संघ के एजेंडे में नहीं है मथुरा और काशी, 'समान नागरिक संहिता' पर दिया ये जवाब
अखाड़ा परिषद ने काशी में विश्वनाथ मंदिर परिसर और मथुरा जन्मभूमि परिसर से मस्जिद हटाए जाने की मांग की है लेकिन आरएसएस फिलहाल इस अभियान से दूर रहेगा।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राम जन्मभूमि मंदिर शिलान्यास के बाद यूं तो अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने मथुरा और काशी को लेकर खम ठोक दिया है, लेकिन संघ फिलहाल इस अभियान से दूर रहेगा। वहीं समान नागरिक संहिता को थोपे जाने के पक्ष में नहीं है। संघ का मानना है कि इसे लागू करने से पहले समाज के अंदर मन बनाया जाना चाहिए। एक दिन पहले ही प्रयागराज में अखाड़ा परिषद ने घोषणा कर दी है कि वह मथुरा और काशी में मंदिर निर्माण के लिए मुस्लिम धर्मगुरुओं से बातचीत करेगी। अगर बात सामंजस्य से नहीं बनती है, तो हिंदू संगठनों को साथ लेकर कानूनी लड़ाई भी लड़ी जाएगी।
परिषद ने काशी में विश्वनाथ मंदिर परिसर और मथुरा जन्मभूमि परिसर से मस्जिद हटाए जाने की मांग की। इस बाबत एक सवाल के जवाब में संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी का स्पष्ट कहना है, 'अखाड़ा परिषद कोई फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है। जब समय आएगा और तय करना होगा कि साथ चलना है या नहीं चलना तब देखेंगे। लेकिन हम इतना कह दें कि हम इसे शुरू नहीं करेंगे। राम मंदिर का मसला भी हमने शुरू नहीं किया था।'
जाहिर है कि संघ फिलहाल इस घोषणा से परे है। लेकिन भविष्य के बारे में चुप्पी है। ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने भी एक फैसले में साफ किया था कि राम मंदिर को छोड़कर कोई भी दूसरा धार्मिक मसला उसी स्थिति में बना रहेगा, जिस स्थिति में 15 अगस्त 1947 को था। वहीं तीन तलाक के बाद जहां समान नागरिक संहिता को लेकर बहस छिड़ गई है, संघ का मानना है कि इसे लागू करने से पहले व्यापक बहस होनी चाहिए। समाज के अंदर ही इस पर सहमति बनानी चाहिए, वरना झगड़े शुरू हो जाएंगे।
संघ पदाधिकारी ने कहा कि यह विषय पहले भी संघ के विचारार्थ आया था और शुरू से यही मत है कि आपसी सहमति जरूरी है। संघ का यह विचार अहम है, क्योंकि अनुच्छेद 370, तीन तलाक, सीएए के बाद से यह अटकल जोरों पर है कि सरकार ने समान नागरिक संहिता को लेकर तैयारी शुरू कर दी है।