सात महीने से चीन में फंसे भारतीय नाविक 14 को आएंगे स्वदेश, जहाज एमवी जग आनंद जापान के लिए हुआ रवाना
पत्तन पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री मनसुख मंडाविया (Mansukh Mandaviya) ने कहा है कि चीन में कई महीनों से मालवाहक जहाज एमवी जग आनंद (MV Jag Anand) पर फंसे 23 भारतीय चालक दल के सदस्य 14 जनवरी को वापस लौटेंगे।
नई दिल्ली, पीटीआइ। चीन की जलसीमा में सात महीने से फंसे 23 भारतीय नाविक 14 जनवरी को भारत आ जाएंगे। यह जानकारी केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने दी है। सात महीने से चीन के तट के पास फंसा मालवाही जहाज एमवी जग आनंद जापान के शीबा बंदरगाह के लिए रवाना हो गया है। वहां पर उसके कर्मचारी बदले जाएंगे। इसके बाद चालक दल के 23 भारतीय सदस्य 14 जनवरी को भारत आएंगे। मंडाविया ने कहा कि यह तात्कालिक इंतजाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अपनी कुशलता से अंजाम दिया।
इस दौरान ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग कंपनी ने भी मानवता का परिचय दिया, जिसके जहाज में भारतीय कार्य कर रहे हैं। जग आनंद सहित दो जहाज चीन के तट के पास महीनों से माल लेकर खड़े थे। इन जहाजों को चीन के बंदरगाह पर माल उतारना था। लेकिन चीन के अधिकारियों ने कोरोना संक्रमण के नियमों का बहाना लेकर इन जहाजों को तट पर आने की इजाजत नहीं दी, जबकि अन्य मालवाही जहाज बंदरगाह पहुंचकर अपना माल उतारते रहे। इस बीच 25 दिसंबर को चीन के अधिकारियों ने कह दिया कि उनका दोनों जहाजों से कोई संपर्क ही नहीं हुआ है।
इसका कारण दोनों जहाजों पर भारतीय चालक दल का होना माना गया। बाद में भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने चीनी अधिकारियों से संपर्क भी किया लेकिन चीन के अधिकारी टस से मस नहीं हुए। माना जा रहा है कि दोनों जहाजों का संबंध भारत और ऑस्ट्रेलिया से है, इसलिए चीन के अधिकारी दोनों को तट पर आने नहीं दे रहे। दोनों जहाजों पर कुल 39 भारतीय हैं। इसी प्रकरण के बाद जग आनंद को जापान की ओर रवाना किया गया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा है कि इस अप्रिय स्थिति में जहाजों के कर्मचारी एक तरह के संत्रास से गुजर रहे थे। एमवी जग आनंद हुबेई प्रांत के जिंगतांग बंदरगाह के पास 13 जून से लंगर डाले हुए था जबकि एमवी एनास्तासिया चीन के काओफीडियन बंदरगाह के पास 20 सितंबर से खड़ा है। एनास्तासिया में 16 भारतीय हैं। प्रवक्ता ने कहा, चीन ने दोनों जहाजों को न तो तट पर आने की इजाजत दी और न ही उनके कर्मचारियों को बदलने की। इससे जहाज पर मौजूद कर्मियों को महीनों संत्रास झेलना पड़ा।