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Madhya Pradesh : कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की बढ़ी मुश्किलें, कॉलेज की जमीन का निकाला जा रहा राजस्व रिकार्ड

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ प्रदर्शन कराने के बाद चर्चा में आए कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की मुश्किलें बढ़ गई हैं। विधायक के कॉलेज परिसर से अतिक्रमण हटाने के बाद अब जमीन के राजस्व रिकार्ड की जांच शुरू हो गई है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 08 Nov 2020 05:11 PM (IST)Updated: Sun, 08 Nov 2020 05:11 PM (IST)
Madhya Pradesh : कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की बढ़ी मुश्किलें, कॉलेज की जमीन का निकाला जा रहा राजस्व रिकार्ड
Madhya Pradesh : कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

भोपाल, जेएनएन। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ प्रदर्शन कराने के बाद चर्चा में आए भोपाल मध्य विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की मुश्किलें बढ़ गई हैं। विधायक के खानूगांव स्थित प्रियदर्शनी कॉलेज परिसर से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के बाद अब जमीन के राजस्व रिकार्ड की जांच शुरू हो गई है। साल 1956 से लेकर अब तक सभी रिकार्ड की जांच की जा रही है।

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अभी तक की छानबीन में पाया गया है कि साल 1964-65 में अर्बन सीलिंग एक्ट के तहत राज्य सरकार ने भोपाल नवाब स्व. हमीदुल्ला खां की पुत्री साजिदा सुल्तान के नाम की जमीनें भू-अर्जन के दौरान सरकारी मानकर रिकार्ड में दर्ज कर ली थीं। इतना ही नहीं सीलिंग से मुक्त जमीन की सूची भी जारी कर उनकी सहमति ली गई थी। सीलिंग से मुक्त जमीन की सूची में खसरा नंबर 26 (इसी जमीन पर यह कॉलेज बना है) शामिल नहीं था। लिहाजा यह जमीन सरकारी दर्ज होनी थी लेकिन त्रुटि के चलते राजस्व रिकार्ड में यह जमीन सरकारी दर्ज नहीं हो पाई।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब यह जमीन सरकारी हो गई तो फिर साल 1990 में साजिदा सुल्तान के हिबानामा (दानपत्र) के आधार पर मसूद के स्वामित्व वाली अमन एजुकेशन सोसायटी के नाम इसे कैसे कर दिया गया। वहीं 1991-92 में राज्य सरकार के कहने पर जिला प्रशासन ने एक सर्वे कराया। सर्वे साजिदा सुल्तान के नाम की जमीन पर कौन-कब से काबिज है और किसके पास क्या दस्तावेज हैं, इस संबंध में किया गया था।

इस सर्वे में अधिकारियों ने मौके पर जाकर दस्तावेज मांगे। इस दौरान सामने आया कि खसरा नंबर 26 जो कि 2.83 एकड़ का है वहां दीनदयाल नाम का व्यक्ति काबिज है जो चौकीदारी का काम करता है और विगत छह साल से खेती कर रहा है। सर्वे रिपोर्ट में भी यह स्पष्ट किया है कि उसके पास जमीन के मालिकाना हक संबंधी कोई दस्तावेज नहीं थे लेकिन मौके पर कब्जा था। अब यह राजफाश होने के बाद जिला प्रशासन भी सकते में है कि आखिर राजस्व रिकार्ड में यह जमीन अमन एजुकेशन सोसायटी के नाम से कैसे दर्ज हो गई।

यही नहीं इसका नामांतरण भी साल 2006 में तत्कालीन तहसीलदार श्रीराम तिवारी ने कर दिया था जबकि यह पूरी जमीन बड़े तालाब के फुल टैंक लेवल के अंदर है। यही नहीं शहर में कोहेफिजा और खानूगांव सहित श्यामला हिल्स और अन्य ऐसी कई जगह हैं जहां आज भी साजिदा सुल्तान के नाम पर जमीनों का राजस्व रिकार्ड है। वर्षों बाद भी यह सरकारी दर्ज नहीं हो पाया जबकि इन जगहों पर आधिपत्य सरकार का ही है। राजधानी का ओल्ड मेयर हाउस भी रिकार्ड में साजिदा सुल्तान के नाम है लेकिन यहां नगर निगम का आधिपत्य है।

भोपाल के कलेक्‍टर अविनाश लवानिया ने कहा कि हम पूरे मामले की जांच करा रहे हैं। अगर यह जमीन सरकारी दर्ज होना पाई जाती है तो यह जवाब हाई कोर्ट में पेश किया जाएगा। उसके आदेश पर आगामी कार्रवाई की जाएगी। वहीं कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि खसरा नंबर 26 हमारी सोसायटी के नाम पर है जो कि साजिदा सुल्तान के नाम पर थी। इसमें खसरा नंबर 23, 25 और 26 मिक्स है। कोई आपको गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। फिलहाल मामला कोर्ट में लंबित है।


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