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मंडियों में कमर कसकर खरीद करने उतरीं सरकारी एजेंसियां, दलहन और तिलहन की खरीद को मिली मंजूरी

सरकार ने यह भी बताया कि 27 सितंबर तक हरियाणा और पंजाब के किसानों से 1837 रुपये प्रति मीट्रिक टन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 5637 मीट्रिक टन धान की खरीद की गई है। शेष राज्यों के लिए धान की खरीद आज से शुरू की गई है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 06:23 PM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 08:33 PM (IST)
मंडियों में कमर कसकर खरीद करने उतरीं सरकारी एजेंसियां, दलहन और तिलहन की खरीद को मिली मंजूरी
खरीफ मौसम के लिए खरीद की मंजूरी दी गई है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कृषि सुधार को लेकर संसद से पारित कानूनों के विरोध के बीच सरकारी एजेंसियां विभिन्न मंडियों में खरीद करने के लिए उतर चुकी हैं। किसानों को भरोसा दिलाने के उद्देश्य से सरकारी एजेंसियों को धान के साथ खरीफ सीजन की सभी प्रमुख फसलों की खरीद की मंजूरी दी गई है। एक अक्तूबर से चालू होने वाली सामान्य खरीद निर्धारित समय से पहले ही शुरु हो चुकी है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर होने वाली खरीद के अनाज का भंडारण भारतीय खाद्य निगम की मुश्किलें बढ़ा सकता है।

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खरीफ मार्केटिंग सीजन 2019 के दौरान देश के 23 राज्यों से कुल 5.12 करोड़ टन धान की खरीद की गई थी। चालू खरीफ सीजन में एजेंसियों की ओर से खरीद के लिए अपनाए जाने वाले आक्रामक तेवर से साफ है कि सरकारी खरीद इससे कहीं अधिक हो सकती है। पंजाब औ हरियाणा की मंडियों में 26 सितंबर से ही धान की खरीद चालू हो चुकी है। इन दोनों राज्यों में पहले ही दिन 390 किसानों से कुल 5637 टन धान की खरीद हो चुकी है, जो 1868 रूपए प्रति क्ंिवटल के समर्थन मूल्य पर खरीदे गए हैं।

13.77 लाख टन दलहन व तिलहन की खरीद को भी दी मंजूरी

चालू खरीफ सीजन में कुछ राज्यों के आग्रह पर केंद्र सरकार ने 13.77 लाख टन दलहन व तिलहन की खरीद को भी मंजूरी दे दी है। इन राज्यों में तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और हरियाणा प्रमुख हैं। केंद्र ने भरोसा दिया है कि जिन राज्यों की ओर से इस तरह का आग्रह आएगा, उसके अनुरूप तुरंत मंजूरी दी जाएगी। दलहन व तिलहन की यह खरीद मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत की जाएगी, जिसका दायित्व कृषि मंत्रालय उठाता है। इन जिंसों की खरीद सरकारी एजेंसी नैफेड करती है। जबकि धान और अन्य अनाज की खरीद भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) करता है।

सरकारी खरीद की नोडल एजेंसियां घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 24 सिंतबर 2020 तक तमिलनाडु की मंडियों में 25 टन मूंग खरीदी गई। इसी तरह 52.40 करोड़ रूपए की लागत से 5000 टन से अधिक नारियल की खरीद भी हो चुकी है। दक्षिणी राज्यों में भी कृषि उपज की खरीद चालू कर दी है। खरीफ सीजन में ही बाजार में उतरने वाली कपास की खरीद के लिए एक अक्तूबर से काटन कारपोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) ने उतरने की घोषणा की है।

भंडारण की सबसे बड़ी चुनौती

एफसीआई समेत अन्य एजेंसियों के समक्ष एक बड़ी चुनौती भंडारण की पेश होने वाली है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक एफसीआई के पास सरकारी व किराए वाले कुल 2084 गोदाम हैं, जिनमें 8.7 करोड़ टन अनाज रखने की क्षमता है। जबकि इनमें से फिलहाल इन गोदामों में कुल 7.02 करोड़ टन अनाज भरा हुआ है।

मानसून की अच्छी बरसात और खरीफ फसलों की बंपर पैदावार के अनुमान के बीच हो रही खरीद भी अधिक हो सकती है। विपक्षी दलों की आशंकाओं के मद्देनजर सरकारी किसानों को आश्वस्त करने के लिए हर हाल में अधिक से अधिक खरीद करने की कोशिश में जुट गई है। इसमें केंद्रीय व राज्य एजेंसियों के अलावा सहकारी संस्थाएं भी जुट गई हैं।


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