सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने वाली बिन्दू अम्मिनी पर हमला, केरल मंत्री बोले- शांति भंग करने की हो रही साजिश
सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने वाले दो महिलाओं में से एक पर हमला किया गया है। मंत्री देवस्वाम ने कहा है कि
तिरुवनंतपुरम (केरल) एएनआइ। केरल के सबरीमाला मंदिर में सबसे पहले प्रवेश करने वाली दो महिलाओं में से एक बिन्दू अम्मिनी पर किसी व्यक्ति ने मिर्च छिड़क कर हमला किया। इस मामले पर केरल देवस्वाम मंत्री कडकम्पल्ली सुरेंद्रन ने कहा कि मुझे संदेह है कि तृप्ति देसाई के नेतृत्व में एक समूह द्वारा साबरिमला में शांति को बांधित करने की साजिश है। उनका यहां आना और कार्यकर्ता बिंदू अम्मिनी पर हमला एक पूर्व नियोजित एजेंडे का हिस्सा था। सरकार ऐसा नहीं होने देगी।
अम्मिनी ने बताया कि आज सुबह जब वह एर्नाकुलम शहर के पुलिस आयुक्त कार्यालय के बाहर खड़ी थी तब एक शख्स ने आकर उनके चेहरे पर मिर्चा पॉउडर छिड़क दिया। इसी बीच महिला अधिकार कार्यकरात तृप्ति देसाई भी सबरीमाला मंदिर में दर्शन करने के लिए मंगलवार सुबह मंदिर पहुंची। उन्हीं के साथ बिन्दू भी यहां आई।
महिला अधिकार कार्यकर्ता तृप्ती देसाई मंगलवार को भगवान अयप्पन मंदिर में पूजा करने के लिए सबरीमाला कोच्ची पहुंच गई हैं। देसाई और कुछ अन्य कार्यकर्ता जो मंगलवार तड़के कोच्चि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे, उन्हें कोच्चि शहर के पुलिस आयुक्तालय ले जाया गया। उन्होंने कहा कि उन्होंने 26 नवंबर को धर्मस्थल का दौरा करना का फैसला किया है क्योंकि 26 नवंबर को संविधा दिवस है। उन्होंने कहा कि वह सबरीमाला में भगवान अयप्पा मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट के 2018 के आदेश के साथ आई है।
देसाई ने आगे कहा कि मैं मंदिर में प्रार्थना करने के बाद ही केरल से निकलूंगा। पुणे की रहने वाली देसाई ने पिछले साल नवंबर में मंदिर में प्रवेश करने का प्रयास किया था दो असफल रहा था। जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल की उम्र के बीच महिलाओं और लड़कियों को प्रतिबंधित धर्मस्थल में प्रवेश करने से रोकने वाले प्रतिबंध को हटा दिए है।
16 नवंबर को खोले गए थे मंदिर के कपाट
बता दें कि 16 नवंबर को मंदिर के कपाट मंडल पूजा उत्सव के लिए खोले गए थे। करीब दो महिने तक इन कपाटों को खोलकर रखा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में हर उम्र की महिला को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति दे दी थी। लेकिन उसके बाद से कोई भी 12 ये 50 वर्ष की महिला मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई थी। क्योंकि वहां लगातार इसका विरोध किया जा रहा था।