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माय सिटी माय प्राइड : स्वरोजगार और इस मॉडल से मजबूत होगी शहर की अर्थव्यवस्था

मजबूत अर्थव्यवस्था के बिना किसी भी शहर के टिकाऊ विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

By Krishan KumarEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 06:00 AM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 12:59 PM (IST)
माय सिटी माय प्राइड : स्वरोजगार और इस मॉडल से मजबूत होगी शहर की अर्थव्यवस्था

शहरों की समृद्धि और युवाओं को रोजगार दिए जाने के लिए स्थानीय अर्थव्यवस्था का मजबूत होना बेहद जरूरी होता है। मजबूत अर्थव्यवस्था के बिना किसी भी शहर के टिकाऊ विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती। माय सिटी माय प्राइड अभियान के दौरान उन सम्सयाओं की पहचान की गई, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था की राह में बाधा बनकर खड़े हैं।

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रहने के लिए देश के बेहतरीन शहरों में शुमार मध्य प्रदेश के इंदौर को कुछ ऐसी ही समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा, जो शहर की स्थानीय अर्थव्यवस्था की राह में रुकावट पैदा कर रहे हैं। इंदौर के लोगों का मानना है कि कारोबार के लिए जरूरी नियम-कानून को सरल बनाए जाने के साथ ही उद्योगों के लिए एक्जिट पॉलिसी लाई जानी चाहिए ताकि यदि कोई उद्योगपति अपना व्यवसाय बदलना चाहे तो वह परिवर्तित कर सके।

इंदौर के कारोबारियों का मानना है कि जैसे सेज (विशेष आर्थिक क्षेत्र) के लिए सस्ती बिजली मुहैया कराई जाती है, वैसे ही एमएसएमई (लघु और मझोले उद्योग) को भी रियायती दर पर बिजली दी जाए। अगर बात उत्तराखंड के देहरादून की हो तो यहां स्किल्ड लोगों को कमी सबसे बड़ी समस्या के रूप में सामने आती है।

 

कारोबारियों का कहना है कि अगर कौशल विकास, स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया और मुद्रा योजना को ढंग से अमली-जामा पहनाया जाता है तो उद्योगों के लिए जरूरी कुशल कामगारों की मांग और आपूर्ति में मौजूद असंतुलन को कम किया जा सकता है। 

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को भी ऐसी कई समस्याओं से रूबरू होना पड़ रहा है। लखनऊवासियों की मांग विकास पर विजन डॉक्यूमेंट लाए जाने की है, ताकि विकास योजनाएं और उसकी राह में आने वाली समस्याओं के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी मिल सके।

लोगों का मानना है कि लखनऊ को एक ब्रांड की तरह प्रोमोट किया जाना चाहिए। ग्राम पंचायतों को सौंपे गए विकास कार्यों के मुताबिक ग्राम सभा स्तर पर संसाधनों की भारी कमी है, जिसे तत्काल उपलब्ध कराए जाने की जरूरत है। ग्रामोद्योग उत्पाद के लिए बाजार की कमी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की राह में सबसे बड़ी बाधा है, जिसका सरकार की तरफ से समाधान किए जाने की जरूरत है।

वहीं शहरों में उद्योगों के विकास की असीमित संभावनाओं के बीच चिकनकारी और जरदोजी के काम में यंग प्रोफेशनल्स को जोड़े जाने की जरूरत है। साथ ही मलीहाबादी आम की ब्रांडिंग और उसकी मार्केटिंग कर किसानों की आय दोगुनी की जा सकती है।

इसके साथ ही स्कूल के स्तर पर विद्यार्थियों के बीच स्वरोजगार और स्वावलंबन की प्रवृत्ति को विकसित करने के लिए समर स्कूल ऑफ इनोवेशन एंड आंत्रप्रेन्योरशिप को शुरू किए जाने की जरूरत है। वहीं हायर एजुकेशन को लेकर देखा जाए तो इंजीनियरिंग और प्रबंधन के छात्रों के लिए रोजगार बड़ी समस्या बन चुका है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए उच्च संस्थानों में स्टार्ट अप हब्स को विकसित किए जाने की जरूरत है।

लखनऊ में रहने वाले लोगों का मानना है कि हाईवे के किनारे पारंपरिक उत्पादों के साथ पर्यटन गांव को विकसित किए जाने से स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजूबती मिलेगी और लोगों को रोजगार भी। वहीं बंद पड़े उद्योगों को भी फिर से शुरू किए जाने के साथ ही छोटे और मझोले उद्योगों को टैक्स में रियायत दिए जाने की जरूरत है।
राज्य का ही सांस्कृतिक शहर वाराणसी पर्यटन नगरी के तौर पर विख्यात रहा है।

हालांकि अब यहां पर्यटन आधारित उद्योग को विकसित किए जाने की जरूरत महसूस की जा रही है। इसके साथ ही विश्वविद्यालयों में रोजगारपरक शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। वाराणसी और पूर्वांचल में उद्योग का विकास तो हो रहा है, लेकिन लोगों को इस दिशा में उद्यम योजनाओं का लाभ उठाना होगा। बैंक से अनुदान, सरकारी प्रोत्साहन और योजनाओं को ठीक से समझना होगा तभी उद्योग को सफल बना पाएंगे। किसी भी उद्योग से कारोबारी को ही लाभ नहीं होता, बल्कि इससे कई लोगों की आर्थिक स्थिति सुधरती है।

