इतालवी राजदूत के देश छोड़ने पर रोक
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी इटली के दो नौसैनिकों को भारत वापस भेजने से मना करने के मामले में इटली के राजदूत डेनिली मेनसिनी के देश छोड़ने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने इटली सरकार, राजदूत और दोनों नौसैनिकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। विदेश मंत्रालय ने भी सक्रियता दिखाते हुए इटली के राजदूत को तलब कर उन्हें सुप्रीम कोर्ट का नोटिस थमा दिया और देश छोड़कर न जाने को कह दिया है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी इटली के दो नौसैनिकों को भारत वापस भेजने से मना करने के मामले में इटली के राजदूत डेनिली मेनसिनी के देश छोड़ने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने इटली सरकार, राजदूत और दोनों नौसैनिकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। विदेश मंत्रालय ने भी सक्रियता दिखाते हुए इटली के राजदूत को तलब कर उन्हें सुप्रीम कोर्ट का नोटिस थमा दिया और देश छोड़कर न जाने को कह दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने नौसैनिकों को वापस न भेजने की मंशा जताने वाले इटली के मौखिक बयान पर संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किए। कोर्ट ने इटली के राजदूत को अलग से नोटिस जारी कर उनके द्वारा गत 9 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में दिए गए शपथपत्र के संबंध में जवाब मांगा है। कोर्ट ने सभी से 18 मार्च तक जवाब दाखिल करने को कहा है। साथ ही स्पष्ट किया कि इटली के राजदूत इस बीच कोर्ट की अनुमति के बगैर भारत नहीं छोड़ेंगे। नौसैनिकों के लौटने की अवधि 22 मार्च को खत्म हो रही है।
इससे पहले अटार्नी जनरल जीई वाहनवती ने कोर्ट के सामने मामले का जिक्र करते हुए भारत सरकार का हलफनामा पेश किया। हलफनामे में इटली सरकार द्वारा भारत सरकार को 11 मार्च को भेजे गए वर्बल नोट की जानकारी दी गई थी। वाहनवती ने कहा कि इटली ने नौसैनिकों को वापस न भेजने की मंशा जताई है। इटली सरकार ने 6 मार्च को भारत सरकार से राजनयिक वार्ता के जरिये मसला हल करने को कहा था, लेकिन सरकार ने मना कर दिया था। उन्होंने बताया कि सरकार ने इटली को भेजे जवाब में कहा है कि नौसैनिकों को भारत लौटना होगा क्योंकि इटली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर ऐसा भरोसा दिया है। नौसैनिकों का समय पर न लौटना इटली सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट को दिए गए भरोसे का उल्लंघन होगा। कोर्ट ने राजदूत के शपथपत्र पर ही नौसैनिकों को इटली जाने की इजाजत दी थी।
सुनवाई के दौरान जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट से इटली के राजदूत के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया। लेकिन, पीठ ने इस मामले में स्वामी के कोर्ट में पेश होने के औचित्य पर सवाल उठाया। कोर्ट ने कहा, हम इस तरह मौखिक दलीलें नहीं सुन सकते। अगर कुछ कहना चाहते हैं तो अर्जी दाखिल करें।
सुप्रीम कोर्ट ने केरल में मुकदमे का सामना कर रहे इटली के नौसैनिकों को मैसीमिलैनो लातोरे और सलवाटोर गिरोने को चुनाव में मतदान के लिए चार सप्ताह के लिए इटली जाने की इजाजत दी थी। यह इजाजत इटली के राजदूत के इस हलफनामे पर दी गई थी कि मतदान के बाद नौसैनिक भारत लौट आएंगे।
राजदूत का शपथपत्र
राजदूत डेनिली मेनसिनी ने गत 9 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर इटली सरकार की ओर से भरोसा दिया था कि
* वे नौसैनिकों पर लगाई गई सुप्रीम कोर्ट की सभी शर्तो का पूरा पालन सुनिश्चित करेंगे।
* वे सुनिश्चित करेंगे कि दोनों नौसैनिकों के भारत में रहने, इटली जाने और भारत वापस आने के दौरान कोर्ट द्वारा लगाई गई किसी भी शर्त का उल्लंघन न हो।
* जैसे ही कोर्ट नौसैनिकों को इटली जाने की इजाजत देगा, दोनों नौसैनिक लगातार उनकी [राजदूत] निगरानी, नियंत्रण, संरक्षण और सुरक्षा में रहेंगे ताकि कोर्ट द्वारा तय तारीख से पहले दोनों की दिल्ली के पुलिस आयुक्त के समक्ष पेशी सुनिश्चित हो।
* डेनियल ने यह भी कहा था कि अगर कोर्ट दोनों नौसैनिकों को मतदान के लिए इटली जाने की इजाजत देगा तो वे आभारी होंगे।
इटली के साथ रिश्तों की समीक्षा शुरू
नई दिल्ली। भारतीय मछुआरों की हत्या के आरोपी अपने नौसैनिकों को लेकर अड़ियल रुख दिखा रहे इटली के साथ भारत ने अपने संबंधों की समीक्षा शुरू कर दी है। वादाखिलाफी की करतूत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब करने के लिए कूटनीतिक मुहिम भी तेज कर दी गई है। इस कड़ी में भारत ने यूरोपीय संघ के राजदूत के साथ भी इटली का मुद्दा उठाया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को कहा कि भारत ने इटली के साथ अपने संबंधों की व्यापक समीक्षा की प्रक्रिया शुरू की है। इसके पूरा होने और उस समय मौजूद स्थितियों के आधार पर सरकार निर्णय लेगी। दोनों देशों के बीच 1947 से राजनीतिक संबंध हैं। दोनों देशों के बीच 5,964 करोड़ रुपये के द्विपक्षीय व्यापार में पलड़ा भारत के हक में झुका है।
सूत्रों के मुताबिक विदेश मंत्रालय के अलावा वाणिज्य और रक्षा समेत कई अन्य मंत्रालय भी संबंधों की समीक्षा कर रहे हैं। ताकि यह पता लगाया जा सके कि इटली के साथ यदि कोई सख्त कदम उठाया जाता है तो उसका असर क्या होगा? यह कवायद बुधवार को संसद में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से दी गई उस चेतावनी के बाद शुरू हुई है जिसमें कहा गया था कि अगर इटली ने अदालती कार्यवाही के लिए अपने नौसैनिकों को भारत वापस नहीं भेजा तो उसे इसके परिणाम भुगताने होंगे। सूत्रों के अनुसार भारतीय अधिकारियों ने गुरुवार शाम इस मुद्दे पर यूरोपीय संघ के राजदूत जे क्राविन्हो से भी चर्चा की।
इटली ने फिर दोहराया है कि बीच समुद्र में उसके नौसैनिकों की गोली से दो भारतीय मछुआरों की मौत के इस मामले को अंतराष्ट्रीय अदालत में ले जाने के लिए उसके पास ठोस आधार हैं।
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