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Mann ki Baat: पीएम मोदी ने जनधन खाते से लेकर यूपीआई ट्रांजेक्शन तक का किया जिक्र, जानें- मुख्य बातें

मन की बात कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि डिजिटल पेमेंट से देश की अर्थव्यवस्था में स्वच्छता और पारदर्शिता आ रही है। आज औसतन 6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का डिजिटल पेमेंट यूपीआई से हो रहा है।

By Neel RajputEdited By: Published: Sun, 26 Sep 2021 10:28 AM (IST)Updated: Sun, 26 Sep 2021 11:31 AM (IST)
Mann ki Baat: पीएम मोदी ने जनधन खाते से लेकर यूपीआई ट्रांजेक्शन तक का किया जिक्र, जानें- मुख्य बातें
आज 81वीं बार मन की बात कर रहे हैं पीएम मोदी

नई दिल्ली, एएनआइ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 81वें संस्करण को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने जनधन खाते से लेकर यूपीआई ट्रांजेक्शन तक का जिक्र किया। इस दौरान उन्होंने विश्व नदी दिवस पर भी चर्चा की और नदियों की साफ-सफाई को लेकर बात की। 

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डिजिटल पेमेंट से देश की अर्थव्यवस्था में आ रही स्वच्छता और पारदर्शिता

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, डिजिटल पेमेंट से देश की अर्थव्यवस्था में स्वच्छता और पारदर्शिता आ रही है। उन्होंने बताया कि अगस्त महीने में यूपीआई से 355 करोड़ लेनदेन हुए। उन्होंने कहा, आज औसतन 6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का डिजिटल पेमेंट यूपीआई से हो रहा है। 

महात्मा गांधी ने स्वच्छता को जन-आंदोलन बनाने का काम किया

प्रधानमंत्री ने कहा, हमारे आज के नौजवान को ये जरूर जानना चाहिए कि साफ-सफाई के अभियान ने कैसे आजादी के आंदोलन को निरंतर ऊर्जा दी थी। ये महात्मा गांधी ही तो थे, जिन्होंने स्वच्छता को जन-आंदोलन बनाने का काम किया था। महात्मा गांधी ने स्वच्छता को स्वाधीनता के सपने के साथ जोड़ दिया था।

नदियों की साफ-सफाई पर रखा फोकस

पीएम मोदी ने इस दौरान छठ पूजा का जिक्र किया। उन्होंने इसे नदियों की स्‍वच्‍छता के लिए बड़ा अवसर बताते हुए कहा कि कुछ दिनों में छठ के लिए नदियों की सफाई शुरू हो जाएगी। प्रधानमंत्री ने इस बार नदियों की स्‍वच्‍छता पर अपना फोकस रखा। उन्‍होंने विश्‍व नदी दिवस का जिक्र करते हुए कहा कि हम नदियों को मां कहते हैं और इनके लिए गीत गाते हैं तो यह सवाल उठता है कि ये नदियां प्रदूषित कैसे हो जाती हैं।

पीएम मोदी ने कहा, नदियों का स्मरण करने की परंपरा आज भले लुप्त हो गई हो या कहीं बहुत अल्पमात्रा में बची हो लेकिन एक बहुत बड़ी परंपरा थी जो प्रातः में स्नान करते समय ही विशाल भारत की एक यात्रा करा देती थी, मानसिक यात्रा! उन्होंने कहा, आजकल एक विशेष ई-आक्शन चल रहा। ये इलेक्ट्रानिक नीलामी उन उपहारों की हो रही है, जो मुझे समय-समय पर लोगों ने दिए हैं। इस नीलामी से जो पैसा आएगा, वो नमामि गंगे अभियान के लिये ही समर्पित किया जाता है।

नदियों की सफाई में सबका सहयोग जरूरी

पीएम ने कहा, हमारे शास्त्रों में नदियों में जरा सा प्रदूषण करने को भी गलत बताया गया है। हम नदियों की सफाई और उन्हें प्रदूषण से मुक्त करने का प्रयास सबके प्रयास और सहयोग से कर सकते हैं। नमामि गंगे मिशन आज आगे बढ़ रहा है तो इसमें सभी लोगों के प्रयास, जगजागृति, जनआंदोलन की बड़ी भूमिका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, हमारे लिए नदियां एक भौतिक वस्तु नहीं है। हमारे लिए नदी एक जीवंत इकाई है और तभी तो हम नदियों को मां कहते हैं। हमारे कितने ही पर्व हों, त्योहार हों, उत्सव हों ये सभी इन माताओं की गोद में भी होते हैं। उन्होंने कहा, भारत में स्नान करते समय एक श्लोक बोलने की परंपरा रही है। गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिं कुरु। पहले हमारे घरों में परिवार के बड़े ये श्लोक बच्चों को याद करवाते थे और इससे हमारे देश में नदियों को लेकर आस्था भी पैदा होती थी। विशाल भारत का एक मानचित्र मन में अंकित हो जाता था। नदियों के प्रति जुड़ाव बनता था।

कार्यक्रम के जरिए लोगों से संवाद करते हैं पीएम

इस रेडियो कार्यक्रम के जरिए पीएम मोदी लोगों से संवाद करते हैं और लोगों से जुड़े अहम मुद्दों पर अपने विचार साझा करते हैं। हर महीने के आखिरी रविवार को इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। मन की बात कार्यक्रम के 81वें संस्करण के लिए पीएम मोदी ने जनता से सुझाव भी मांगे थे, जिससे इस कार्यक्रम में नए सुझावों और प्रगतिशील विचारों को शामिल किया जा सके।


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