देश को प्रगति की राह पर और तेज गति से आगे ले जाने के लिए इन पांच संकल्पों का हरसंभव प्रयास करें
अनेक भाषाओं जातियों और धर्मों वाले हमारे विशाल लोकतांत्रिक देश में ‘सब जन हिताय सब जन सुखाय’ के सनातन दर्शन को चरितार्थ करते रहने के लिए यह अनिवार्य है कि देश में शांति और सौहार्द का वातावरण बराबर कायम रहे।
मिलन सिन्हा। कोविड 19 वैश्विक महामारी के बेहद चुनौतीपूर्ण दौर में हम नई उम्मीद और उत्साह के साथ वर्ष 2022 का स्वागत कर रहे हैं। आज जब देश स्वाधीनता के 75वें वर्ष को अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है, तब सभी नागरिकों, खासकर युवाओं के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वे देश को प्रगति की राह पर और तेज गति से आगे ले जाने के लिए इन पांच संकल्पों में से कम से कम एक संकल्प लें और उसे पूरा करने का हरसंभव प्रयास करें...
सकारात्मक सोचेंगे भी, करेंगे भी : सभी ज्ञानीजन एक मत से यह कहते हैं कि सोच के साथ-साथ कर्म के स्तर पर भी सकारात्मक रहने वाले लोग व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से अध्ययन-अध्यापन, नौकरी-व्यवसाय, खेलकूद, साहित्य-संगीत हर क्षेत्र में असाधारण परिणाम अर्जित करते हैं। ऐसे लोग अच्छी-बुरी हर परिस्थिति में कठिन से कठिन समस्याओं का समाधान प्राप्त करने में सफल होते हैं। सकारात्मक सोच के साथ किए जाने वाले प्रयासों में सफलता मिले या असफलता, वे हर हाल में अपना मानसिक संतुलन बनाए रखते हैं। कभी भी दिशाहीन और भ्रमित नहीं होते। यथासंभव कोशिश करते रहने के वे प्रबल हिमायती होते हैं और संकल्प से सिद्धि तक की यात्रा का आनंद उठाते रहते हैं। उनके सकारात्मक सोच और व्यवहार से जाने-अनजाने अनेक लोग प्रभावित, प्रेरित और लाभान्वित होते रहते हैं। विश्वविख्यात एपल कंपनी के सह-संस्थापक रहे स्टीव जाब्स इसकी एक बड़ी मिसाल हैं।
स्वस्थ रहेंगे, स्वस्थ रखेंगे: शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रहना हमारा सबसे बड़ा कर्तव्य है। हम जीवन में जो कुछ हासिल करना चाहते हैं, वह खुद को स्वस्थ रखे बगैर बहुत ही मुश्किल होता है, कई बार तो बिल्कुल असंभव भी। अस्वस्थ या बीमार रहने पर हमारी कार्य क्षमता घटती है, इलाज में रुपये खर्च होते हैं और परिजन अनावश्यक रूप से तनाव में रहते हैं। इतना ही नहीं, खुद स्वस्थ रहकर ही हम अपने परिवार और समाज के बुजुर्गों-बीमारों की सेवा कर सकते हैं। इसके लिए अपनी दैनिक दिनचर्या में ज्यादा से ज्यादा अच्छी बातों को शामिल करना बहुत जरूरी है। हां, अपने आसपास के लोगों को स्वस्थ रखने हेतु उन्हें जागरूक और प्रेरित करना भी उतना ही जरूरी है। यह हमारा सामाजिक और नैतिक दायित्व है। ऐसे भी अगर हमारे आसपास के लोग अस्वस्थ होंगे, तो क्या हम समाज और देश के लिए बेहतर उत्पादकता की उम्मीद कर सकते हैं। कोरोना महामारी के लंबे संकटकाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी असाधारण व्यस्तताओं के बावजूद जिस तरह खुद को स्वस्थ और चुस्त-दुरुस्त रखने के साथ-साथ 135 करोड़ देशवासियों को सेहतमंद रखने का अथक प्रयास किया है, वह अपने आपमें अभूतपूर्व उदाहरण ह
हमेशा बने रहेंगे युवा : हर व्यक्ति हमेशा युवा बना रहना चाहता है, लेकिन क्या सिर्फ देखने में युवा होना ही युवा होने का प्रमाण है ? नहीं। दरअसल सही मायने में युवा कहलाने के लिए उम्र के इतर हर व्यक्ति में कुछ विशेष गुणों का होना भी जरूरी होता है। स्वामी विवेकानंद के शब्दों में कहें तो युवा वह है जो अनीति से लड़ता है। दुर्गुणों से दूर रहता है। काल की चाल को बदल देता है। जिसमें जोश के साथ होश भी है। जिसमें राष्ट्र के लिए बलिदान की आस्था है। जो सतत अच्छी बातें सीखता रहता है। जो समस्याओं का समाधान निकालता है। जो प्रेरक इतिहास रचता है। जो बातों का बादशाह नहीं, बल्कि करके दिखता है। नये साल में यदि हम स्वामी विवेकानंद के मानदंड पर समय-समय पर अपना मूल्यांकन करते रहें और उतरोत्तर सुधार की ओर बढ़ते रहें तो न उत्साह, ऊर्जा और उमंग की कमी रहेगी और न ही सफलता, संतुष्टि, समृद्धि व सम्मान की।
