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Vikas Yatra: चीनी की मिठास संग एथेनाल उत्पादन को भी गति दे रहा महाराष्ट्र

Vikas Yatra महाराष्ट्र में सहकारी चीनी मिलों की संख्या ज्यादा है। ये मिलें ज्यादातर सरकारी सहयोग पर ही निर्भर होती हैं। इसलिए एथेनाल उत्पादन इकाई लगाने और चलाने के लिए इन्हें वित्तीय मदद मिलना उतना आसान नहीं होता।

By Jagran NewsEdited By: Sanjay PokhriyalPublished: Thu, 03 Nov 2022 09:08 AM (IST)Updated: Thu, 03 Nov 2022 09:08 AM (IST)
Vikas Yatra: चीनी की मिठास संग एथेनाल उत्पादन को भी गति दे रहा महाराष्ट्र
पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनाल मिश्रण के लक्ष्य को पूरा करने में निभा रहा अग्रणी भूमिका

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई: महाराष्ट्र इन दिनों कुछ बड़े उद्योगों के राज्य से पलायन को लेकर भले विपक्ष के निशाने पर हो, लेकिन चीनी और एथेनाल उत्पादन में वह अन्य राज्यों पर बाजी मारता दिखाई दे रहा है। वह भी तब, जब महाराष्ट्र में ज्यादा चीनी मिलें सहकारी क्षेत्र की हैं। केंद्र सरकार ने बायो फ्यूल नीति को प्रमुखता दी है और पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनाल के मिश्रण का नया लक्ष्य निर्धारित किया है। महाराष्ट्र इस लक्ष्य को साधने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

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उप्र से रहती है टक्कर

चीनी उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र की टक्कर हमेशा उत्तर प्रदेश से रही है, क्योंकि दोनों राज्यों में गन्ने का उत्पादन और चीनी मिलें बहुतायत में हैं। उत्तर प्रदेश पिछले पांच वर्ष से चीनी उत्पादन में महाराष्ट्र से आगे निकलता जा रहा था, लेकिन वर्ष 2021-22 में जहां उत्तर प्रदेश का चीनी उत्पादन कम हुआ है, वहीं महाराष्ट्र का बढ़ा है। उत्तर प्रदेश ने 30 अप्रैल, 2022 तक 98.98 लाख टन चीनी का उत्पादन किया, जो पिछले वर्ष के उत्पादन 105.62 लाख टन से 6.64 लाख टन कम था। दूसरी ओर महाराष्ट्र ने इसी दौरान 132.06 लाख टन चीनी का उत्पादन किया, जो पिछले वर्ष इसी दौरान हुए उत्पादन 105.63 लाख टन से 26.4 लाख टन अधिक रहा।

चीनी निर्यात में भी रहा आगे

यही नहीं महाराष्ट्र वर्ष 2021-22 चीनी निर्यात में भी अव्वल रहा। देश से हुए कुल निर्यात का 60 प्रतिशत निर्यात महाराष्ट्र से ही हुआ। ऐसा इसलिए संभव हुआ क्योंकि राज्य की 122 चीनी मिलों ने अपने कुल उत्पादन का लगभग 30 प्रतिशत निर्यात किया और 20 चीनी मिलों ने अपने उत्पादन का लगभग 90 प्रतिशत। बता दें कि महाराष्ट्र में फिलहाल 200 चीनी मिलें कार्यशील हैं। इनमें 101 सहकारी क्षेत्र की हैं। जबकि 99 चीनी मिलें निजी क्षेत्र की हैं।

नंबर गेम

  • 35 प्रतिशत है देश में एथेनाल उत्पादन में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी
  • 60 प्रतिशत हिस्सेदारी महाराष्ट्र की देश से हुए चीनी निर्यात में वर्ष 2021-22 में रही
  • पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनाल मिश्रण के लक्ष्य को पूरा करने में निभा रहा अग्रणी भूमिका
  • बीते वर्ष की तुलना में 26.4 लाख टन अधिक रहा चीनी उत्पादन, 116 करोड़ लीटर एथेनाल उत्पादन की आस

निरंतर बढ़ रहा एथेनाल उत्पादन

चीनी ही नहीं, एथेनाल उत्पादन में भी महाराष्ट्र अन्य राज्यों से बाजी मार रहा है। राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार देश के एथेनाल उत्पादन में महाराष्ट्र की भागीदारी लगभग 35 प्रतिशत है। राज्य में एथेनाल उत्पादन वर्ष दर वर्ष बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2020-21 में महाराष्ट्र की 78 चीनी मिलों ने 100.36 करोड़ लीटर एथेनाल का उत्पादन किया। इस वर्ष करीब 85 मिलों के जरिए उत्पादन 116 करोड़ लीटर एवं आगामी सीजन में उत्पादन 140 करोड़ लीटर पार कर जाने की उम्मीद है। बता दें, एथेनाल का सीजन एक दिसंबर से 30 नवंबर तक माना जाता है।

यदि सरकारी मदद मिले तो और तेज हो एथेनाल उत्पादन

महाराष्ट्र में सहकारी चीनी मिलों की संख्या ज्यादा है। ये मिलें ज्यादातर सरकारी सहयोग पर निर्भर होती हैं। इसलिए एथेनाल उत्पादन इकाई लगाने और चलाने के लिए इन्हें वित्तीय मदद मिलना उतना आसान नहीं होता। इस उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि यदि सरकार जैसे सहकारी चीनी मिलें स्थापित करने में मदद करती है, उसी तरह यदि एथेनाल उत्पादन में भी मदद करे तो महाराष्ट्र तेल में 20 प्रतिशत एथेनाल मिलाने के लक्ष्य तक पहुंचने में बड़ी भूमिका अदा कर सकता है। बता दें, कुछ माह पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि किसानों ने एथेनाल उत्पादन करके 41,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचाने में मदद की है। पेट्रोल में एथेनाल के मिश्रण के कारण तेल आयात पर खर्च में बचत हुई है। यह स्थिति तब रही, जब तेल में एथेनाल मिलाने का लक्ष्य 10 प्रतिशत ही था। देश ने यह लक्ष्य तय समय से पहले ही इस वर्ष जुलाई में प्राप्त कर लिया। अब 20 प्रतिशत का लक्ष्य तय किया गया है।


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