नक्सलियों की जनअदालत से पहली बार जिंदा लौटे मंगल ने सुनाई अपनी दर्द भरी कहानी
बस्तर के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब जनअदालत में मुजरिम करार दिए गए एक शिक्षक को नक्सलियों ने ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए जिंदा छोड़ दिया।
नारायणपुर [मो.इमरान खान]। अबूझमाड़ में नक्सलियों द्वारा आए दिन खून की होली खेली जा रही है। नक्सली यहां जनअदालत लगाते हैं और ग्रामीणों पर पुलिस का सहयोगी होने का अरोप लगाकर मौत के घाट उतार देते हैं। बस्तर के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब जनअदालत में मुजरिम करार दिए गए एक शिक्षक को नक्सलियों ने ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए जिंदा छोड़ दिया। अबूझमाड़ के इतिहास में पहली बार हुई इस तरह की घटना में नक्सली बेबस नजर आए। नक्सलियों के बिछाए मौत के जाल से नई जिंदगी लेकर लौटे मंगल मंडावी ने नईदुनिया से अपनी दर्द भरी दास्तां साझा की।
20 अगस्त 2016 को नक्सलियों ने गारपा गांव के शिक्षक मंगल मंडावी के घर को चारों तरफ से घेर लिया। परिजनों से मंगल के बारे में पूछताछ करने लगे। इस वक्त मंगल जंगल की ओर गया था। उसे खबर भेजकर घर बुलवाया गया। इसके बाद नक्सलियों ने उस पर पुलिस का खबरी होने का आरोप लगाया और दोनों हाथों को पीछे बांध कर अपने साथ जंगल की ओर ले गए।
मंगल ने बताया कि नक्सलियों ने उसकी आंखों में पट्टी बांध दी थी और उसे अलग-अलग जगहों पर घुमाकर उससे पूछताछ करते रहे। हर दिन एक नई जगह में नए एरिया कमेटी के कमांडर के सामने उसे पेश किया जाता और फिर बेदर्दी के साथ उसकी पिटाई की जाती थी। 13 दिनों तक अबूझमाड़ के जंगल में मंगल के साथ इस तरह की प्रताड़ना का दौर चलता रहा।
14 वें दिन नक्सलियों ने गारपा से पांच किमी दूर जंगल में जन अदालत लगाई। जन अदालत में पहले से ही मंगल को पुलिस का सहयोगी होने का फैसला देना तय था। इसी के साथ नक्सली उसे मौत के घाट उतारने वाले थे। ग्रामीणों और गारपा संकुल के सभी शिक्षकों के साथ आसपास के जनताना सरकार के सदस्यों और संघम सदस्यों को इस जनअदालत में बुलाया गया।
अदालत की कार्रवाई शुरू करते ही नक्सलियों के बड़े लीडर मंगल को पुलिस सहयोगी कहकर जान से मारने की बात करने लगे। इसी बीच वहां मौजूद ग्रामीणों ने मंगल के समर्थन में आवाज उठाई। उन्होंने कहा कि गुरूजी कभी भी पुलिस का आदमी नहीं हो सकता।
मंगल के पक्ष में आसपास के एक दर्जन गांव के लोग खड़े हो गए। इस बीच जन अदालत में गारपा संकुल के शिक्षकों ने भी एक स्वर में मंगल को जान से मारने के फैसले का विरोध किया। इसके बाद नक्सलियों ने जन अदालत की कार्रवाई को एक घंटे के लिए रोक दिया और अपने लीडरों से ग्रामीणों के मंगल के पक्ष में समर्थन की चर्चा की। कुछ देर बाद जन अदालत की कार्रवाई फिर शुरू हुई।
नक्सलियों के संघम सदस्यों ने भी मंगल मंडावी की पैरवी करते कहा कि वह पुलिस का मुखबिर नहीं है। इसके बाद नक्सलियों के द्वारा अपने फैसले को टालते हुए मंगल पर विशेष निगरानी रखने की बात कही गई। ग्रामीणों ने नक्सलियों की इस जनअदालत से मंगल के लिए जमानत की बात उठी। पूछा गया कि मंगल की जमानत कौन लेगा।
नक्सली कमांडर की बात खत्म होने से पहले ही सभी ग्रामीण, शिक्षक और संघम सदस्यों सभी ने मंगल के पक्ष में जमानत लेने की बात पर हामी भर दी। इसके बाद मंगल को नक्सलियों के द्वारा रिहा कर दिया गया। अबूझमाड़ में ऐसा पहली बार हुआ है जब नक्सलियों की जनअदालत से किसी ग्रामीण को सकुशल छोड़ दिया गया और यह सिर्फ ग्रामीणों की एकजुटता के चलते ही संभव हो पाया।