Masood Azhar Ban: आखिर कहां गायब हो गए मसूद अजहर और हाफिज सईद
खुफिया एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि अभी तक जो सूचना मिली है उसके मुताबिक मसूद अजहर और उससे जुड़े तमाम संगठनों का काम फिलहाल पूरी तरह से बंद है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अपने आंगन में पाले गए आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करने को लेकर पाकिस्तान दुनिया को कई बार धोखा दे चुका है। इस बार भी संयुक्त राष्ट्र की तरफ से मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के बाद पाकिस्तान सरकार ने अजहर और उसके आतंकी संगठन जैश-ए- मुहम्मद के खिलाफ जो कदम उठाने का ऐलान किया है क्या वह भी सिर्फ दुनिया को दिखाने के लिए है? आसार तो कुछ ऐसे ही नजर आ रहे हैं।
पिछले एक हफ्ते के दौरान पाकिस्तान की एजेंसियों की गतिविधियों पर नजर डालें तो यह साफ हो जाता है कि उनकी तरफ से अजहर के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर एक अधिसूचना जरूर जारी की गई है लेकिन इसके तहत क्या ठोस कदम उठाए गए हैं, इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है। यही नहीं बालाकोट में भारतीय वायु सेना की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने जैश से जुड़े जिन 44 आतंकियों को पकड़ने का दावा किया था उन पर आगे क्या कार्रवाई हुई है, इसको लेकर अभी तक कुछ नहीं कहा गया है।
ऐसे में भारतीय खुफिया एजेंसियों को इस बात का शक होने लगा है कि कहीं इस बार पाकिस्तान के हुक्मरान पूर्व की तरह ही कार्रवाई का दिखावा न कर रहे हों। पठानकोट हमले के बाद भी पाकिस्तान सरकार ने मौलाना मसूद अजहर व जैश के कुछ अन्य बड़े आतंकियों को नजरबंद किया था लेकिन बाद में सभी को छोड़ दिया गया। पाकिस्तान की पंजाब पुलिस ने इनको लेकर जो रिपोर्ट तैयार की थी उसे भी रद्दी में डाल दिया गया।
खुफिया एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि अभी तक जो सूचना मिली है उसके मुताबिक मसूद अजहर और उससे जुड़े तमाम संगठनों का काम फिलहाल पूरी तरह से बंद है। अजहर ही नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र की तरफ से अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित हाफिज सईद भी पिछले कुछ दिनों से सार्वजनिक तौर पर नजर नहीं आ रहा है। भारतीय एजेंसियों को यह भी सूचना मिली है कि अजहर और सईद से जुड़े तथाकथित दान संगठनों को भी रमजान के महीने में किसी भी सार्वजनिक गतिविधि में शामिल नहीं होने को कहा गया है। हर साल ये संगठन रमजान के पूरे महीने पाकिस्तान के तमाम शहरों में आम जनता से कश्मीर में जिहाद के नाम पर चंदा वसूलते थे और इसका इस्तेमाल अपने आतंकी गतिविधियों में करते थे।
सूत्रों का कहना है कि पूर्व की तरह पाकिस्तान ने इस बार भी दुनिया की आंख में धूल झोंकने की कोशिश की तो उसे यह काफी महंगा पड़ सकता है। क्योंकि अभी पाकिस्तान पर फाइनेंशिएल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की तलवार लटक रही है। अगले महीने (जून, 2019) एफएटीएफ पाकिस्तान की तरफ से आतंकियों की फंडिंग रोकने के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा करने वाला है।
अगर एफएटीएफ पाकिस्तान को अपनी काली सूची में डाल देता है तो इससे उसकी अर्थव्यवस्था को भारी धक्का लगने के आसार हैं। साथ ही संयुक्त राष्ट्र की जिस समिति ने मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाया है वह भी पाकिस्तान की तरफ से उठाए गए कदमों पर नजर रखेगी।
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