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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को स्वामी विवेकानंद से परहेज

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी स्वामी विवेकानंद के शिकागो प्रस्थान के 120 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित समारोह में भाग लेने 31 मई को मुंबई आ रहे हैं। लेकिन इस समारोह में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उनके साथ नहीं होंगे।

By Edited By: Published: Fri, 24 May 2013 08:08 PM (IST)Updated: Fri, 24 May 2013 08:29 PM (IST)
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को स्वामी विवेकानंद से परहेज

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी स्वामी विवेकानंद के शिकागो प्रस्थान के 120 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित समारोह में भाग लेने 31 मई को मुंबई आ रहे हैं। लेकिन इस समारोह में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उनके साथ नहीं होंगे।

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इस वर्ष पूरा देश स्वामी विवेकानंद की 150 वीं जयंती मना रहा है। केंद्र सरकार द्वारा भी इसके लिए एक समिति बनाई गई थी। लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने स्वामी विवेकानंद के नाम पर मौन साध रखा है। अब रामकृष्ण मिशन की मुंबई शाखा उनकी प्रसिद्ध शिकागो यात्रा के 120 वर्ष पूरे होने के अवसर पर मुंबई में एक भव्य समारोह का आयोजन कर रही है। क्योंकि शिकागो के लिए स्वामी जी ने मुंबई के बंदरगाह से ही प्रस्थान किया था। इस समारोह में मुख्य अतिथि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी होंगे। वह गेटवे ऑफ इंडिया पर पहले स्वामी विवेकानंद की मूर्ति को पुष्प अर्पित करेंगे, फिर निकट ही स्थित मुंबई विश्वविद्यालय के दीक्षांत सभागार में एक भव्य समारोह को संबोधित करेंगे।

राजशिष्टाचार के नियमानुसार किसी राज्य में राष्ट्रपति के आगमन पर उनकी अगवानी उस राज्य के मुख्यमंत्री करते हैं। पृथ्वीराज चह्वाण भी 31 मई को मुंबई के विमानतल पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की अगवानी करेंगे। लेकिन उसके बाद रामकृष्ण मिशन के समारोह में आने की स्वीकृति उन्होंने नहीं दी है।

राष्ट्रपति भवन का स्पष्ट निर्देश है कि मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री की स्वीकृति के बिना उनका नाम निमंत्रण पत्र पर न छापा जाए। इसलिए निमंत्रण पत्र पर उनका नाम भी नहीं प्रकाशित किया गया है। इस संबंध में पूछे जाने पर रामकृष्ण मिशन के प्रवक्ता स्वामी राजीवेशानंद विवेक महाराज ने बताया कि उनकी ओर से पिछले साल भर में कई बार मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा गया। लेकिन उन्होंने समय नहीं दिया। मुख्यमंत्री का समय दिलवाने के लिए विधानसभा एवं विधानपरिषद में विरोधी दल के नेताओं ने भी सिफारिश की। तब भी समय नहीं मिला। कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री ने समय दिया भी तो समारोह में शामिल होने की स्वीकृति नहीं दी। इसलिए उनका नाम निमंत्रण पत्र पर नहीं छापा जा सका। मिशन प्रवक्ता का कहना है कि इसके बावजूद यदि मुख्यमंत्री महोदय समारोह में आते हैं, तो वह उन्हें मंच पर स्थान देंगे।

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