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त्वरित टिप्पणी ...तो फिर बाजी सरकार के हाथ!

मंगलवार को भारतमाला प्रोजेक्ट के जरिए पूरे भारत को जोड़ने के लिए वित्तीय मंजूरी देकर और बैंकिंग पुनर्संरचना का खाका पेश कर सरकार ने प्रतिबद्धता जता दी है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Tue, 24 Oct 2017 09:43 PM (IST)Updated: Wed, 25 Oct 2017 07:58 AM (IST)
त्वरित टिप्पणी ...तो फिर बाजी सरकार के हाथ!
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नई दिल्ली, (प्रशांत मिश्र) । मुहाने पर खड़े गुजरात चुनाव से पहले सरकार ने न्यू इंडिया की एक और झलक दिखा दी है। एक ऐसा भारत जो न सिर्फ मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित हो बल्कि उसका लाभ रोजगार और अन्य माध्यमों के जरिए नीचे तक पहुंचे। मंगलवार को भारतमाला प्रोजेक्ट के जरिए पूरे भारत को जोड़ने के लिए वित्तीय मंजूरी देकर और बैंकिंग पुनर्संरचना का खाका पेश कर सरकार ने प्रतिबद्धता जता दी है।

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जाहिर है कि विपक्ष इसे भी राजनीति से जोड़ेगा और संभवत: सरकार की हार करार देकर खुद को बचाने की कोशिश करेगा। लेकिन अगर इसे राजनीतिक कवायद मान लिया जाए तो विपक्ष के हाथ से तोता उड़ना तय है। वैसे यह भी मान कर चलना चाहिए कि राजनीतिक परसेप्शन बैटल में यह सरकार का आखिरी दांव नहीं है। आने वाले दिनों में कुछ और बड़ी झलक दिख सकती है। खासकर आगामी बजट आमूल चूल परिवर्तन के जरिए न्यू इंडिया की पूरी तस्वीर पेश करेगा।

अगले कुछ दिनों में ही गुजरात विधानसभा चुनाव का ऐलान हो सकता है। इसे 2019 के लोकसभा चुनाव का प्रवेश द्वार भी माना जा रहा है। जीएसटी क्रियान्वयन की शुरूआती अड़चनों और अर्थव्यवस्था में आई हाल की सुस्ती के जरिए विपक्ष ने अपनी चुनावी मुहिम को हवा दिया है। रोजगार का मुद्दा हर गली चौराहे पर उठाया जा रहा है। हाल कुछ ऐसा है कि एकजुट विपक्ष उस नोटबंदी को भी मुद्दा बनाने से नहीं चूक रहा है जिसे समाज के बड़े तबके ने हाथों हाथ उठा लिया था। मंगलवार को सरकार ने जो खाका पेश किया है उसके बाद विपक्ष की मुहिम पर पानी फिर जाए तो आश्चर्य नहीं।

दरअसल यह खुद विपक्ष भी मानता है कि जीएसटी अगले कुछ महीनों में उनके लिए मुद्दा नहीं रह जाएगा। रोजगार जरूर एक ऐसा सवाल है जिसे चुनावी रूप से भुनाना आसान होता है। लेकिन भारतमाला के परवान चढ़ते ही विपक्ष को नए मुद्दे की तलाश करनी होगी। भारतमाला प्रोजेक्ट इन्फ्रास्टक्चर के लिहाज से तो महत्वाकांक्षी है ही, रोजगार के नजरिए से भी अहम है। लगभग साढ़े पांच लाख करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट में करीब 14 करोड़ मानव दिवस रोजगार का सृजन होगा। ध्यान रहे कि स्वरोजगार के लिए सरकार ने पहले ही मुद्रा जैसी योजना चलाई थी जिसमें लगभग छह करोड़ लोगों को ऋण दिया जा चुका है। बड़ी संख्या में ऐसे स्वरोजगारी खड़े हुए हैं जो कुछ लोगों को रोजगार देने की स्थिति में है। बैंकिंग पुनर्सरचना को भी विकास और रोजगार से ही जोड़कर देखा जा रहा है। यह सुनिश्चित करेगा कि बैंकों से ऋण और आसानी से मिलने का रास्ता खुले।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की स्वतंत्रता के 75वें साल यानी 2022 तक न्यू इंडिया के निर्माण में हर किसी से योगदान की अपील की है। उसमें ही उन्होंने ऐसे भारत की भी परिकल्पना की है जिसमें हर गरीब के सिर पर छत हो और पेट में रोटी। पूरी संभावना है कि 2019 से पहले के आखिरी पूर्ण बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली इस अवधारणा को साकार करने के लिए कुछ और बड़े कदम उठाते दिखें।


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