माय सिटी माय प्राइडः ये समस्याएं दूर हों तो शहर होगा और भी सुरक्षित
शहर में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में तेजी आई है, जिससे निपटने के लिए जेंडर सेंसेटाइजेशन पर बल दिए जाने की जरूरत है।
नई दिल्ली, जेएनएन। किसी भी शहर की तरक्की और समृद्धि के लिए वहां के लोगों के बीच सुरक्षा का भाव होना बेहद जरूरी होता है। सुरक्षा की कमी किसी भी शहर की तरक्की और विकास की राह में सबसे बड़ा रोड़ा होती है। ‘माय सिटी माय प्राइड’ अभियान के दौरान लोगों ने सुरक्षा से जुड़ी ऐसी अनेक समस्याओं का जिक्र किया, जो उनकी रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित कर रही हैं।
रहने के लिहाज से सबसे बेहतरीन शहरों में शुमार इंदौर में भी लोगों ने सुरक्षा से जुड़ी कई समस्याओं का जिक्र किया। इंदौर वासियों को लगता है कि सुरक्षा के लिहाज से इंटरनेट सबसे बड़ी समस्या बन चुका है, जिस पर नजर रखे जाने की जरूरत है। वहीं, पुलिस और जनता के बीच विश्वास की कमी को भी शहरवासियों ने सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक माना है।
उत्तराखंड के देहरादून शहर की सुरक्षा को लेकर अपनी समस्याएं हैं। शहर में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में तेजी आई है, जिससे निपटने के लिए जेंडर सेंसेटाइजेशन पर बल दिए जाने की जरूरत है। लोगों को लगता है कि शहर में भू-माफिया और साइबर क्राइम की पकड़ मजबूत हुई है। इसके साथ ही शहरवासियों ने माना कि छोटी उम्र से ही बच्चों को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक किए जाने की जरूरत है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सुरक्षा के लिहाज से कई चुनौतियां हैं। लोगों का मानना है कि स्कूली स्तर पर निरंतर जागरूकता अभियान चलाकर बच्चों को इस बारे में जानकारी दी जानी चाहिए कि अपराध क्या है और कैसे उसका विरोध किया जा सकता है। लोगों ने कहा कि महिला अपराधों के मामले में सक्रिय रिपोर्टिंग की जरूरत है ताकि इसके खिलाफ पर्याप्त जन दबाव बनाकर इस पर रोक लगाई जा सके।
अपराध के मामले में लोगों ने शहर की खराब ट्रैफिक व्यवस्था को बड़ा कारण माना। हमारे अभियान के दौरान यह बात सामने आई कि शहर में सीसीटीवी का जाल बिछाए जाने की जरूरत है। लोगों ने कहा कि कॉलोनी, अपार्टमेंट, मोहल्ले में किराएदारों, नौकरों के सत्यापन को नियमित प्रक्रिया बनाई जाए ताकि अपराध की संभावनाओं पर अंकुश लगाने में सफलता मिल सके।
ऐतिहासिक शहर के रूप में विख्यात वाराणसी के लोगों को अपराध और जाम जैसी समस्याओं से दो चार होना पड़ता है। लोगों का मानना है कि अपराधियों में पुलिस के प्रति खौफ और लोगों में पुलिस के प्रति प्रेम की भावना विकसित की जानी चाहिए ताकि लोग अपनी समस्याओं को लेकर उन तक जा सकें। इसके साथ ही पर्यटन को ध्यान में रखते हुए शहर में हर चौराहे पर पर्यटक बूथ बनाए जाने की जरूरत है ताकि बाहर से घूमने आए पर्यटकों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो।
मेरठ शहर में सुरक्षा की अपनी समस्याएं हैं। महिलाओं के खिलाफ होने वाला अपराध यहां के लोगों की सबसे बड़ी सुरक्षा चिंता में शुमार है। लोगों का कहना है कि यूपी पुलिस का एंटी रोमियो अभियान भी सरेराह होने वाली छेड़खानी रोक पाने में कारगर साबित नहीं हुआ है। ट्रैफिक व्यवस्था की अराजकता शहर की दूसरी बड़ी समस्या है।
छत्तीसगढ़ के शहर रायपुर में लोगों की जरूरत कम्युनिटी पुलिसिंग की है। शहरवासियों का कहना है कि यहां बाहर से आने वालों लोगों की पहचान और उनकी तफ्तीश की जाए। रात के वक्त सड़कों पर मवेशियों की मौजूदगी का खतरा भी यहां के लोगों को परेशान कर रहा है। लोगों का मानना है कि शहरों में मौजूद हुक्का बार में स्कूली बच्चों को आसानी से प्रवेश दिया जा रहा है, जिससे बच्चे नशे के आदी बन रहे हैं। बच्चों को इस लत से बचाने के लिए हुक्काबारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठ रही है।
पंजाब का शहर लुधियाना सीसीटीवी निगरानी की जरूरत महसूस कर रहा है। शहर के लोगों को लगता है कि सुरक्षा के लिहाज से देर शाम बाद पुलिस को पेट्रोलिंग बढ़ाने की जरूरत है।
वहीं झारखंड की राजधानी रांची की समस्या जागरूकता है। शहर में रह रहे लोगों को इस बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है कि संकट के समय कैसे पुलिस की मदद ली जाए। यहां के लोगों और पुलिस के बीच संवाद की कमी भी बड़ी समस्या है, जिसका समाधान होना जरूरी है। शहर की ट्रैफिक व्यवस्था भी बड़ी चुनौती है। ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की कमी की वजह से शहर के यातायात व्यवस्था में बाधा पैदा हो रही है और लोगों को जाम की समस्या से जूझना पड़ता है।
उत्तर प्रदेश का कानपुर अपराधियों पर लगाम कसने में विफल रहा है। सुरक्षा और निगरानी के लिए शहर के मुख्य स्थानों पर जो कैमरे लगाए गए थे वह चोरी हो गए वहीं पुलिस गश्त से भी कुछ ठोस हाथ नहीं लगा।
वहीं पटना में पुलिस और लोगों के बीच की संवादहीनता सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। लोगों का मानना है कि पुलिस का व्यवहार ऐसा होना चाहिए ताकि अपराधियों को उनसे डर लगे और जनता उन्हें सहयोग करे।
शहर में बढ़ता साइबर क्राइम बड़ी समस्या बना हुआ है, जिसके बारे में लोगों को जागरूक किए जाने की जरूरत है। थानों में एफआईआर दर्ज होना भी एक समस्या है। अमूमन लोगों को इसके लिए थाने के चक्कर काटने पड़ते हैं। शहरवासियों का कहना है कि लोगों को ऑनलाइन एफआईआर की सुविधा मिलनी चाहिए ताकि उन्हें इसके लिए थाने के चक्कर न लगाने पड़े।
अगर आपको भी लगता है कि आपके शहर की सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की जरूरत है तो हमें भी बताएं। mcmp.jagran@gmail.com