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Madras High Court: अदालत ने कहा- पत्‍नी से बुरा बर्ताव करने वाले पति को घर से बाहर निकालना गैरकानूनी नहीं

Chennai News न्‍यायमूर्ति आर एन मंजुला ने पति को अपनी पत्‍नी और दो बच्‍चों को छोड़कर कहीं और जाकर रहने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि अगर शादीशुदा जिदंगी ठीक नहीं चल रही तो एक छत के नीचे रहने का कोई तुक नहीं बनता है।

By Arijita SenEdited By: Published: Wed, 17 Aug 2022 11:39 AM (IST)Updated: Wed, 17 Aug 2022 12:54 PM (IST)
कोर्ट ने पत्‍नी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया

चेन्‍नई, एजेंसी। शादी के बाद जब पति-पत्‍नी एक छत के नीचे रहने लगते हैं तो एक पक्ष का दूसरे पक्ष से व्‍यवहार उसके परिवार के सम्‍मान, पहचान को बयां करती है। शादीशुदा जिदंगी में नोकझोंक व तकरार का होना लाजिमी है लेकिन इसकी भी एक सीमा होनी चाहिए।

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अगर घर में पति झगड़े का कारण है और परिवार के माहौल को बिगाड़ता है तो सुरक्षात्‍मक आदेश के तहत पति को घर से बाहर निकालने में बिल्‍कुल भी झिझकना नहीं चाहिए। मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने हाल ही में अपनी एक सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया।

पत्‍नी की गुहार पर हुई कार्रवाई

न्‍यायमूर्ति आर एन मंजुला ने हाल ही में यह टिप्‍पणी करते हुए पेशे से इंडस्ट्रियलिस्ट पति को अपनी पत्‍नी और दो बच्‍चों को छोड़कर कहीं और जाकर रहने का आदेश दिया है।

पेशे से वकील पत्‍नी के मुताबिक, अपनी शादी को खत्‍म करने के लिए उसने शहर के एक फैमिली कोर्ट (Family Court) में एक याचिका दायर की थी। इस मामले पर सुनवाई के दौरान उसने एक और याचिका दायर की जिसमें तलाक के मामले में फैसला आने तक बच्‍चों और परिवार की भलाई के खातिर कोर्ट से पति को घर से बाहर निकल जाने की आदेश दिए जाने की मांग की गई थी।

फैमिली कोर्ट ने इस याचिका को आंशिक रूप से स्‍वीकारते हुए पति को आदेश दिया कि जब तक मुख्‍य याचिका का निपटारा नहीं हो जाता तब तक पति घर में शांति कायम रखें और पत्‍नी व बच्‍चों को परेशान न करें। पत्‍नी इस आदेश से सहमत नहीं हो पाई और उसने इस पर एक और पुनरीक्षण याचिका दायर की।

पति ने खुद को बताया अच्‍छा

अब की बार इस याचिका को स्‍वीकार करते हुए न्‍यायमूर्ति मंजुला ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता और उनके पति की शादीशुदा जिंदगी कुछ ठीक नहीं चल रही है। परिवार एक जंग के मैदान में तब्‍दील हो चुका है।

पत्‍नी का कहना है कि उनके बेहद कठोर व सख्‍त हैं और उनक बात-बर्ताव भी ठीक नहीं है, जबकि पति का दावा किया है कि वह एक अच्‍छे पिता और पति हैं। चूंकि पत्‍नी खुद एक वकील है इसलिए वह उसे कोर्ट घसीट ले गई है।

बच्‍चों पर पड़ रहा बुरा असर

कोर्ट ने कहा कि एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहने से बात और बिगड़ेगी। घर में दस और छह साल के दो बच्‍चे हैं और पति का हमेशा गालीगलौज करना, चीखना-चिल्‍लाना बच्‍चों के लिए सही नहीं है। इसका उन पर गलत असर पड़ेगा।

अब अगर शादीशुदा जिदंगी ठीक नहीं चल रही तो एक छत के नीचे रहने का कोई तुक नहीं बनता है। हां, कई बार कोशिश जरूर करनी चाहिए। लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं है पति के दुर्व्‍यवहार की वजह से बच्‍चे डरे-सहमे हुए हैं। पत्‍नी खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है।

ऐसे में अगर परिवार का माहौल किसी एक के कारण बिगड़ता है, इस मामले में पति, तो ऐसे में सुरक्षात्‍मक आदेश (Protection Order) के तहत पति को घर से बेघर किया जा सकता है।


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