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एनएसए अजित डोभाल बोले, हिन्द महासागर को बचाने के लिए समुद्री सुरक्षा करनी होगी मजबूत

वैश्विक स्तर पर व्यापारिक प्रतिस्पर्धा के केन्द्र में समुद्रों की भूमिका बड़ी हो गई है। ऐसे में भारत का हिंद महासागर की सुरक्षा के लिए चिंतित होना जरूरी है। चूकि आज का 95 फीसदी व्यापार समुद्री मार्ग से ही होता है जिसके चलते यह प्रतिस्पर्धा बढ़ती ही जा रही है।

By Deepak YadavEdited By: Published: Thu, 30 Jun 2022 05:48 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2022 08:49 PM (IST)
फाइल फोटो: अजित डोभाल समुद्री सुरक्षा पर अपनी बात रखते हुए

नई दिल्ली, एएनआइ। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने कहा कि, हिंद महासागर का क्षेत्र देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। गुरुवार को बहु एजेंसी समुद्री सुरक्षा समूह की बैठक को संबोधित करते हुए डोभाल ने कहा कि, हिंद मगासागर देश की बहुमूल्य संपत्ति है। ऐसे में देश को समुद्री सुरक्षा पर जोर देने की जरूरत है। साथ ही डोभाल ने भारतीय नौसेना के भूमिका की तारीफ भी की।

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राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में भूमि और समुद्री सीमाओं की भूमिका बहुत बड़ी होती है। मगर इन जगहों पर चौकसी को और बढ़ाए जाने की जरूरत है। चूकि इन दोनो स्तरों से ही हम बाहरी देशों के साथ रणनीतिक, व्यापार सहित और भी कामो के के लिए जुड़ते हैं।

बदलते भू-राजनितिक परिदृश्य पर डोभाल ने कहा कि, कभी शांति का प्रतीक रहा हिंद महासागर अब वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा का अखाड़ा बनता जा रहा है। ऐसे में भारत को चाहिए कि, वह हिंद महासागर जैसी संपत्ति को बचाने के लिए अपने सुरक्षा के इंतजाम को पुख्ता करे। चूकि आने वाले समय में वैश्विक जंग के केन्द्र समुद्र ही होंगे।

डोभाल ने कहा कि समुद्री खतरों से निपटने के मामले में एक उदाहरण पेश करता हुआ कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन कराया गया था। चूकि पड़ोसी देशों के प्रति हमारी जिम्मेदारी है कि, आपदा हो या सुरक्षा संकट हम उनके साथ खड़े रहेंगे। डोभाल ने कहा कि भारत जितने का हकदार है उतना उसे मिलना चाहिए और उसे हासिल करने का यह उपयुक्त समय है।

नरेन्द्र मोदी सरकार की प्रशंसा करते हुए डोभाल ने कहा कि, पिछले कुछ वर्षों में देश ने खूब तरक्की की है। सरकार की 2105 की सागर पहल के चलते 2018 में भारत की भारत-प्रशांत नीति की घोषणा के साथ ही नीली अर्थव्यवस्था पर काम किया गया। वहीं, भारत का 95 फीसद व्यापार समुद्री मार्ग द्वारा होता है, जिनमें 12 प्रमुख मार्ग और लगभग 200 काम में आने वाले बंदरगाह हैं।

डोभाल ने कहा कि, भारत एक समुद्री राष्ट्र है। ऐसे में 90 फीसद से ज्यादा हाइड्रोकार्बन की जरूरतों को हम समुद्री मार्ग के जरिए ही पूरा करते हैं। नीली अर्थव्यवस्था पर बोलते हुए डोभाल ने कहा कि, समुद्र मत्स्य उत्पादन के चलते आजीविका के प्रमुख स्रोत हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था का जितना विस्तार होगा, समुद्री निर्भरता उतनी ही बढ़ती जाएगी। चूकि समुद्र मार्ग ही वैश्विक व्यापार के प्रमुख अड्डे हैं। ऐसे में भारत को समुद्री सुरक्षा के लिहाज से चौकन्ना होना जरूरी है। डोभाल ने कहा कि, इसे देखते हुए पिछले वर्ष अगस्त में प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की उच्च स्तरीय खुली बहस की अध्यक्षता करते हुए, सुरक्षित समुद्री व्यापार की बात उठाई थी।

समुद्री सुरक्षा बैठक की अध्यक्षता, सेवानिवृत्त राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्यवक वाइस एडमिरल ने की। बैठक में समुद्री सुरक्षा के जरूरी नीतिगत मुद्दों को उठाया गया। बंदरगाहों की सुरक्षा और तटीय प्रदेशों की क्षमता निर्माण के साथ नीली अर्थव्यवस्था पर जोर दिया गया। एमएएमएसजी को तटीय अपटीय सहित संस्थागत नीतिगत तकनीकी परिचालन अंतराल को भरने के लिए एक स्थायी प्रभावी तंत्र प्रदान करने का उल्लेख किया गया है।


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