मध्य प्रदेश हनी ट्रैप मामला: बयान के 3 महीने बाद भी कार्रवाई से क्यों बाहर है ब्लैकमेलर
मध्य प्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप केस में एसआईटी ने रसूखदारों के नामों का उल्लेख तो कर दिया लेकिन उनके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की।
भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप केस में भोपाल की विशेष अदालत में शनिवार को मानव तस्करी मामले के चालान में एसआईटी ने रसूखदारों के नामों का उल्लेख तो कर दिया, लेकिन उनके खिलाफ अहम साक्ष्य होने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। इससे एसआइटी की जांच सवालों के घेरे में आ गई है।
चालान में व्यवसायी अरुण, मीडियाकर्मी गौरव शर्मा, वीरेंद्र शर्मा, छतरपुर के थाना प्रभारी का जिक्र किया है। एक आइएएस अधिकारी का भी जिक्र है, लेकिन चालान में नाम सार्वजनिक नहीं किया गया। मामले की पीडि़ता और हनी ट्रैप मामले में आरोपित मोनिका यादव ने 20 सितंबर को अपने बयान में रसूखदारों की भूमिका का पर्दाफाश नामों के साथ कर दिया था।
तीन महीने बाद भी एसआइटी ने संबंधितों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। मोनिका ने पुलिस को दिए बयान में बताया था कि पत्रकार गौरव शर्मा ही ब्लैकमेलिंग द्वारा कमाई हुई रकम का हिसाब रखता था, वही ब्लैकमेल के शिकार लोगों से पैसा वसूल करता था। आरती दयाल और श्वेता विजय जैन के साथ मिलकर व्यवसायी अरुण सहलोत, पत्रकार वीरेंद्र शर्मा काम करते थे।
छतरपुर का एक थाना प्रभारी मामले की आरोपित आरती दयाल का करीबी था। एसआइटी ने मामले के अहम किरदार पत्रकार गौरव शर्मा को तीन महीने से स्वतंत्र छोड़ रखा है, जबकि शर्मा के पास उन सभी लोगों की जानकारी है जिनसे ब्लैकमेलिंग के जरिए मोटी रकम वसूली गई। एसआइटी इसे आरोपित बनाकर पूछताछ करती तो बड़ा पर्दाफाश हो सकता था।
इससे पहले इस मामले में एक और खुलासा में बताया गया कि शिकार बनने वाले अधिकारियों और नेताओं से करोड़ों रुपये की रकम ब्लैकमेल के जरिए वसूली गई। यह रकम दो महिलाओं द्वारा वसूली गई थी। हनी ट्रैप रैकेट की कथित मास्टर माइंड स्वेता जैन ने इस रकम से दो निजी कंपनियां खोलीं। जांच में यह भी पाया गया है कि ये कंपनियां इसी साल महज छह महीने से भी कम समय में खोली गईं।