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    NATO के संपर्क में भारत; विदेश मंत्रालय ने ताइवान संकट पर जताई चिंता, आतंकवाद पर दोहरे मानदंड को लेकर सख्‍त रुख

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Fri, 12 Aug 2022 11:12 PM (IST)

    विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अर‍िंंदम बागची ने बगैर चीन का नाम लिए करारा हमला बोला। उन्‍होंने कहा कि आतंकियों के खिलाफ कोई दोहरा व्यवहार नहीं होना चाहिए। उन्‍होंने यह भी बताया कि भारत और नाटो पिछले कुछ समय से विभिन्न स्तरों पर एक-दूसरे के संपर्क में हैं।

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    भारत और नाटो पिछले कुछ समय से विभिन्न स्तरों पर एक-दूसरे के संपर्क में हैं।

    नई दिल्‍ली, एजेंसी/जागरण ब्‍यूरो। विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs, MEA) ने शुक्रवार को कहा कि भारत और नाटो (North Atlantic Treaty Organisation, NATO) पिछले कुछ समय से विभिन्न स्तरों पर एक-दूसरे के संपर्क में हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (MEA spokesperson, Arindam Bagchi) ने एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। दरअसल एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने दिसंबर 2019 में नाटो के साथ पहली राजनीतिक बातचीत की थी।

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    ब्रसेल्स में एकदूसरे के संपर्क में भारत और NATO

    अरिंदम बागची ने कहा कि भारत सरकार और नाटो पिछले कुछ समय से विभिन्न स्तरों पर ब्रसेल्स में एकदूसरे के संपर्क में हैं। यह पहलकदमी आपसी हितों के वैश्विक मुद्दों पर विभिन्न हितधारकों के साथ हमारे संपर्कों का हिस्सा है। मालूम हो कि नाटो 30 सदस्य देशों का एक प्रमुख अंतर सरकारी सैन्य समूह है जिसका गठन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद किया गया था। यह सामूहिक सुरक्षा के ढांचे के तहत सामूहिक भागीदारी के साथ काम करता है।

    सभी पक्षों से एहतियात बरतने की अपील 

    ताइवान के मुद्दे पर अमेरिका और चीन के बीच चल रहे तनाव पर भारत ने पहली बार प्रतिक्रिया भी दी। भारत ने सधे शब्दों में ताइवान के मुद्दे पर बढ़ रहे तनाव को चिंताजनक बताते हुए सभी पक्षों से एहतियात बरतने और तनाव कम करने की अपील की है। भारत ने यह भी कहा है कि किसी भी पक्ष को अपनी तरफ से यथास्थिति को बदलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। 

    ताइवान पर भारत का रुख स्‍पष्‍ट 

    यह प्रतिक्रिया भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दी है। 'एक चीन' नीति के बारे में जब पूछा गया तो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बगैर किसी देश का नाम लिए कहा कि इस बारे में भारत की पुरानी नीति है और इसे दोहराने की जरूरत नहीं है। चीन की ताइवान नीति पर सधी प्रतिक्रिया के बावजूद जब संयुक्त राष्ट्र में जैश के आतंकी रऊफ अजहर को प्रतिबंधित करने के प्रस्ताव में चीन की तरफ से अड़ंगा डालने का मुद्दा उठाया गया तो बागची ने बगैर किसी लाग लपेट के चीन पर प्रहार किया।

    चीन के रवैये को बताया दुर्भाग्‍यपूर्ण

    चीन के रवैये को भारत ने दोहरा और दुर्भाग्यपूर्ण कहा। दो दिन पहले ही भारत और अमेरिका की तरफ से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के आतंकी रऊफ अजहर और इसके पहले लश्कर-ए-तैयबा आतंकी अब्दुल रहमान मक्की को प्रतिबंधित करने संबंधी प्रस्ताव को चीन ने तकनीक आधार पर रोका था।

    आतंकियों के खिलाफ दोहरा व्यवहार नहीं होना चाहिए

    बागची ने बगैर चीन का नाम लिए कहा कि आतंकियों के खिलाफ कोई दोहरा व्यवहार नहीं होना चाहिए। बगैर किसी कारण के प्रस्ताव रोकने की परंपरा बंद हो। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि दुनिया के कुछ खूंखार आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई को रोक दिया गया है। इस तरह का दोहरा व्यवहार और राजनीतिकरण की वजह से आतंकियों को प्रतिबंधित करने की व्यवस्था पर सवाल उठ रहा है। दूसरे देशों की तरह भारत भी मौजूदा तनाव को लेकर चिंतित है। हम सभी से आग्रह करते हैं कि वो संयम बरतें, अपनी तरफ से यथास्थिति को बदलने की कोशिश से दूर रहें और पूरे क्षेत्र में शांति बहाल करने में मदद करें।

    एक चीन पर बदली नीति 

    बागची ने 'एक चीन' संबंधी भारत की नीति पर कहा कि अब भारत की पुरानी नीति तो यह है कि वह एक चीन नीति का समर्थन करता है। पिछले चार दशकों में पूर्व पीएम राजीव गांधी, पूर्व पीएम नर¨सह राव, पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने एक चीन नीति के प्रति भारत के समर्थन को दोहराया था। दोनों देशों के प्रमुखों की होने वाली बैठकों के बाद जारी होने वाले संयुक्त बयान में भी इसका जिक्र होता था। बाद में जब चीन की तरफ से कश्मीर को लेकर कुछ अलग संकेत आने लगे तो भारत ने भी सार्वजनिक तौर पर यह कहना बंद कर दिया कि वह एक-चीन नीति का समर्थन करता है।