उत्तर प्रदेश का ही मेरठ शहर आर्थिक मोर्चे पर अलग चुनौतियों से जूझ रहा है। एशिया की प्रमुख मंडी में मेरठ के ज्वैलरी मार्केट की गिनती होती है। ज्वैलरी उद्योग के क्षेत्र में कई नए बदलाव हो रहे हैं, जिन्हें अपनाकर मेरठ की अर्थव्यवस्था में ज्वैलरी उद्योग महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

मानव संसाधन की इस क्षेत्र में अभी कमी है। ऐसे में यहां पर डिग्री स्तर के इंस्टीट्यूट की जरूरत है, जिससे इस इंडस्ट्रीज की मांग के अनुसार कुशल कर्मियों की कमी को पूरा किया जा सके। मेरठ की पहचान स्पोर्ट्स सिटी की भी रही हैं। इस इंडस्ट्रीज से जुड़े लोगों को भी बड़े स्तर पर संगठित तरीके से प्रशिक्षण दिए जाने की जरूरत है।

मेरठ की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है। कृषि क्षेत्र में फूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा दिया जा सकता है। इसके लिए शहर में फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाए जा सकते हैं। इसमें सरकार के साथ जनसहभागिता से आगे बढ़ा जा सकता है।

छत्तीसगढ़ के रायपुर की कारोबारी जरूरत टैक्स नियमों का सरलीकरण है। इस शहर की स्थानीय अर्थव्यवस्था की मदद के लिए पर्यटन और कनेक्विविटी पर खास ध्यान दिए जाने की जरूरत है। वहीं कारोबारी सहूलियत के लिए यहां के बाजारों को विकसित और साधन संपन्न किए जाने की जरूरत है।

झारखंड की राजधानी रांची कारोबार शुरू करने के लिए जरूरी जमीन और बिजली जैसी बुनियादी समस्याओं का सामना कर रही है। इसके साथ ही शहर में सिंगल विंडो क्लीयरेंस की जरूरत महसूस की जा रही है। शहर के कारोबारी जीएसटी भरने में आने वाली तकनीकी समस्याओं से परेशान है। उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में जीएसटी काउंसिल इसका समाधान करने में सफल होगा।

शहर की स्थानीय अर्थव्यवस्था में टूरिज्म को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत महसूस की जा रही है। रांची के चारों ओर प्राकृतिक सौंदर्य का प्रचुर भंडार है। झरने, झील, पहाड़, नदियां और न जाने क्या-क्या लोगों को आकर्षित करते हैं। छोटे स्तर के फिल्मकार इन इलाकों में शूटिंग करते यदा-कदा दिख जाते हैं। सरकार चाहे तो इसे व्यावसायिक रूप दे सकती है और कमाई के साथ-साथ रोजगार का अवसर भी मिलेगा।

पिछले 18 वर्षों में कोई बड़ा उद्योग रांची में नहीं लगा है, जिसके बिना अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव ला पाना मुश्किल दिखाई देता है।

वहीं बिहार की राजधानी पटना में स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए कई चुनौतियां हैं, जिनका समाधान किए जाने की जरूरत है। पटना के फुलवारीशरीफ में बिहार कॉटन, पटनासिटी में प्रदीप लैंप जैसी कुछ महत्वपूर्ण यूनिटें थीं, जो बंद हो चुकी हैं। दीघा मोहल्ले में बाटा का कारोबार ऊंचाई पर था, लेकिन अब स्थिति बेहद खराब हो चुकी है।

 

पटना में सर्विस सेक्टर के साथ आईटी इंडस्ट्री को बढ़ावा दिया जा सकता है। इसके साथ ही स्वरोजगार के मॉडल को बढ़ावा देकर रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकते हैं। पटना की एक समस्या कारोबार के लिए जरूरी मंजूरी मिलने में होने वाली देरी भी है। ऐसे में उद्योगों के लिए लाइसेंस, परमिट, परमिशन जैसी प्रक्रियाओं में परिवर्तन कर 'ईज ऑफ डूइंग' बिजनेस को बढ़ावा देने की जरूरत है।

नदी किनारे बसे होने की वजह से यहां पर शीतगृह की संख्या बढ़ाकर फ्रोजन और मत्स्य व्यापार को बढ़ावा दिया जा सकता है। उत्पादन के बाद प्रॉडक्ट की मार्केटिंग भी एक समस्या है। जरूरी यह कि शहर में चुनिंदा स्थलों पर मार्केट कॉम्प्लेक्स का निर्माण कर इसे बढ़ावा दिया जाए।

अगर आपको भी लगता है कि आपके शहर की अर्थव्‍यवस्‍था में सुधार की जरूरत है तो हमें भी बताएं। mcmp.jagran@gmail.com


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