Mahashivratri 2021: 40 वर्ष में पहली बार महंत प्रकाशपुरी महाराज के बिना मनेगी महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि
Mahashivratri 2021 महाकाल मंदिर (Mahakal Temple) परिसर स्थित श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के महंत गादीपति प्रकाशपुरी जी की भक्ति भस्म की तरह शुद्ध थी। उनकी उपस्थिति में जब भस्म-आरती होती तो भक्तों को अलौकिक अनुभव होता होता था।
उज्जैन, जेएनएन। बीते करीब चार दशकों में देश-विदेश से जो भक्त उज्जैन स्थित महाकालेश्वर के दर्शन करने पहुंचे, सभी अपने मन में महंत प्रकाशपुरी महाराज द्वारा की जाने वाली महाकालेश्वर की अद्भुत भस्म-आरती की स्मृति जरूर ले गए। महाकाल मंदिर परिसर स्थित श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के महंत गादीपति प्रकाशपुरी जी की भक्ति भस्म की तरह शुद्ध थी। उनकी उपस्थिति में जब भस्म-आरती होती तो भक्तों को अलौकिक अनुभव होता। महाशिवरात्रि पर तो भक्ति, वैराग्य और आनंद का ऐसा महोत्सव होता कि भक्तजन अनादि-अनंत महादेव की भक्ति में डूबते-उतराते।
मगर इस बार बीते 40 वर्षो में पहली बार ऐसा होगा, जब महाशिवरात्रि (11 मार्च) पर महाकालेश्वर मंदिर में महंत प्रकाशपुरी जी नहीं होंगे। बीते वर्ष 10 अप्रैल 2020 को हरियाणा के यमुनानगर क्षेत्र के कलावड़ ग्राम में वे ब्रह्मलीन हो गए थे। अब नए महंत विनीत गिरी या प्रकाशपुरी जी के साधु प्रतिनिधि गणेशदास जी भस्म-आरती करते हैं। महंत प्रकाशपुरी जी महाराज ने महाकाल को बरसों भस्म अर्पित की। वे प्रतिदिन तड़के भस्म छानकर कपड़े में रखते और महाकाल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करते। करीब ढाई किलो वजनी भस्म से भरी कपड़े की पोटली को एक हाथ में उठाकर इस तरह भस्म चढ़ाते कि महाकाल का भस्म-श्रृंगार निखर उठता। वर्ष 2013 के बाद वे अस्वस्थ्य रहने लगे तो उनके प्रतिनिधि गणेशदासजी ने यह परंपरा निभाना शुरू की। गणेशदासजी ने भस्म चढ़ाना प्रकाशपुरीजी से ही सीखा था। वर्तमान में महंत गादीपति विनीतगिरी अथवा गणेशदासजी ही भस्म चढ़ाते हैं।
अप्रैल 1980 में बने थे महंत
प्रकाशपुरी जी महाराज का संन्यासी जीवन हरियाणा के कलावड़ के राधामाई मठ से शुरू हुआ था। 1979 में वे उज्जैन पहुंचे। यहां 19 अप्रैल 1980 को श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के पंचों की सहमति से महामंडलेश्वर गीता भारती की उपस्थिति में उन्हें महाकाल मंदिर में अखाड़े का महंत गादीपति बनाया गया था। इसके बाद उन्होंने भगवान महाकाल को भस्म चढ़ाने की परंपरा निभाना शुरू की। बता दें कि यहां परंपरा अनुसार अखाड़े के महंत अथवा उनके साधु प्रतिनिधि ही भगवान महाकाल को भस्म अर्पित करते हैं।
हरियाणा में हुआ षोडशी भंडारा
महंत प्रकाशपुरी जी हरियाणा के यमुनानगर क्षेत्र के जिस कलावड़ ग्राम में ब्रह्मलीन हुए थे, वहां शुक्रवार (05 मार्च, 2021) को उनकी स्मृति में उनके षोडशी भंडारे का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में साधु-संत पहुंचे। इधर, मध्य प्रदेश के उज्जैन में भी साधु-संतों ने महाराजजी को याद किया और श्रद्घांजलि अर्पित की।
बीते वर्ष महाशिवरात्रि के बाद महंत चले गए थे कलावड़
महाराज महंत प्रकाशपुरी जी बीते वर्ष महाशिवरात्रि (21 फरवरी, 2020) के बाद हरियाणा के कलावड़ चले गए थे। उन्होंने 27 फरवरी को महाकाल मंदिर प्रबंध समिति को एक पत्र लिखा था कि वे स्वास्थ्य लाभ लेने बाहर जा रहे हैं। इसके बाद 13 मार्च को अखाड़े के महंत विनीतगिरी को गादीपति बना दिया गया था। 10 अप्रैल, 2020 को महंत प्रकाशपुरी महाराज ब्रह्मलीन हो गए थे।
श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के महंत गादीपति विनीतगिरीजी ने बताया कि एक संत और महंत के रूप में उनके द्वारा की गई सेवा अद्वितीय है। धर्म परंपरा के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। वे सदैव हमारे आदर्श रहेंगे।