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महाराष्ट्र सरकार ने किसानों की खुदकुशी को मराठा आरक्षण कोटा से जोड़ा

हाईकोर्ट ने याचिका दाखिल करनेवालों और मध्यस्थकारों से कहा है कि वो 25 जनवरी 2017 तक अपना जवाब दाखिल कर दे।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Thu, 08 Dec 2016 12:47 PM (IST)Updated: Thu, 08 Dec 2016 12:56 PM (IST)

मुंबई, जेएनएन। मराठवाड़ा क्षेत्र में पिछले दो वर्षों के दौरान किसानों की खुदकुशी करने के सबसे ज्यादा मामले सामने आए है। राज्य सरकार अब इन्हीं आंकड़ों की बदौलत मराठा समुदाय के आरक्षण को वाजिब ठहरा रही है।

बॉम्बे हाईकोर्ट में राज्य सरकार की तरफ से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि मराठवाड़ा क्षेत्र में जहां पर मराठा समुदाय के लोगों को आरक्षण से बाहर रखा गया है वहां पर किसानों की खुदकुशी के सबसे ज्यादा 53 फीसदी केस सामने आए है।

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बॉम्बे हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लुर की अध्यक्षता वाली बेंच की तरफ से राज्य सरकार के जुलाई 2014 के फैसले की संवैधानिक मान्यता पर दाखिल याचिका की सुनवाई की जा रही है। इस फैसले में राज्य सरकार ने मराठा समुदाय के लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकियों में आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर 18 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया था।

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हाईकोर्ट ने याचिका दाखिल करनेवालों और मध्यस्थकारों से कहा है कि वो 25 जनवरी 2017 तक अपना जवाब दाखिल कर दे। इस मामले में अंतिम सुनवाई की तारीख तय करने के लिए 30 जनवरी की तारीख तय की गई है। राज्य सरकार गोखले इंस्टीट्यूट की उस सर्वे रिपोर्ट को आधार बनाया है जिसमें 2014-16 के दौरान तीन हजार किसानों ने खुदकुशी की थी।


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