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सीएम चेहरा न बनाने की जिद से ही टूटेगी सपा

समाजवादी पार्टी में मचे घमासान के बाद अब पार्टी टूट के कगार पर खड़ी है। लेकिन इसकी मूल वजह राज्य विधानसभा चुनाव में अखिलेश को चेहरा न बनाया जाना है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 30 Dec 2016 10:41 PM (IST)Updated: Sat, 31 Dec 2016 02:27 AM (IST)

नई दिल्ली (सुरेंद्र प्रसाद सिंह)। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले समाजवादी पार्टी के भीतर मचा घमासान नये मुकाम की ओर मुड़ गया है। पार्टी टूट के कगार पर खड़ी है। लेकिन इसकी मूल वजह टिकट वितरण में अखिलेश यादव के कट्टर समर्थकों को नकार देना नहीं है, बल्कि राज्य विधानसभा चुनाव में अखिलेश को चेहरा न बनाया जाना है। सपा के साथ संभावित चुनावी गठबंधन की घटक कांग्रेस भी इसे हवा देने में पीछे नहीं है।

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राज्य विधानसभा चुनाव में वह सपा के साथ गठबंधन तो चाहती है, लेकिन उस समाजवादी पार्टी के साथ, जो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को चेहरा बनाकर मैदान में उतरेगी। उधर, सपा के भीतर मची कलह गंभीर कड़वाहट में तब्दील हो गई है। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने तो खुले मंच से ऐलान कर दिया है कि वह विधानसभा चुनाव में किसी राजनीतिक दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। लेकिन मुख्यमंत्री लगातार इस बात पर जोर देकर कहते रहे कि अगर हम चुनाव में कांग्रेस के साथ उतरेंगे तो 300 से अधिक सीटों पर जीत हासिल करेंगे।

समाजवादी पार्टी में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समर्थकों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व अजीब तरह की जिद पर अड़ा है। जिस मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पांच साल बेदाग सरकारी चलाई, उसके नाम को चेहरा बनाये जाने की केंद्रीय नेतृत्व की हिचक किसी की समझ से परे है। पार्टी का एक बड़ा धड़ा किसी भी हाल में अखिलेश यादव को चेहरा बनाये बगैर मानने को तैयार नहीं है। टिकटों के वितरण में भले ही अखिलेश समर्थकों को किनारे लगा दिया गया हो, इसके बाद भी ज्यादातर समर्थक पार्टी की टूट (अगर टूटती है) के लिए इसे बड़ी वजह नहीं बता रहे हैं।

पार्टी नेता मुलायम सिंह की घोषित 325 सीटों में से 218 सीटें अखिलेश के समर्थकों की है। जबकि वहीं अखिलेश की टिकटों की 235 प्रत्याशियों की सूची में भी नेताजी की सूची के 188 नाम शुमार हैं। इससे स्पष्ट है कि प्रत्याशियों के नामों की सूची में केवल 20 से 30 फीसद नामों पर मतभेद है। शिवपाल और अखिलेश समर्थकों के बीच विवाद गहरा गया है। इस दौरान दोनों ओर से आरोप प्रत्यारोप लगाये जा रहे हैं। सपा के नेता टिकटों के वितरण के विवाद को ठंडे दिमाग से निपटा सकते हैं। लेकिन असल विवाद की जड़ अखिलेश को पार्टी का चेहरा न बनाया जाना है, जो पार्टी की ताकत बन सकता है।

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