वापस लौटने पर हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल मन्नान को मिल सकती है माफी
सूत्रों के अनुसार पिछले तीन महीने 100 से अधिक युवाओं को आतंकी बनने से रोकने में सफलता मिली है, जिनके बारे में उनके परिवार वालों ने पुलिस को सूचना दी थी।
नई दिल्ली, [नीलू रंजन]। हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र मन्नान वानी यदि वापस लौटता है, तो उसे माफी मिल सकती है। मन्नान वानी पर फिलहाल किसी भी आतंकी हमले का आरोप नहीं है। इसके पहले भी आतंकी बने कई युवाओं को घर वापस लौटने पर माफी दी जा चुकी है। मन्नान वानी के माता-पिता उससे वापस लौटने की अपील कर रहे हैं।
सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आतंकवाद के रास्ते पर चले गए युवाओं की वापसी को प्रोत्साहित करने के लिए हरसंभव कोशिश की जा रही है। जिसमें ऐसे आतंकियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करना शामिल है, जिनके खिलाफ आतंकी वारदात की कोई शिकायत नहीं है। उन्होंने कहा कि चूंकि मन्नान अभी हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ है और उसके खिलाफ किसी आतंकी हमले में शामिल होने का आरोप है। इसीलिए घर वापस लौटने पर उसे भी माफ किया जा सकता है।
गौरतलब है कि दो महीने पहले माजिद खान नाम के फुटबाल खिलाड़ी लश्करे तैयबा में शामिल होने के बाद माता-पिता की पुकार पर घर वापस लौट आया था। लेकिन उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद कुछ और युवा आतंक का रास्ता छोड़कर घर वापस लौट आए हैं। लेकिन सुरक्षा कारणों से सरकार उनके नाम का खुलासा नहीं कर रही हैं।
दरअसल घाटी में आतंकियों की रिकार्ड संख्या में मारे जाने के बाद कश्मीर की जनता भी अपने बच्चों के आतंकी बनने से रोकने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। आतंकी बनने के बाद वापस लौटने की भावुक अपील के साथ-साथ कई परिवार अपने बच्चों के आतंकियों से बढ़ती नजदीकी की सूचना भी पुलिस को दे रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार पिछले तीन महीने 100 से अधिक युवाओं को आतंकी बनने से रोकने में सफलता मिली है, जिनके बार में उनके परिवार वालों ने पुलिस को सूचना दी थी। यही नहीं, कश्मीर की बदली फिजा का अंदाजा मारे गए आतंकियों के अंतिम संस्कार में जुटी भीड़ से भी लगाया जा सकता है। डेढ़ साल पहले बुरहान वानी की मौत पर कश्मीर में आतंकियों को हीरो के रूप में देखा जाता था। यही नहीं, आतंकियों के मारे जाने पर बड़ी संख्या में लोग उसके अंतिम संस्कार में जुटते थे। अब आतंकियों के अंतिम संस्कार में चंद लोग ही जुटते हैं। पिछले साल के दौरान 206 से अधिक आतंकी मारे गए थे।