मनमोहन की अगुआई में बनेगा अमेरिका पर दबाव
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रुपये की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर गिरने और बदतर आर्थिक हालात के बीच प्रधानमंत्री जी-20 देशों की बैठक में शिरकत के दौरान इस स्थिति से निपटने के लिए दुनिया की मदद जुटाने का प्रयास भी करेंगे। खासतौर से बाजार से नगदी खींचने के अमेरिकी केंद्रीय बैंक फ
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रुपये की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर गिरने और बदतर आर्थिक हालात के बीच प्रधानमंत्री जी-20 देशों की बैठक में शिरकत के दौरान इस स्थिति से निपटने के लिए दुनिया की मदद जुटाने का प्रयास भी करेंगे। खासतौर से बाजार से नगदी खींचने के अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के फैसले से विश्व अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे विपरीत असर का मुद्दा इस बैठक के केंद्र में रहेगा। डॉलर के मुकाबले मुद्रा अवमूल्यन से भारत के अलावा दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और इंडोनेशिया समेत तमाम देशों में निवेश पर सबसे विपरीत प्रभाव पड़ा है।
विकसित और प्रमुख उभरते देशों के संगठन जी-20 की यह दो दिवसीय शिखर बैठक सेंट पीटर्सबर्ग में 5-6 सितंबर को होगी। प्रधानमंत्री के साथ इस बैठक में भाग लेने जा रहे योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने स्पष्ट संकेत दिए कि अमेरिका से उसके इस फैसले को पलटने का दबाव बनाया जाएगा। फेडरल रिजर्व के फैसले से अमेरिकी निवेशक उभरती अर्थव्यवस्थाओं से अपने डॉलर वापस खींच रहे हैं। इसी के असर से भारतीय रुपये से लेकर दक्षिण अफ्रीकी रेंड और इंडोनेशिया के रुपय्या तक में भारी गिरावट आई है। इस शिखर बैठक के दौरान फेड रिजर्व के इस फैसले पर विचार को कहेंगे।
उन्होंने कहा, 'यह ठीक है कि सभी सरकारें अपनी जनता के लिहाज से वित्तीय फैसले करती हैं, मगर दूसरे देशों की संवेदनशीलता का भी ध्यान रखना होगा कि उन पर विपरीत असर न पड़े। इस फैसले के असर से प्रभावित विकासशील देशों की मुद्रा में भारी गिरावट आई है। इस कदम से ग्लोबल आर्थिक मंदी के हालात बनेंगे। इसका असर अंतत: उनकी अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा।'
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बदहाल आर्थिक स्थिति के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) से कर्ज लेने की आशंका को भी सरकार ने खारिज कर दिया है। मोंटेक के मुताबिक, फिलहाल भारत की स्थिति इस स्तर तक नहीं पहुंची है कि बाहर से मदद ली जाए। निकट भविष्य में भी ऐसी कोई संभावना नहीं दिख रही है।
भारत ने 1991 में सोना गिरवी रखकर आइएमएफ से कर्ज लिया था। इसे भारत के लिए शर्मनाक माना गया था। ध्यान रहे कि बीते बुधवार को रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर तक पहुंच गया था। इसे प्रतिष्ठा के सवाल से न जोड़ते हुए मोंटेक ने कहा कि चालू खाते के घाटे में बढ़ोतरी सिंतबर के अंत तक रुकती नहीं दिखती है।
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