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सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को यूपी सरकार से मिल रही अनेक प्रकार की राहत

योगी सरकार ने नीति निर्धारण स्तर पर अनेक सार्थक कदम उठाए। उद्योगों के प्रति उत्तर प्रदेश सरकार के संवेदनशील होने के कारण उद्यमियों को दशकों पुरानी चुनौतियों से छुटकारा मिला है और प्रदेश में औद्योगिक निवेश के लिए नया माहौल बना है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 06 Aug 2021 10:34 AM (IST)Updated: Fri, 06 Aug 2021 12:57 PM (IST)
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को यूपी सरकार से मिल रही अनेक प्रकार की राहत
राज्य में औद्योगिक निवेश बढ़ाने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है। प्रतीकात्मक

पंकज कुमार। कोरोना की दूसरी लहर में उत्तर प्रदेश सरकार का माडल उद्योगों के लिए संजीवनी साबित हो रहा है। अनेक समस्याओं के बावजूद सरकार ने इंडस्टियल लाकडाउन नहीं किया। नए उद्यमियों ने इस त्रसदी में भी उद्यमिता का परिचय देते हुए एक अवसर की तलाश की। अनेक उद्यमियों ने आक्सीजन प्लांट, आक्सीजन कंसन्ट्रेटर जैसे उपकरणों का निर्माण शुरू किया। कोरोना संक्रमण की पहली लहर में मास्क और पीपीई किट बनाने का हमारे उद्यमियों ने भरपूर प्रयास किया था। इस बार आक्सीजन कंसन्ट्रेटर, थर्मल स्कैनर, यूवी चैंबर, वेंटीलेटर आदि उपकरण बनाने की दिशा में उद्यमियों का प्रयास ‘मेक इन इंडिया’ की परिकल्पना को साकार करता है। भविष्य में हम दवाओं, जीवन रक्षक उपकरणों का पर्याप्त निर्माण कर पाएंगे, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सार्थक कदम होगा।

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कोरोना कफ्यरू के दौर में भी उद्योगों को आंशिक तौर पर छूट मिलने से उद्यमियों ने उत्पादन की प्रक्रिया को चालू रखा। इस दौर में खानपान की चीजों के उत्पादन पर कोई रोक नहीं होने के कारण फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में सरकार की मंशा के अनुरूप काफी काम आगे बढ़ा है। एक्सपोर्ट सेक्टर में कोरोना की दूसरी लहर में कोई विशेष फर्क नहीं पड़ा है। इस आपदा काल में सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि सर्विस सेक्टर में हुई है। अब आनलाइन एप के माध्यम से घरों में आवश्यक चीजों की आपूर्ति करने का प्रचलन बढ़ा है। संक्रमण में आइसोलेशन के कारण कोई भी व्यक्ति सामान्य रूप से बाहर निकलने से परहेज करता है, लेकिन उद्यमियों के प्रयास से अधिकांश वस्तुएं मसलन दवाएं, फल, सब्जी, घरेलू सामान आदि घर पर ही डिलीवर हो जाते हैं। इस प्रकार आइटी का प्रयोग करके सíवस सेक्टर में डोर स्टेप डिलीवरी से संबंधित व्यवसाय में काफी वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं, जो उद्यमी विनिर्माण सेक्टर में कार्य करते थे, उन्होंने अपना विस्तार सíवस सेक्टर में किया है।

आइआइए ने आइआइए मार्ट नामक पोर्टल बनाया है, जो एमएसएमई के बीच उनके द्वारा उत्पादित माल की खरीद और बिक्री का एक सशक्त और उपयोगी माध्यम है। सूक्ष्म, लघु उद्यमियों के लिए आइटी एक अवसर के रूप में सामने आया है, जिसका अधिकतम इस्तेमाल करने के बारे में हमें सोचना चाहिए। कोरोना काल में हमने समय समय पर शासन-प्रशासन को सुझाव दिए हैं, जो कारगर सिद्ध हुए हैं। आइआइए ने राष्ट्रीय स्तर पर और पूरे प्रदेश में चैप्टर लेवल पर कोविड हेल्प डेस्क की एक ऐसी प्रणाली विकसित की है, जिससे किसी भी पीड़ित व्यक्ति तक तुरंत सहायता पहुंचाई जा सकती है। हमने चिकित्सकों का एक पैनल भी बनाया है, जिससे पूरे प्रदेश में एमएसएमई इंडस्ट्री के श्रमिक, मजदूर और स्टाफ लाभान्वित हुए हैं। सरकार ने कोरोना से संबंधित कुछ वस्तुओं की जीएसटी में भी कमी की है। इससे एमएसएमई का हौसला बढ़ा है। सरकार ने सब्सिडी की भी घोषणा की है। ब्याज दर में भी कमी किए जाने के आसार हैं। लेकिन अब भी कुछ चुनौतियां हैं, जिसके बारे में सरकार के सहयोग की आवश्यकता है।

केंद्र और राज्य सरकार ने संवेदनशीलता का परिचय देते हुए उद्यमियों के हित में संजीदगी से निर्णय लिए हैं। केंद्र सरकार ने इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम के तहत उद्यमियों को पूंजीगत लाभ पंहुचाने के प्रयास किए। पूर्व में दिए गए लोन की ब्याज की अदायगी में मोरेटोरियम के तहत स्थगन दिया गया। अतिरिक्त देय ब्याज को लोन में बदलते हुए उद्यमियों को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया गया। इसका फायदा यह हुआ कि लगभग बंदी के कगार पर पहुंच गए उद्योग-धंधे भी चलने की स्थिति में आ गए। केंद्र सरकार की विभिन्न सरकारी परियोजनाओं को चलाने के आश्वासन से उद्योगों को बल मिला।

योगी सरकार ने नीति निर्धारण स्तर पर अनेक सार्थक कदम उठाए। इसके तहत पूर्व में स्थापित इकाइयों के उन्नयन, उद्यमियों की समस्याओं के निराकरण के लिए संवेदनशील, प्रशासकीय व्यवस्था देने और इज आफ डूइंग बिजनेस के लिए अनुकूल औद्योगिक परिवेश बनाने के तहत औद्योगिक भूखंडों के समय विस्तारण को सुगम बनाने का प्रयास किया गया। उद्यमियों को देरी से भुगतान अहम समस्याओं में से एक रही है। इस दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार ने पहल करते हुए प्रदेश के सभी मंडलों में फेसिलिटेशन काउंसिल का गठन किया।

भूजल नीति के तहत उद्योगों को जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के क्रम में राज्य जल बोर्ड द्वारा जारी नियमावली में भूजल निष्कर्षण में एमएसएमई को किसी लाइसेंस की अनिवार्यता से मुक्त किया गया। इससे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमियों को ईज आफ डूइंग बिजनेस के तहत राहत मिली है। यूपी सरकार ने प्रादेशिक औद्योगिक नीति 2020 का एक प्रस्ताव तैयार किया, जिसमें विभिन्न औद्योगिक संगठनों के माध्यम से इस विषय पर सुझाव मांगे गए। प्रदेश के सभी औद्योगिक क्षेत्रों की समीक्षा करते हुए खाली पड़े औद्योगिक भूखंडों को नए उद्यम को उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयास शुरू किए गए हैं। राज्य में औद्योगिक निवेश बढ़ाने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है।

[निवर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन]


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