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सैकड़ों की जान बचाने वाला खुद सड़क पर तड़पकर मर गया...मदद को नहीं बढ़ा कोई हाथ

जिनेश जेरोन सड़क हादसे में बुरी तरह घायल हो गए थे। लेकिन उनकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आया, जिसके बाद उन्होंने सड़क पर ही दम तोड़ दिया।

By Arti YadavEdited By: Published: Wed, 03 Oct 2018 11:21 AM (IST)Updated: Wed, 03 Oct 2018 04:58 PM (IST)
सैकड़ों की जान बचाने वाला खुद सड़क पर तड़पकर मर गया...मदद को नहीं बढ़ा कोई हाथ

तिरुवनंतपुरम (एजेंसी)। जिस शख्स ने 100 लोगों की जान बचाई, जब उसे मदद की जरूरत पड़ी तो कोई आगे नहीं आया। शायद मदद का कोई एक हाथ भी आगे बढ़ता, तो आज वो जिंदा होता। हम यहां बात कर रहे हैं जिनेश जेरोन की। वहीं जिनेश जिसने अपनी जान की परवाह किए बिना केरल में भीषण बाढ़ के दौरान कई लोगों की जान बचाई थी। लेकिन सड़क हादसे के बाद उन्होंने तब दम तोड़ दिया, जब किसी राहगीर ने उनकी मदद करना जरूरी नहीं समझा।

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किसी ने नहीं की घायल जिनेश की मदद
23 वर्षीय जिनेश जेरोन तमिलनाडु में कन्याकुमारी के नजदीक शुक्रवार को सड़क हादसे का शिकार हो गए थे। वे कन्याकुमारी के नजदीक कोल्लानगोडू से बाइक पर जा रहे थे, तभी एक ट्रक सामने से आया और उन्हें कुचल दिया। इस दौरान उनके साथ दोस्त जगन भी थे। हादसे में जिनेश गंभीर रूप से घायल हो गए। वह करीब आधे घंटे तक सड़क पर तड़पते रहे, लेकिन किसी ने भी उनकी मदद नहीं की।

दूसरों की मदद करना था पसंद

उनके दोस्त जगन ने कहा कि मुझे विश्वास नहीं होता कि जिनेश जैसे व्यक्ति के साथ ऐसा हो सकता है। उसे दूसरों की मदद करना बेहद पसंद था। इसी से वह बाढ़ के दौरान हीरो बना था। हादसे के बाद उन तक एम्बुलेंस पहुंचने में आधा घंटा लग गया। वहां कुछ देर तक संघर्ष बाद उनकी जान चली गई। उनके दोस्त ने कहा कि अगर किसी ने हमारी मदद की होती तो जिनेश की जान बच जाती। जिनेश के अंतिम संस्कार में तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर भी पहुंचे थे।

अपनी जान पर खेलकर बचाई थी 100 लोगों की जिंदगी
बाढ़ के दौरान जिनेश अपनी जान पर खेलकर 100 लोगों की जिंदगी बचाई थी। मीडिया में भी उनके द्वारा किए गए कार्यों पर कई रिपोर्ट और स्टोरी लिखी गई। उनके वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर खूब शेयर किए गए। केरल के पोनथूरा में किराए के घर में रहने वाले जिनेश के घरवाले और दोस्त अक्सर उस वीडियो और फोटो को देखते थे, जिसमें वे लोगों की जान बचाते व सुरक्षित जगहों पर ले जाते नजर आ रहे हैं। अब उनकी सिर्फ यादें बच गई। जिनेश की मां ने बताया कि जब चर्च की ओर से मछुआरों से बचाव कार्य में मदद के लिए मीटिंग की गई तब जिनेश और उनके 6 दोस्त एक नाव लेकर निकल पड़े। उन्होंने किसी का इंतजार नहीं किया, जबकि बाकी टीमें अगले दिन गईं।


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