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पीएम ने माना, देश गंभीर आर्थिक संकट में

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में लगातार गिरावट के साथ खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी इस सच्चाई को स्वीकार किया है कि देश गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। उसकी बाहरी और घरेलू समेत तमाम वजहें हैं। इन सबका असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। लिहाजा, शुक्रवार को संसद में वह खुद देश की इस कठिन वित्त

By Edited By: Published: Thu, 29 Aug 2013 10:03 PM (IST)Updated: Thu, 29 Aug 2013 10:31 PM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में लगातार गिरावट के साथ खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी इस सच्चाई को स्वीकार किया है कि देश गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। उसकी बाहरी और घरेलू समेत तमाम वजहें हैं। इन सबका असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। लिहाजा, शुक्रवार को संसद में वह खुद देश की इस कठिन वित्तीय संकट की स्थिति पर बयान देंगे।

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पढ़ें: आर्थिक आपातकाल

हाल के दिनों में रुपये की लगातार गिरती कीमत से खड़े हुए नए वित्तीय संकट पर गुरुवार को संसद भी काफी चिंतित दिखी। लोकसभा में नेता विपक्ष सुषमा स्वराज, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव समेत दूसरे सदस्यों ने इस मसले को उठाया। सरकार से जवाब की मांग को लेकर सदन की कार्यवाही भी दो बार स्थगित करनी पड़ी। जबकि, राज्यसभा में सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही नेता विपक्ष अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री की मौजूदगी में यह मुद्दा उठाया। जेटली ने कहा कि इस साल डॉलर के मुकाबले रुपये का मूल्य 20 प्रतिशत तक गिर चुका है। एक डॉलर की कीमत 68 रुपये से ऊपर जा चुकी है। देश के लोग दहशत में हैं। वे जानना चाहते हैं कि रुपये का यह अवमूल्यन कहां जाकर रुकेगा?

उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ रहा है। खाने-पीने की चीजों की कीमतें ही नहीं बढ़ रहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के चलते महंगाई का भी आयात कर रहे हैं। सवाल यह है कि इन स्थितियों में सरकार क्या करने जा रही है? प्रधानमंत्री भी चुप हैं। वह बताएं कि अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर (पुनर्जीवित) लाने के लिए उन्होंने क्या सोचा है। उन्हें देश और सदन को विश्वास में लेना चाहिए। माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि आर्थिक सुधारों की शुरुआत के 22 साल बाद आखिर देश फिर इस स्थिति में कैसे पहुंचा?

सदन में मौजूद प्रधानमंत्री ने माना कि देश गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। अमेरिका की मौद्रिक स्थिति और सीरिया में पैदा हुए तनाव के चलते तेल के दाम बढ़े हैं। उसका सबका असर भी देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। इन अनिश्चितताओं को भी समझना होगा। हालांकि, इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि इस संकट की वजहें घरेलू भी हैं। लिहाजा, वह शुक्रवार को इन स्थितियों पर संसद में खुद बयान देंगे।

उधर, लोकसभा में सुषमा स्वराज ने प्रधानमंत्री पर तंज किया कि अर्थशास्त्र में पीएचडी किए बैठे लोगों से अर्थव्यवस्था नहीं संभल रही है। रुपये से देश की प्रतिष्ठा जुड़ी है और यह लगातार गिर रहा है। सपा के मुलायम सिंह यादव ने मौजूदा आर्थिक संकट के लिए सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। 1991 में देश का सोना गिरवी रखना पड़ा था। इस बार भी दुनिया की नजर हमारे सोने पर है। इस मुद्दे पर ही दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। आखिरकार कार्यवाही तभी चल पाई, जब प्रधानमंत्री ने वहां भी सदन में आकर शुक्रवार को बयान देने का भरोसा दिया।

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