तीन साल ही मिला नए मां-बाप का प्यार, मासूम फिर हो गए 'अनाथ', जानें पूरी कहानी
इंदौर के बाल आश्रम से तीन साल पहले गोद लिए दो सगे भाइयों को लौटाने के लिए कोलकाता के दंपती आए हैं।
उदय प्रताप सिंह, इंदौर। इंदौर के बाल आश्रम से तीन साल पहले गोद लिए दो सगे भाइयों को लौटाने के लिए कोलकाता के दंपती आए हैं। बताया गया है कि गोद लेने की अवधि के दौरान न तो मां-बाप बच्चों का अपना पाए और न ही बच्चे नए मां-बाप को अपना मान सके। परिवार के अन्य सदस्यों के बीच भी परेशानियां शुरू हो गई। इस पर दंपती ने गोद लिए बच्चों को त्यागने का फैसला किया। ऐसे में दोनों बच्चे एक बार फिर 'अनाथ' हो गए।
बच्चों की उम्र अभी 11 और 14 साल है। कोलकाता के दंपती ने इन बच्चों को सीबीएसई स्कूल में प्रवेश दिलवाया था। बच्चों ने अंग्रेजी और बांग्ला भाषा भी सीख ली। बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने परिजन ने हवाले से बताया कि दोनों बच्चे परिवार के अनुसार ढल नहीं पा रहे थे। बच्चे परिजन की अनुमति के बिना काम करते थे और घर में तोड़-फोड़ भी करते थे। बच्चों के कारण पति-पत्नी के बीच झगड़े भी बढ़ रहे थे। इससे परिजन ने बच्चों को छोड़ने का निर्णय लिया। शुक्रवार को परिजन ने गोद लिए दोनों बच्चों को इंदौर के बाल आश्रम में छोड़ा। अभी बच्चों को बाल आश्रम में अस्थायी रूप से प्रवेश दिया गया है।
नहीं बैठा पा रहे थे सामंजस्य
बाल कल्याण समिति इंदौर की प्रभारी रितु व्यास के अनुसार, काउंसलिंग में बच्चों के पिता बोले कि काफी प्रयास के बाद भी बच्चे परिवार से पूरी तरह जुड़ नहीं पाए। दोनों बच्चों को केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकृत (कारा) की प्रक्रिया पूरी करने के बाद सौंपा गया था। जब परिजन ने कारा के समक्ष बच्चों को सरेंडर करने के लिए आवेदन किया तो प्रतिनिधियों ने चार बार परिजन की काउंसलिंग की। इसके अलावा बाल कल्याण समिति, कोलकाता के प्रतिनिधियों ने भी उनसे बात की।
इंदौर के अभिभावक भी बच्चे को वापस सौंपना चाहते हैं
बाल कल्याण समिति के समक्ष इसी तरह का एक और प्रकरण इंदौर में भी सामने आया है। इसमें लगभग चार साल पहले बच्चे को गोद लेने के बाद अब परिजन उसे वापस सौंपना चाहते हैं। इस बालक की उम्र करीब 15 वर्ष है। परिजन बच्चे की गतिविधियों से परेशान होकर उसे अपने पास नहीं रखना चाहता है। फिलहाल परिजन की काउंसलिंग की जा रही है।