तरह-तरह के फ्लेवर में मिलेगा 'महुआ', आदिवासियों की वित्तीय सेहत सुधारने के लिए उठाया कदम
ट्राइफेड भारत के आदिवासियों की आर्थिक हालत सुधारने उनकी आमदनी को बढ़ाने के लिए वन उत्पादों से तैयार आदिवासी उत्पादनों को बाजार तक पहुंचाता है।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। आदिवासियों का प्रिय पेय 'महुआ' (स्थानीय मदिरा) जल्दी ही अलग-अलग फलों के फ्लेवर में बाजार में मिलने लगेगा। ट्राइबल कापरेटिव मार्केटिंग डेवलेपमेंट फेडरेशन आफ इंडिया (ट्राइफेड) आदिवासियों की वित्तीय सेहत सुधारने के लिए आइआइटी दिल्ली के साथ मिल कर आदिवासियों के इस पेय को तरह-तरह के फ्लेवर के साथ बाजार में उतारने की तैयारी कर रहा है। अगर सब कुछ सही रहा और लाइसेंस आदि सब मिल गया तो तीन चार महीने में ये बाजार में उपलब्ध हो सकता है।
ट्राइफेड भारत के आदिवासियों की आर्थिक हालत सुधारने उनकी आमदनी को बढ़ाने के लिए वन उत्पादों से तैयार आदिवासी उत्पादनों को बाजार तक पहुंचाता है। इस क्रम में काफी काम हो रहा है और आदिवासियों के उत्पादों को वैल्यू एडीशन के साथ नये नये रूप में बाजार में पेश किया जाता है। हैन्डीक्राफ्ट, वन उपज से तैयार होने वाली चीजें आदि के अलावा अब ट्राइफेड ने आदिवासियों के महुआ को भी फलों के फ्लेवर के साथ पेश करने की योजना बनाई है। ट्राईफेड के एमडी प्रवीर कृष्णा ने इसकी जानकारी दी। इसके लिए लाइसेंस और जरूरी मंजूरियां ली जाएंगी। अगर सब कुछ मिल गया तो तीन चार महीने में इसे बाजार में लाने की योजना है।
प्रवीर कहते हैं कि आदिवासियों से कोई नया काम नहीं कराया जा सकता उनकी रुचि सिर्फ वही काम करने में होती है जो वे पहले से करते चले आ रहे हैं ऐसे में ट्राइफेड उनके उत्पादों को बेहतर करके बाजार तक पेश करता है। इनके उत्पादों की कीमत बढ़ाने के लिए एमएसपी भी दोगुने करने के प्रयास हो रहे हैं। अभी चार राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और झारखंड ने कुल 23 उत्पादों के एमएसपी तय कर रखे हैं ट्राइफेड इन्हें 75 उत्पादों तक बढ़ाने और एमएसपी भी दो गुना करने का प्रयास कर रहा है।
आदि महोत्सव
आदिवासियों के उत्पादों की बिक्री और उनकी संस्कृति के प्रदर्शन के लिए 20 जुलाई से लेकर 5 अगस्त तक इंद्रा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में आदि महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इसमें ट्राइफेड की ब्रांड एम्बेस्डर मैरी काम के भी भाग लेने की संभावना है।