रिश्ते बनाएंगे और निभाएंगे: रिश्तों की शुरुआत हमारे जन्म से ही हो जाती है और समय के साथ घर-परिवार, आस-पड़ोस, अपने समाज, स्कूल, कालेज, नौकरी, व्यवसाय से होते हुए देश-विदेश तक प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से यह दायरा व्यापक होता जाता है। भारतीय संस्कृति में तो 'वसुधैव कुटुंबकम' यानी ‘पूरा विश्व है मेरा परिवार’ की बात कही जाती है। अच्छी बात है कि रिश्ते बनाने और निभाने में माहिर बहुत सारे लोग आपको हर क्षेत्र में मिल जायेंगे, जो बिना किसी अपेक्षा के लोगों से जुड़ने का काम करते रहते हैं, क्योंकि वे मानते हैं कि रिश्तों का जीवन में सबसे अधिक महत्व है। इतना ही नहीं, रिश्ते बनाना और निभाना एक बड़ी ‘लीडरशिप क्वालिटी’ माना जाता है। अलग-अलग पृष्ठभूमि से आए विभिन्न लोगों की छोटी या बड़ी टीम को कप्तान के रूप में एकजुट रखकर एक ‘कामन गोल’ को हासिल करने का काम वाकई चुनौतीपूर्ण और रोमांचक होता है। तभी तो देश-विदेश के बिजनेस स्कूलों में रिलेशनशिप मैनेजमेंट की पढ़ाई होती है। कारपोरेट सेक्टर के साथ-साथ सरकारी विभागों में भी कर्मियों को इस जीवन कौशल यानी लाइफ स्किल के बहुआयामी सकारात्मक परिणाम के बारे में बताया जाता है। देश-विदेश के कामयाब और सम्मानित लोगों के जीवनवृत पर नजर डालें तो आप पायेंगे कि वे लोगों से अच्छे संबंध कायम करने, निभाने और उसके माध्यम से बड़ी-से-बड़ी समस्या का समाधान निकालने में दक्ष रहे हैं।
शांति और सौहार्द का साथ : अनेक भाषाओं, जातियों और धर्मों वाले हमारे विशाल लोकतांत्रिक देश में ‘सब जन हिताय, सब जन सुखाय’ के सनातन दर्शन को चरितार्थ करते रहने के लिए यह अनिवार्य है कि देश में शांति और सौहार्द का वातावरण बराबर कायम रहे। अच्छी बात यह है कि प्राचीन काल से ही हमारे देश में अधिकतर लोग आपसी भाईचारे और मेलमिलाप की भावना से रहते आए हैं। मूलतः यह हमारे देश का संस्कार है। यह हमारी विशेष पहचान है। इसी के बलबूते हर भारतीय अपने उत्थान के लिए सपने देखता है और उन्हें साकार करने में जुटा रहता है। सब जानते हैं कि अशांति और आपसी मनमुटाव विकास की गति को बाधित करते हैं। इससे व्यक्ति, समाज और देश सभी कमजोर होते हैं। हां, इसका सबसे ज्यादा नुकसान गरीबों को उठाना पड़ता है। यह सौ प्रतिशत सच है कि देश में शांति और सौहार्द का माहौल बिगाड़ने में देश के मुट्ठीभर लोगों और चुनिंदा अंतरराष्ट्रीय संगठनों की भूमिका होती है।
ऐसे निहित स्वार्थी तत्वों का मतलब भारत को अस्थिर एवं अशांत करके आर्थिक और सामरिक हानि पहुंचाना और इसके माध्यम से अपना उल्लू सीधा करना होता है। ऐसे में सच्चे, अच्छे और समझदार लोगों खासकर युवाओं से यह अपेक्षा स्वाभाविक है कि वे स्वयं शांति और सौहार्द बनाए रखें, दूसरों को इसके लिए सतत प्रेरित करें तथा अपने आसपास के उन स्वार्थी तत्वों को पहचानने और उन्हें दंडित करवाने में प्रशासन की मदद करें। सच मानिए, ऐसे छोटे-छोटे संकल्प लेकर और उनपर दृढ़ता से अमल करके हम न केवल अपने जीवन को सही अर्थ में उन्नत कर पायेंगे, बल्कि देश को भी मजबूत, समृद्ध और खुशहाल बना पायेंगे। सही मायने में ‘नया साल मुबारक हो’ कहने की सार्थकता भी इसी में है।
- मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर एंड वेलनेस कंसल्टेंट
(hellomilansinha@gmail.com)