अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम की याचिका पर मध्यप्रदेश हाइकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
अबू सलेम की ओर से अधिवक्ता आलोक बागरेचा और पुष्पेंद्र दुबे ने दलील दी कि भारत से फरार होने के बाद पुर्तगाल में छिपे अंडरवर्ल्ड डॉन का भारत सरकार को प्रत्यर्पण सशर्त किया गया था।
जबलपुर, नईदुनिया। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम की याचिका पर दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के साथ ही फैसला सुरक्षित कर लिया। मामला पुर्तगाल प्रत्यर्पण संधि के उल्लंघन के आरोप का है।
गुरुवार को न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। राज्य की ओर से उपमहाधिवक्ता पुष्पेंद्र यादव खड़े हुए। वहीं अबू सलेम की ओर से अधिवक्ता आलोक बागरेचा और पुष्पेंद्र दुबे ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि भारत से फरार होने के बाद पुर्तगाल में छिपे अबू सलेम का भारत सरकार को प्रत्यर्पण सशर्त किया गया था। इसके तहत तय किया गया था कि उसके खिलाफ उस समय तक दर्ज नौ मामलों पर ही भारत में सुनवाई की जाएगी और अलग से 10वां या उससे अधिक कोई प्रकरण नहीं चलाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद सलेम को भारत लाने के बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने परवलिया सड़क थाना भोपाल में हत्या (भादंवि की धारा-302) का अपराध पंजीबद्ध कर लिया गया। इसकी ट्रायल भोपाल की सेशन कोर्ट में हो रही है। जब सलेम को इसकी सूचना मिली तो उसने पुर्तगाल संधि का उल्लंघन किए जाने के आधार पर विरोध शुरू कर दिया। इसी सिलसिले में 2014 में हाई कोर्ट की शरण ली गई। इस पर हाई कोर्ट से नोटिस जारी होने के बाद राज्य शासन के अलावा सीबीआई ने जवाब पेश किया।
हालांकि सीबीआई ने साफ किया कि उसकी जानकारी में सलेम के खिलाफ पुर्तगाल प्रत्यर्पण संधि के अनुरूप पूर्व में दर्ज महज 9 मामलों में ट्रायल विचाराधीन है, दसवें किसी केस की उसे कोई जानकारी नहीं है। वहीं मध्यप्रदेश शासन ने हत्याकांड में सलेम की प्रत्यर्पण से पूर्व से तलाश होने का तर्क दिया।
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