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महाराष्ट्र: पुणे में जातीय हिंसा में एक की मौत, हिरासत में लिए गए 100 से ज्‍यादा लोग

बताया जाता है कि, इस लड़ाई में 1 जनवरी 1818 को ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा बाजीराव की सेना को मात दी थी।

By Srishti VermaEdited By: Published: Tue, 02 Jan 2018 01:24 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jan 2018 08:29 PM (IST)
महाराष्ट्र: पुणे में जातीय हिंसा में एक की मौत, हिरासत में लिए गए 100 से ज्‍यादा लोग

पुणे (जेएनएन)। महाराष्ट्र के पुणे में कोरेगांव भीमा में एक कार्यक्रम के दौरान हिंसक झड़प हो गई। इस दौरान एक व्यक्ति की मौत होने से पूरे इलाके में तनावपूर्ण स्थिति है। कार्यक्रम में पबल और शिकरापुर गांव के लोगों व दलितों के बीच झड़प हुई है। पुणे से करीब 30 किलोमीटर दूर पुणे-अहमदनगर हाइवे में पेरने फाटा के पास विवाद हुआ, जिसमें 25 से अधिक गाड़ियां जला दी गईं और 50 से ज्यादा गाड़ियों में तोड़-फोड़ की गई। हिंसा का असर महाराष्ट्र के अन्य इलाकों में देखा जा रहा है। प्रदर्शन के चलते मुंबई में हार्बर लाइन पर रेल सेवा प्रभावित है। यहां सुरक्षा के लिए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है। पुलिस ने 100 से ज्‍यादा लोगों को अलग-अलग इलाकों से हिरासत में लिया है।

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बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने कहा कि ये जो घटना घटी है, रोकी जा सकती थी। सरकार को वहां सुरक्षा के उचित प्रबंध करने चाहिए थे। वहां भाजपा की सरकार है और उन्‍होंने वहां हिंसा कराई होगी। लगता है कि इसके पीछे भाजपा, आरएसएस और जातीवादी ताकतों का हाथ है।

हिंसा को लेकर मुंबई के ठाणे में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। मुंबई पुलिस के पीआरओ ने बताया कि तनावपूर्ण स्थिति को देखते मुंबई के चेंबूर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। यहां धारा 144 लागू कर दी गई है। वहीं अलग-अलग इलाकों से 100 से ज्‍यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है।  

कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने कोरेगांव हिंसा के लिए आरएसएस और भाजपा की विचारधारा को जिम्‍मेदार ठहराया। राहुल ने कहा, 'आरएसएस और भाजपा के फासीवादी दृष्टिकोण का सेंटर पिलर यह है कि भारतीय समाज में दलित समुदाय के लोग हमेशा निम्‍न स्‍तर पर रहने चाहिए। ऊना, रोहिथ वेमुला और अब भीमा कोरगांव हिंसा प्रबल शक्‍य हैं।'

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि कोरेगांव हिंसा की न्यायिक जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देंगे। युवाओं की मौत मामले में सीआईडी जांच करेगी। मृतकों के परिवार को 10 लाख का मुआवजा दिया जाएगा।

कैसे जश्न ने लिया हिंसा का रूप 

200 साल पहले अंग्रेजों ने 1 जनवरी के दिन जो लड़ाई जीती थी उसका जश्न पुणे में मनाया गया। लेकिन यह जश्न इतना हिंसक हो गया कि कि इसमें एक शख्स की मौत हो गई। इसके साथ ही पनपे हिंसा में कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया। जानकारी के मुताबिक, सोमवार को शहर में कोरेगांव भीमा की लड़ाई की 200वीं सालगिरह मनाई गई।

लेकिन इस बार यह जश्न इतना हिंसक हो गया कि एक शख्स इसकी भेंट चढ़ गया। दो समुहों के बीच हुई भिड़ंत के बाद कई गाड़ियों को आग लगा दी गई जबकि एक शख्स की मौत हो गई। इसके अलावा हिंसक भीड़ ने 50 से ज्यादा गाड़ियों में तोड़फोड़ भी की। हिंसा के बाद से ही इलाके में तनाव फैल गया है। जिसके चलते भारी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात कर दिया गया है। हिंसा के बढ़ते ही पुणे के हड़प्सर और फुरसुंगी के बसों में तोड़-फोड़ मचाई गई। बताया जाता है कि अहमदाबाद और औरंगाबाद जाने वाली सभी बसों को फिलबाल के लिए निलंबित कर दिया गया है।

जानिए क्या है इतिहास  

बताया जाता है कि, इस लड़ाई में 1 जनवरी 1818 को ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा बाजीराव की सेना को मात दी थी। इस लड़ाई में कुछ संख्या में ऐसे दलित भी थे जिन्होंने अंग्रेजों की तरफ से लड़ाई लड़ी थी। जीत के बाद अंग्रेजों ने कोरेगांव भीमा में यादगार के तौर पर जयस्तंभ बनवाया था। अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए दलित समुदाय के लोग हर साल शहर में जमा होते हैं और इस जयस्तंभ तक मार्च कर जश्न मनाते हैं। इसी बात को लेकर कई गांव के लोगों और दलितों में संघर्ष हुआ, जिसमें एक की मौत हो गई।

मुख्यमंत्री और अन्य का बयान

केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने राज्य के मुख्यमंत्री से कहा कि, मामले की निष्पक्ष रूप से जांच होनी चाहिए और दोषियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि ऐसी घटना दोबारा ना होने पाए। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि कोरेगांव हिंसा मामले में न्यायिक जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया जाएगा साथ रही युवाओं की मौत पर सीआईडी ​​जांच भी की जाएगी। पीड़ित के परिजनों के लिए 10 लाख मुआवजे भी दिए जायेंगे।

बताया जा रहा है कि इस जश्न में पूरे शहर में लाखों लोग एकत्रित हुए थे। यह आयोजन रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) द्वारा करवाया गया था। हिंसा के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि पिछले 200 सालों में यह सब होता आ रहा है आज तक कभी हिंसा नहीं हुई। इस बार कार्यक्रम बड़ा था और इसके लिए ज्यादा ध्यान देने की जरूरत थी।

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