद क्या होती है। सच्चाई तो यह है कि कृषि प्रधान देश में सरकारों ने भी सिर्फ रबी और खरीफ को याद रखा था, जायद भुला दिया था। जायद यानी खरीफ और रबी सीजन के बीच की फसलें जो न तो अधिक पानी मांगती है न खाद, फिर भी फसल लहलहाती हैं। अफसोस कि देश की लगभग 70 फीसद खेत इस दौरान खाली पड़े रहते हैं। बिहार और पश्चिम बंगाल में धान की खेती के बाद तकरीबन 10 लाख हेक्टेयर खेत परती पड़े रहते हैं। न तो किसान जागते हैं और न ही सरकार। अब सरकार जागी है और किसानों को जगाने का फैसला किया गया है। पहली बार जायद सीजन की फसलों की तैयारी के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसमें सभी राज्यों के कृषि सचिवों और अन्य प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। किसानों को जानकारी से लेकर बीज तक उपलब्ध कराए जाएंगे। जाहिर तौर पर 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने में भी इसका बड़ा हाथ होगा।

loksabha election banner

इस दौरान लगाई जाने वाली फसलों में तेज गरमी और शुष्क हवाओं को सहने की अच्छी क्षमता होती है। क्योंकि इस दौरान बारिश की संभावना न के बराबर ही रहती है, जबकि गरमी की शुरुआत हो जाती है। ऐसे मौसम में उत्तरी राज्यों में तरबूज, खरबूजा, खीरा, ककड़ी, तोरी, भिंडी, टिंडा और करेला की खेती होती है। इनमें खेत में पैदा होने वाले फल और सब्जियां दोनों होती हैं। इसके अलावा दलहन और तिलहन की फसलें भी होती हैं, जिनमें मूंग और उड़द के साथ तिलहनी सूरजमुखी की खेती भी होती है।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सम्मेलन के इस मौके पर सभी राज्यों के प्रतिनिधियों से इस अवसर का लाभ उठाने की अपील की। उन्होंने कहा कि कुपोषण दूर करने के लिए जायद की फसलें सबसे मुफीद साबित हो सकती हैं। इनमें सब्जियां और फल शामिल हैं। कृषि मंत्रालय की योजना के मुताबिक जायद की फसलों के लिए उपयुक्त बीजों की आपूर्ति सबसे बड़ी चुनौती है, जिससे निपटने की तैयारियां पहले से ही कर ली गई हैं। राज्यों में इच्छुक किसानों को बीजों के पैकेट प्रदान करेगी।

केंद्र की राजग सरकार ने जायद सीजन की फसलों पर फोकस किया है। इसके लिए सीजन की फसलों के बीजों की आपूर्ति हर राज्य की जरूरत के हिसाब से की जाएगी, जिसकी जानकारी राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान प्राप्त की गई। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत साल के तीनों सीजन के पहले दो-दो हजार रुपये की किश्तें किसानों के खाते में जमा कराती है। इस बार जायद सीजन के ठीक पहले योजना की किश्त किसानों के बैंक खाते में पहुंच जाएगी।

तथ्य यह है कि एक वर्ष में कुल छह ऋतुएं ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर और बसंत होती है। खेती के तीन मौसम रबी, खरीफ और जायद है। जलवायु के हिसाब से खेती और उपज होती रही है, लेकिन हरितक्रांति के बाद से स्थितियां बदलीं तो सारा ध्यान खाद्यान्न पर टिक गया। बाकी फसलें तिलहन, दलहन और बागवानी हाशिये पर चली गई। इसी सीजनल असंतुलन के चलते कुपोषण की समस्या भी गंभीर हो गई, जिससे उबारने के लिए अपनी परंपरागत खेती को फिर से आगे बढ़ाने की कोशिशें की जा रही हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.