कांग्रेस, शिवसेना सहित कई दलों ने की बजट टालने की मांग
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कांग्रेस, जेडीयू अौर पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा का विचार है कि आज बजट टाला जाए।
नई दिल्ली(जेएनएन)। अाम बजट 2017 को पेश करने के लिए वित्तमंत्री अरुण जेटली संसद में पहुंच गए हैं। वहीं सांसद इ अहमद के निधन के कारण कांग्रेस, शिवसेना सहित कई दल अाम बजट को टालने की मांग कर रहे हैं।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने बजट को टालने की मांग की है। खड़गे ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि ई अहमद के निधन की खबर को जानबूझ कर दबाया गया। जो कि एक अमानवीय कार्य है। उन्होंने कहा कि आज 31 मार्च नहीं है, जो बजट पेश करना मजबूरी हो। अभी बहुत समय है। ऐसे में बजट को टाल देना चाहिए। खड़गे ने कहा इससे पहले भी सांसदों के निधन पर बजट सत्र टाला गया है। हालांकि सरकार की ओर से बजट की सारी तैयारियां हो चुकी है।
एचडी देवगौड़ा ने कहा कि सरकार को इसके लिए राष्ट्रपति के पास नहीं जाना चाहिए। ऐसी जल्दबाजी कैसी। यह सहकार की मानसिकता को दर्शाता है।सपा के सांसद नरेश अग्रवाल ने कहा की परम्परा के मुताबिक बजट पेश नहीं करना चाहिए, नरेश अग्रवाल ने सरकार पर परंपरा का निर्वहन ना करने का आरोप लगाया. संविधान के जानकार सुभाष कश्यप का मानना है की अब जबकि बजट की कॉपी संसद में पहुच चुकी है ऐसे में बजट को टाला नहीं जा सकता है।
ई अहमद की खबर की सूचना मिलने के बाद पीएम मोदी उनके आवास पर पहुचें। गौरतलब है कि कल यानि मंगलवार को केरल के 78 वर्षीय सांसद ई अहमद को राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान दिल का दौरा पड़ा था। हालात बिगड़ने पर उन्हें राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया। जहां उनकी मृत्यु हो गयी है। ई अहमद यूपीए सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
बता दें कि इस बार का आम बजट कई मायनों में अहम होने वाला है। यह पहला मौका होगा जब 28 या 29 फरवरी के बजाय बजट 1 फरवरी को पेश किया जा रहा है। वहीं रेल बजट को आम बजट में शामिल करके पेश किया जाएगा। जो कि पहली बार होगा। इससे पहले रेल बजट को अलग से पेश किया जाता था।
गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2017-18 के लिए आम बजट एक फरवरी 2017 को पेश होगा या नहीं इस पर संशय बना हुआ है। सांसद ई अहमद की मौत के बाद बजट पर अाशंका बनी हुई है। लेकिन कहा जा रहा है कि बजट को किसी भी हालत में पेश किया जाएगा। ऐसे में 1954 और 1974 का उदाहरण दिया जा रहा है।
कहा जा रहा है कि 1954 और 1974 में रेल बजट के दौरान एक-एक सांसद का निधन हुआ था। उन सांसदों के निधन के बाद भी रेल बजट पेश किया गया था। हालांकि, उस वक्त फर्क यह था कि बजट शाम को पांच बजे पेश किया जाता था। ऐसे में बाकी सांसद सुबह श्रद्धांजलि देकर शाम को संसद पहुंच जाते थे। लेकिन अब बजट सुबह 11 बजे पेश किया जाता है।
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