Move to Jagran APP

एक ही रूट चुनने के कारण माओवादियों का शिकार बने CRPF जवान

माओवादियों ने ग्रामीणों के जरिए सीआरपीएफ के जवानों द्वारा अपनाए गए रास्‍ते का पता लगाया और अचानक हमला कर दिया।

By Monika minalEdited By: Published: Wed, 26 Apr 2017 10:46 AM (IST)Updated: Wed, 26 Apr 2017 10:58 AM (IST)
एक ही रूट चुनने के कारण माओवादियों का शिकार बने  CRPF जवान
एक ही रूट चुनने के कारण माओवादियों का शिकार बने CRPF जवान

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। छत्‍तीसगढ़ के सुकमा में सोमवार को माओवादियों ने सीआरपीएफ के उन जवानों पर हमला किया जिन्‍हें नक्‍सल प्रभावित इलाके बुरकापाल और चिंतागुफा के बीच सड़क निर्माण को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसे पिछले सात सालों में सबसे बड़ा माओवादी हमले के साथ हथियारों के लूट का भी बड़ा मामला बताया जा रहा है।

loksabha election banner

ग्रामीणों को बनाया था ढ़ाल

सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन तीन ग्रुप में विभाजित हुई थी। जब लगभग 400 माओवादियों ने सीआरपीएफ की पहली टीम पर हमला किया, तो दूसरे दो टीम इसके बचाव में आगे आई, लेकिन उन पर भी माओवादियों ने हमला कर दिया। माओवादियों ने जवानों की ओर से जवाबी कार्रवाई को रोकने के लिए ढाल के रूप में ग्रामीणों का इस्तेमाल किया।

कुछ दिनों से अपना रहे थे एक ही रास्‍ता

सूत्रों के अनुसार, सीआरपीएफ के ये जवान पिछले कुछ दिनों से एक ही रूट का इस्तेमाल कर रहे थे जिसके कारण माओवादियों का शिकार बन गए, क्‍योंकि ग्रामीणों के जरिए माओवादी उनकी गतिविधि पर नजर रख रहे थे। पहला हमला तब हुआ जब जंगल में 36 जवानों वाली सीआरपीएफ टीम लंच के लिए रुकी।

हथियारों को भी लूट ले गए माओवादी
इस हमले के बाद माओवादी अपने साथ हथियारों का बड़ा जखीरा भी लूटकर ले गए जिसे सीआरपीएफ लूट का बड़ा मामला बता रहे हैं। लूटे गए हथियारों में 12 एके, पांच INSAS समेत 22 राइफल, 3,400 से अधिक लाइव राउंड, एके राइफल्स के 75 मैगजीन, INSAS के 31 मैगजीन, 67 यूबीजीएल राउंड, 22 बुलेट प्रूफ जैकेट, दो दूरबीन, पांच वायरलेस सेट और मेटल डिटेक्टर था।

हमले में इनका हाथ
सूत्रों ने बताया यह हमला कमांडर हिडमा के नेतृत्‍व वाले पीपुल्‍स लिबरेशन गुरिल्‍ला आर्मी द्वारा कराया गया जो 11 मार्च को माओवादी हमले के पीछे था जिसमें सीआरपीएफ के 12 जवान मारे गए थे। कांग्रेस नेताओं पर 2013 में डरभा वैली हमले में 27 लोगों के मारे जाने और चिनतालनार में 2010 में सीआरपीएफ पर हमले में 76 लोग मारे गए थे। कमांडर रघु के नेतृत्‍व में बस्‍तर डिविजनल के नक्‍सलियों के दल ने सड़कों के निर्माण के चलते सुरक्षा बलों पर हमलों को बढ़ाने की कोशिश कर रही है।

यह भी पढ़ें: सुकमा हमला: पन्द्रह फीट ऊंचाई से पेड़ों पर चढ़कर नक्सलियों ने की थी फायरिंग


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.