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Meghalaya rescue operation: खदान में फंसे श्रमिकों को निकालने में जुटे 200 कर्मी

नौसेना के गोताखोर सोमवार को रिमोट से पानी के भीतर चलने वाले वाहन के जरिये तहलटी का सर्वे करने मेन शाफ्ट में उतरे।

By TaniskEdited By: Published: Mon, 31 Dec 2018 07:44 PM (IST)Updated: Mon, 31 Dec 2018 07:44 PM (IST)
Meghalaya rescue operation: खदान में फंसे श्रमिकों को निकालने में जुटे 200 कर्मी
Meghalaya rescue operation: खदान में फंसे श्रमिकों को निकालने में जुटे 200 कर्मी

कसान, आइएएनएस। मेघालय के पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले की अवैध कोयला खदान में 19 दिनों से फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए साल के अंतिम दिन सोमवार को युद्धस्तर पर राहत कार्य शुरू किया गया। इसके लिए करीब 200 से भी ज्यादा कुशल अधिकारियों व कर्मचारियों को लगाया गया है। इनमें नौसेना के 14, ओडिशा दमकल विभाग के 21, कोल इंडिया के 35, एनडीआरएफ के 72 और मेघालय एसडीआरएफ के जवान शामिल हैं। खदान से पानी निकालने के लिए उच्च क्षमता वाले आठ सबमर्सिबल पंप लगाए गए हैं। एक पंप 500 गैलन पानी प्रति मिनट की दर से बाहर फेंक रहा है। 370 फीट गहरी अवैध खदान में 15 श्रमिक 19 दिनों से फंसे हुए हैं।

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बचाव अभियान के प्रवक्ता के अनुसार, 'नौसेना के गोताखोर सोमवार को रिमोट से पानी के भीतर चलने वाले वाहन के जरिये तहलटी का सर्वे करने मेन शाफ्ट में उतरे। पूर्वी जयंतिया हिल्स जिला प्रशासन से 30 मीटर की गहराई तक पानी निकालने में मदद करने की मांग की गई है, ताकि गोताखोर अपना काम सही से कर सकें।' कोल इंडिया (पूर्वोत्तर कोलफील्ड) के महाप्रबंधक ने बताया कि अभी दो और उच्च क्षमता वाले सबमर्सिबल पंप सहायक पाइप व अन्य सामग्री के साथ मंगलवार को पहुंच जाएंगे।

वर्ष 1989 में पश्चिम बंगाल की खदान में आई बाढ़ में फंसे 64 लोगों को बचाने वाले अवार्ड विजेता खनन विशेषज्ञ जसवंत सिंह गिल ने बचाव कार्य की धीमी गति पर चिंता जताई। उन्होंने बचाव कार्य में राज्य और केंद्र सरकार के बीच समन्वय का अभाव बताया।

महिला कांग्रेस ने किया प्रदर्शन

मेघालय की राजधानी शिलांग में राज्य महिला कांग्रेस ने अध्यक्ष जोप्लिन स्कॉट शायला के नेतृत्व में सोमवार को विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने श्रमिकों को बचाने के लिए शुरू किए गए कार्य की गति को धीमी बताते हुए मुख्यमंत्री कोनराड संगमा के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना की।


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