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सरकार ने कंपनियों से पूरा वेतन देने की बाध्यता हटाई, लॉकडाउन संबंधी पुराना आदेश वापस लिया

केंद्र सरकार ने अपना वह आदेश वापस ले लिया है जिसके तहत लॉकडाउन के दौरान कारखाने बंद रहने के बावजूद कंपनियों को कर्मचारियों को पूरा वेतन देने की बाध्ययता थी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 19 May 2020 01:56 AM (IST)Updated: Tue, 19 May 2020 01:56 AM (IST)
सरकार ने कंपनियों से पूरा वेतन देने की बाध्यता हटाई, लॉकडाउन संबंधी पुराना आदेश वापस लिया

नई दिल्ली, पीटीआइ। देश में लॉकडाउन का चौथा चरण शुरू होते ही केंद्र सरकार ने कंपनियों और वाणिज्यिक इकाइयों को बड़ी राहत दे दी है। सरकार ने अपना वह आदेश वापस ले लिया है जिसके तहत देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान कारखाने और दफ्तर बंद रहने के बावजूद कंपनियों को अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन देने की बाध्ययता थी।

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कोरोना के संक्रमण की रोकथाम के लिए सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपना पुराना फरमान वापस लेने का एलान कर दिया। सरकार के इस कदम के बाद बड़ी तादाद में कंपनियों और निर्माण उद्योगों को राहत मिलेगी। यह कंपनियां अपने कर्मचारियों को लॉकडाउन के दौरान पूरा वेतन देने में असमर्थता जताई थी।

चौथे चरण का लॉकडाउन शुरू होते ही केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने अपने रविवार को दिए आदेश में कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत नेशनल एक्जिक्यूटिव कमेटी (एनईसी) की धारा 10(2) (1) को प्रभावी किया जा रहा है। यह नियमावली 18 मई से लागू है। रविवार को जारी गाइडलाइंस के तहत छह सेटों का प्रोटोकाल जारी किया गया है। 

उन्होंने चौथे चरण की गाइडलाइंस जारी करते हुए कहा कि एनईसी ने 24 मार्च, 29 मार्च, 14 अप्रैल, 15 अप्रैल और एक मई को विशेष रूप से कहा था कि लॉकडाउन के दौरान किसी भी कर्मचारी को नौकरी से न निकाला जाए। साथ ही उनके वेतन में भी कोई कटौती न हो। इस अवधि में कंपनी के आय के साधन बंद होने के बावजूद उन्हें पूरा वेतन दिया जाए। 

गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि अब सरकार ने अपने इसी आदेश को वापस लेते हुए कहा कि संकट के इस समय में कंपनियां को पूरा वेतन देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। खास बात यह है कि विगत 15 मई को सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान कहा था कि केंद्र को पूरा वेतन देने में असमर्थ कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। 


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