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वायुसेना के मार्शल अर्जन सिंह का निधन, आर्मी अस्पताल में ली अंतिम सांस

अर्जन सिंह देश के इकलौते ऐसे वायुसेना अधिकारी थे जो पदोन्नत होकर पांच सितारों वाली रैंक तक पहुंचे। यह रैंक थलसेना के फील्ड मार्शल के बराबर होती है।

By Manish NegiEdited By: Published: Sat, 16 Sep 2017 06:48 PM (IST)Updated: Sat, 16 Sep 2017 09:57 PM (IST)
वायुसेना के मार्शल अर्जन सिंह का निधन, आर्मी अस्पताल में ली अंतिम सांस
वायुसेना के मार्शल अर्जन सिंह का निधन, आर्मी अस्पताल में ली अंतिम सांस

नई दिल्ली, एएनआई। 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना का नेतृत्व करने वाले मार्शल अर्जन सिंह (98) का निधन हो गया है। दिल का दौरा पड़ने के बाद बेहद गंभीर हालत में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

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अर्जन सिंह देश के इकलौते ऐसे वायुसेना अधिकारी थे जो पदोन्नत होकर पांच सितारों वाली रैंक तक पहुंचे। यह रैंक थलसेना के फील्ड मार्शल के बराबर होती है। उन्हें शनिवार सुबह सेना के रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। 

राष्ट्रपति, पीएम ने जताया शोक

अर्जन सिंह के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दुख जताया है। 

 Marshal of the IAF Arjan Singh was a WW II hero & won our nation's gratitude for his military leadership in 1965 war 2/2 #PresidentKovind

पीएम मोदी ने भी अर्जन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'मार्शल ऑफ एयरफोर्स अर्जन सिंह के दुखद निधन से पूरा भारत दुखी है। हम उनके सर्वश्रेष्ठ कार्यों के लिए हमेशा याद रखेंगे।'

 India mourns the unfortunate demise of Marshal of the Indian Air Force Arjan Singh. We remember his outstanding service to the nation. pic.twitter.com/8eUcvoPuH1

इससे पहले शनिवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और तीनों सेनाध्यक्ष उनका हालचाल जानने अस्पताल पहुंचे थे। 

15 अगस्त, 1947 को किया था फ्लाई पास्ट का नेतृत्व

मार्शल अर्जन सिंह भारतीय सैन्य इतिहास के ऐसे सितारे थे जिन्होंने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में सिर्फ 44 वर्ष की आयु में अनुभवहीन भारतीय वायुसेना का नेतृत्व किया था। यही नहीं, देश को आजादी मिलने के बाद 15 अगस्त, 1947 को लालकिले के ऊपर सौ से ज्यादा वायुसेना विमानों के फ्लाइपास्ट का नेतृत्व करने का गौरव भी उन्हें हासिल है। उन्हें एक अगस्त, 1964 को चीफ ऑफ एयर स्टाफ (सीएएस) नियुक्त किया गया था। वह ऐसे पहले सीएएस थे जिन्होंने वायुसेना प्रमुख बनने तक अपनी फ्लाइंग कैटेगरी को बरकरार रखा। 1969 में वायुसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें स्विटजरलैंड में भारत का राजदूत नियुक्त किया गया था। 2002 में उनकी सेवाओं के लिए उन्हें मार्शल की रैंक प्रदान की गई।

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