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मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्‍ला ने हामिद अंसारी को दी ये सलाह

बतौर उपराष्‍ट्रपति अपने अंतिम साक्षात्कार में अंसारी ने कहा कि देश में अल्‍पसंख्‍यक खासतौर पर मुसलमान इस समय काफी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 11 Aug 2017 12:38 PM (IST)Updated: Fri, 11 Aug 2017 12:42 PM (IST)
मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्‍ला ने हामिद अंसारी को दी ये सलाह

नई दिल्ली, एएनआइ। मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने शुक्रवार को उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की देश के मुसलमानों के बारे में अपनी 'अपमानजनक' टिप्पणी की निंदा की। उन्होंने कहा कि उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को ऐसे बयान देने से बचना चाहिए, जिनसे माहौल खराब हो।

हेपतुल्ला ने कहा, 'उच्च संवैधानिक स्थिति पर बैठे लोगों को ऐसे बयानों से बचना चाहिए जो माहौल को खराब कर सकते हैं। हमारी जिम्मेदारी लोगों को शांति बनाए रखने में मदद करने की होनी चाहिए। ऐसी अपमानजनक टिप्पणी करने से जितना संभव हो उतना बचना चाहिए।'

इसी तरह के विचार भारतीय जनता पार्टी के नेता नलिन कोहली ने व्‍यक्‍त किए। उन्‍होंने कहा कि भाजपा कभी ऐसे काम नहीं करेगी, जिससे भारतीय नागरिकों में असुरक्षा की भावना उत्‍पन्‍न हो। उन्‍होंने कहा, 'हामिद अंसारी का अपना एक दृष्टिकोण और विचार हो सकते हैं, लेकिन अगर यह विचार देश की भावनाओं को आहत करता है तो इसे ध्यान में रखा जाना चाहिए। अगर दुनिया को एक सुरक्षित स्थान बनाना है, तो अच्छा होगा कि ऐसे बयान ना दिए जाएं, जिससे देश का माहौल खराब हो सकता है। जहां तक हमारी पार्टी का संबंध है, तो हम भारतीय नागरिकों के विरूद्ध ऐसा कोई काम नहीं करते जिससे असुरक्षा की भावना पैदा हो।'

बुधवार को बतौर उपराष्‍ट्रपति अपने अंतिम साक्षात्कार में अंसारी ने कहा कि देश में अल्‍पसंख्‍यक खासतौर पर मुसलमान इस समय काफी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। अंसारी से पूछा गया था कि क्या हाल में भीड़ की तरफ से पीट-पीटकर मारने की घटना और गौरक्षकों की तरफ से की जा रही हिंसा ने देश के मुस्लिम समुदाय को भयभीत कर दिया है? इसके जवाब में अंसारी ने कहा, 'हां, यह बिल्कुल सही आकलन है। देश के सभी जगहों से यह मैं सुनता आया हूं। मैंने ये बातें बेंगलुरू में सुनी है, ये बातें देश के अन्य हिस्से में भी सुनी है। सबसे ज्यादा इस तरह की घटना उत्तरी भारत में सुनी है। उनमें एक तरह से असुरक्षा की भावना है और वे भयभीत हैं। उनके स्वीकार्यता का माहौल खतरे में है।'

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