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छात्रों को तनाव से उबारने के लिए बनेगा मेंटल हेल्थ फ्रेमवर्क, स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक में होगा लागू

छात्रों के तनाव को भगाने के लिए वैसे तो स्कूल से लेकर उच्च शिक्षण संस्थानों तक में अलग-अलग तरह के कई कार्यक्रम शुरू किए गए है बावजूद इसके छात्रों की आत्महत्या की घटनाएं थम नहीं रही है। File Photo

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyPublished: Wed, 22 Mar 2023 09:42 PM (IST)Updated: Wed, 22 Mar 2023 09:42 PM (IST)
छात्रों को तनाव से उबारने के लिए बनेगा मेंटल हेल्थ फ्रेमवर्क, स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक में होगा लागू
छात्रों को तनाव से उबारने के लिए बनेगा मेंटल हेल्थ फ्रेमवर्क।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। छात्रों के तनाव को भगाने के लिए वैसे तो स्कूल से लेकर उच्च शिक्षण संस्थानों तक में अलग-अलग तरह के कई कार्यक्रम शुरू किए गए है, बावजूद इसके छात्रों की आत्महत्या की घटनाएं थम नहीं रही है। महीने भर के अंदर आईआईटी मद्रास जैसे शीर्ष उच्च शिक्षण संस्थान में दो छात्रों की आत्महत्या की घटनाएं चौंकाने वाली है।

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शिक्षा मंत्रालय ने पहल की तेज

शिक्षा मंत्रालय ने इस दिशा में अपनी पहल तेज की है। जिसमें छात्रों को अब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के साथ ही उन्हें मानसिक रूप से स्वस्थ और मजबूत बनाया जाएगा। जिसे लेकर जल्द ही वह एक मेंटल हेल्थ फ्रेमवर्क जारी करने की तैयारी में है। छात्रों पर दबाव के कारण होने वाली ये घटनाएं इसलिए चिंता का कारण हैं, क्योंकि आत्महत्या की कुल घटनाओं में छात्रों की संख्या लगभग आठ फीसद है।

शिक्षा मंत्री ने की उच्चस्तरीय बैठक

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी इस मुद्दे पर पिछले दिनों मंत्रालय के अधिकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक की थी, जिसमें इस पर तेजी लाने के निर्देश दिए थे। माना जा रहा है कि यह फ्रेमवर्क महीने भर के अंदर ही जारी कर दिया जाएगा। इस फ्रेमवर्क को लेकर राय लेने की काम शुरू कर दिया है।

स्कूल से लेकर उच्च शिक्षण संस्थान में होगा लागू

इस प्रस्तावित फ्रेमवर्क के दायरे में स्कूल से लेकर उच्च शिक्षण तक रहेंगे। इसके अलावा इनमें छात्रों से जुड़ने वाले सभी पक्षकारों की जवाबदेही भी तय होगी। इनमें माता- पिता के साथ शिक्षक व संस्थान भी शामिल होंगे। मंत्रालय के जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर जो चीजें प्रभाव डालती है, वह पढ़ाई के साथ संस्थान का माहौल, वहां प्रशासनिक तंत्र, शिकायतों के निपटारे की व्यवस्था, शिक्षक का व्यवहार, माता-पिता की ओर से पढ़ाई को लेकर डाले जाने वाले दबाव आदि कारण होते है।

ऐसे में फ्रेमवर्क में सभी पहलुओं को शामिल किया जाएगा।मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, छात्रों को तनाव मुक्त रखने के लिए मनोदर्पण सहित कई कार्यक्रम चलाए जा रहे है। जिसमें छात्रों को प्रवेश परीक्षा को कई भाषाओं में कराने सहित सभी आईआईटी, एनआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों में मेंटल वेलनेल सेंटर खोलने आदि की पहल शामिल है।

शीर्ष संस्थानों में आत्महत्याएंः

इसके बाद भी आईआईटी, एनआईटीऔर आईआईएम जैसे शीर्ष संस्थानों में वर्ष 2019 में आत्महत्या की 16 घटनाएं रिपोर्ट हुई है, जबकि वर्ष 2020 में पांच , 2021 में सात, वर्ष 2022 में 16 और वर्ष 2023 में अब तक आत्महत्या की छह घटनाएं रिपोर्ट हुई है।

वहीं, नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2021 में देश भर में आत्महत्या की 1.64 लाख से ज्यादा घटनाएं रिपोर्ट हुई। इनमें करीब आठ प्रतिशत छात्र थे। यानी इनकी संख्या 13 हजार से ज्यादा है। जो एक चौंकाने वाली स्थिति है।


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