तमिलनाडु तक पहुंची बैन की आंच, मैगी में पाया गया 5 फीसद लेड
मैगी पर राज्य सरकारों के कार्रवाई जारी है। तमिलनाडु ने भी मैगी पर तीन महीने का प्रतिबंध लगा दिया है। मैगी के टेस्टमेकर मसाले में पांच फीसद लेड पाए जाने के बाद मैगी की बिक्री पर राज्य में फिलहाल रोक लगा दी गई हैं।
नई दिल्ली। मैगी पर राज्य सरकारों के कार्रवाई जारी है। तमिलनाडु ने भी मैगी पर तीन महीने का प्रतिबंध लगा दिया है। मैगी के टेस्टमेकर मसाले में पांच फीसद लेड पाए जाने के बाद मैगी की बिक्री पर राज्य में फिलहाल रोक लगा दी गई हैं। इसी के साथ मैगी पर राक लगाने वाला तमिलनाडु पांचवा राज्य बन गया है। इससे पहले दिल्ली, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और केरल में मैगी पर बैन लगाया जा चुका है।
यही नहीं भारत के पड़ोसी देश नेपाल में भी मैगी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। भारत में मैगी के कई सैंपल जांच में फेल हुए थे जिसके बाद कई राज्यों ने कार्रवाई करते हुए मैगी पर प्रतिबंध लगा दिया हैं।
केंद्रीय एजेंसी फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसआई) के सीईओ वाईएस मलिक ने कहा कि हमे दिल्ली और केरल से जांच रिपोर्ट से मिली हैं। उन्होंने कहा कि गोवा से भी जांच रिपोर्ट मिली है और इन सभी रिपोर्टों में मैगी के सैंपल सही नहीं पाए गए हैं। मलिक ने जानकारी देते हुए कहा कि कई अन्य राज्यों से भी रिपोर्ट आ रही हैं। हमने इन राज्यों से दोबारा रिपोर्ट भेजने को कहा है। इसमे दो से तीन दिन का वक्त लग सकता है। इसी बीच मैगी की बिक्री पर जम्मू-कश्मीर में भी एक महीने के लिए बैन लगा दिया गया है।
दूसरी तरफ सैंपलों में खतरनाक तत्व मिलने के बाद राज्यों में कर्रवाई का दौर जारी है। इसके चलते गुजरात सरकार ने भी सख्त कदम उठाते हुए एक महीने के लिए मैगी पर बैन लगा दिया है। राज्य सरकार की जांच में सभी सैंपल फेल होने के बाद यह कार्रवाई की गई। गुजरात के सवास्थ मंत्री नितिन पटेल ने यह जानकारी दी। दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में खाद्य विभाग ने मैगी के गोदाम में छापेमारी की है। इससे पहले दिल्ली में 15 दिन के लिए मैगी पर बैन लगाया है।
देशभर से आ रही रिपोर्ट को लेकर केंद्रीय एजेंसी फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया [एफएसएसएआई] की सेंट्रल एडवायजरी कमेटी और सभी राज्यों के खाद्य एवं औषधि नियंत्रक आयुक्तों की बैठक इंडिया हेबिटेट सेंटर में हो रही है। बैठक में राज्यों से आई रिपोर्ट के आधार पर मैगी पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया जाएगा। आज हाे रही इस बैठक के बाद तय होगा कि देश में मैगी पर बैन लगेगा या नहीं।
केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान ने कहा है कि इस मामले में जांच चल रही है, जिसकी रिपोर्ट को नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमिशन को सौंपा जाएगा। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के बाद यह पहला मौका है कि जब कमिशन ने इस तरह के मामले में स्वत: संज्ञान लिया है।
इसी दौरान नेस्ले ने अपनी वेबसाइट पर बयान जारी कर सफाई दी है कि उन्हें अपने प्रोडेक्ट की क्वालिटी पर पूरा भरोसा है। नेस्ले इंडिया ने कहा है मैगी खाने के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने एक्सपायरी डेट के बाद वाले बैच का परीक्षण किया है जो बैच अब बाजार में नहीं है। सीसा पाये जाने के सवाल पर नेस्ले ने सफाई दी है कि मिट्टी व वातावरण में सीसा होने की वजह से लक्षण उत्पाद में आ सकता है।
इससे पहले केंद्र सरकार ने सभी राज्यों में इसके इस्तेमाल को लेकर एडवाइजरी जारी की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने यह एडवाइजरी जारी की है। गौरबलत है कि मैगी के उपयोग को लेकर कई राज्यों ने इस पर पाबंदी लगा दी है। वहीं दिल्ली, केरल और उत्तराखंड राज्य ने बतौर सावधानी अपने यहां मैगी पर अस्थायी प्रतिबंध लगा रखा है।
स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा है कि सभी राज्यों से रिपोर्ट मिलने के बाद केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय इस मामले में कार्रवाई करेगा। उन्होंने इस मुद्दे पर केंद्र किसी भी तरह की ढील नहीं बरतने की बात कही है। नड्डा ने कहा कि उनके मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों से मैगी के नमूने की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है। नड्डा ने बताया कि कई राज्यों की ओर से उन्हें रिपोर्ट मिल चुकी है, जबकि कई राज्य नमूनों की जांच कर रहे हैं और इन सबकी रिपोर्ट बनने के बाद जरूरी एक्शन लिया जाएगा।
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में उपभोक्ता मामले एवं जन-वितरण (सीएपीडी) मंत्री चौधरी जुल्फिकार अली ने राज्य के लोगों को मैगी के सैंपल की जांच रिपोर्ट आने तक इसका सेवन न करने की अपील की है। मैगी को लेकर केंद्र सरकार के सख्त कदम से नेस्ले इंडिया की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय उपभोक्ता शिकायत निपटारा आयोग (एनसीडीआरसी) में मामला दर्ज कराया है। राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में अब मैगी की निर्माता कंपनी नेस्ले इंडिया के खिलाफ मुकदमा चलाया जाएगा। आयोग के 30 साल के इतिहास में सरकार द्वारा खुद शिकायत दर्ज कराने का यह पहला उदाहरण है।
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