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Madhya Pradesh: किसानों को तकनीक से जोड़कर बढ़ा दी आय, देशभर में अव्वल आया दतिया

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद हर पांच साल में जिलों के कृषि विज्ञान केंद्रों से उनके कार्यो का ब्योरा मंगवाती है। रबी और खरीफ सीजन में उत्पादन बढ़ाने किसानों को प्रशिक्षित करने और नकद फसल जैसे मापदंडों पर इन कार्यो को कसा जाता है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 05:13 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 05:13 PM (IST)
देशभर के 721 कृषि विज्ञान केंद्रों में मिला पहला स्थान

अजय कुमार तिवारी, ग्वालियर। दतिया जिले के ककरौआ गांव के किसान रामेश्वर कुशवाह पहले पारंपरिक फसल लेते थे। फिर दो क्यारियों के बीच में सब्जी की फसल लेना शुरू किया। मुनाफा बढ़ा तो अब पूरी तरह सब्जियों की खेती ही करते हैं। पहले हर साल चार लाख रपये कमाते थे, अब नौ लाख पये। इसी तरह कालीपुरा के रिपुदमन सिंह बुंदेला अब गन्ने के उन्नत बीज का उपयोग करने के साथ खेत की मेढ़ पर सब्जी, संतरा और आंवला पैदा कर रहे हैं। जाहिर है उनकी भी आय बढ़ गई है। यह सब संभव हुआ स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के नवाचार के कारण। वैज्ञानिकों ने किसानों को तकनीक से जोड़कर फसलों का रकबा बढ़ाया। इससे उत्पादन बढ़ा तो कमाई में भी इजाफा हुआ। अपने इन्हीं नवाचारों के कारण दतिया पूरे देश में अव्वल आया है।

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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद हर पांच साल में जिलों के कृषि विज्ञान केंद्रों से उनके कार्यो का ब्योरा मंगवाती है। रबी और खरीफ सीजन में उत्पादन बढ़ाने, किसानों को प्रशिक्षित करने और नकद फसल जैसे मापदंडों पर इन कार्यो को कसा जाता है। इसी आधार पर दतिया देशभर के 721 कृषि विज्ञान केंद्रों में पहले स्थान पर आया है। जिले में गेहूं, दलहन, तिलहन और धान का उत्पादन व रकबा 25 से 35 फीसद तक बढ़ा है। इस उपलब्धि पर दतिया केंद्र को 25 लाख की इनामी राशि दी जाएगी। जल्दी ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्र के वैज्ञानिकों को सम्मानित करेंगे।

इस तरह हुआ संभव

दरअसल किसानों ने कृषि विज्ञान केंद्र की सलाह पर समन्वित कृषि प्रणाली को अपनाया। इसके तहत पारंपरिक फसलों के साथ नगदी फसलों की पैदावार लेना शुरू किया। गन्ने के साथ आंवला की फसल ली। पठारी क्षेत्रों में वाटर हार्वेस्टिंग कराई। ड्रिप इरिगेशन तकनीक को गांव-गांव तक पहुंचाया। उड़द की फसल के लिए देश के प्रतिष्ठित संस्थानों से नई वैरायटी का बीज उपलब्ध कराया, जिसमें मोजेक वायरस नहीं लगता है। किसानों को लोकमन गेहूं के ऐसे बीज उपलब्ध कराए जो ज्यादा उत्पादन देते हैं। केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति पंजाब सिंह ने भी दतिया आकर कार्यो को देखा था और कृषि अनुसंधान परिषद को अपनी रिपोर्ट भेजी थी।  

दतिया कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ पुनीत राठौड़ ने बताया कि देश के सभी कृषि विज्ञान केंद्रों में से दतिया जिले को यह पुरस्कार प्राा हुआ है जो किसानों की सहभागिता और कृषि वैज्ञानिकों की मेहनत का नतीजा है। इनाम में प्राा राशि का उपयोग दतिया कृषि विज्ञान केंद्र के विकास में किया जाएगा।


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